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Friday, March 29, 2024

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झारखंड कृषि विभाग ने माना प्रिजर्वेशन यूनिट की खरीद में हुई भारी गड़बड़ी, प्रभात खबर ने उठाया था मुद्दा

झारखंड प्रिजर्वेशन यूनिट की खरीद के लिए किसी प्रकार की टेंडर प्रक्रिया का पालन ही नहीं हुआ है. प्रिजर्वेशन यूनिट बांटे जाने से पहले सर्वे कराना था, जो नहीं कराया गया. यूनिट के उपयोग के लिए किसानों को ट्रेनिंग देना जरूरी था, जो नहीं किया गया

प्रिजर्वेशन यूनिट की खरीद में भारी गड़बड़ी हुई है. झारखंड कृषि विभाग द्वारा गठित जांच समिति ने इसकी पुष्टि की है. कहा है कि प्रिजर्वेशन यूनिट के आवंटन में भी लापरवाही बरती गयी है. पिछले दिनों प्रभात खबर ने यह खबर प्रमुखता से छापी थी. इसके बाद कृषि विभाग ने चार सदस्यीय जांच समिति गठित की थी. जांच समिति ने विभागीय सचिव को अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंप दी है. समिति ने माना है कि कई स्तरों पर गड़बड़ी हुई है.

प्रिजर्वेशन यूनिट की खरीद के लिए किसी प्रकार की टेंडर प्रक्रिया का पालन ही नहीं हुआ है. प्रिजर्वेशन यूनिट बांटे जाने से पहले सर्वे कराना था, जो नहीं कराया गया. यूनिट के उपयोग के लिए किसानों को ट्रेनिंग देना जरूरी था, जो नहीं किया गया. इस तरह इसमें कम से कम 18 करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई है. कृषि विभाग द्वारा गठित जांच समिति में भूमि संरक्षण निदेशालय के संयुक्त कृषि निदेशक अजेश्वर प्रसाद सिंह, सहायक निदेशक (उद्यान) लव कुमार, सहायक निदेशक (सांख्यिकी एवं मूल्यांकन) सावन कुमार और सहायक कृषि इंजीनियर रूपक कुमार देशभता शामिल थे.

समिति के मुताबिक प्रिजर्वेशन यूनिट की खरीद में टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ. केवल उद्यान निदेशालय से प्राप्त यूनिट के स्पेशिफिकेशन के आधार पर प्रिजर्वेशन यूनिट की खरीदारी जिला स्तर पर की गयी.यूनिट के लिए तैयार इस्टीमेट पर झारखंड शिक्षा परियोजना काउंसिल के अभियंताओं द्वारा तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गयी थी.

जबकि झारखंड शिक्षा परियोजना काउंसिल के अभियंता तकनीकी स्वीकृति देने में सक्षम नहीं हैं. प्रिजर्वेशन यूनिट के लिए अभियंताओं द्वारा इस्टीमेट पर दो लाख की तकनीकी स्वीकृति दी गयी थी जबकि वास्तव में यह इस्टीमेट ही कम का है. समिति ने कहा है कि जानबूझकर इस्टीमेट की दर कम रखी गयी थी.

लाभुकों से नहीं लिया गया अंशदान :

जांच समिति ने लिखा है कि यूनिट का लाभ लाभुकों को देने लिए 50:50 अनुपात का पालन नहीं किया गया है. इसमें 50 प्रतिशत राशि सरकार को और 50 प्रतिशत लाभुक को अंशदान करना था. जबकि लाभुकों से अंशदान लिया ही नहीं गया. दूसरी ओर प्रिजर्वेशन यूनिट का उपयोग ग्रामीणों द्वारा किया भी नहीं गया. प्रिजर्वेशन यूनिट उपलब्ध कराने वाली कंपनी की सर्विसिंग व्यवस्था भी बहुत घटिया दर्जे की है. जांच समिति ने उद्यान निदेशालय और ठेकेदारों के बीच सांठगांठ होने की आशंका व्यक्त की है.

दो लाख की जगह 25 हजार की यूनिट बांट दी थी

गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रभात खबर ने यह मामला उठाया था कि कैसे दो लाख की प्रिजर्वेशन यूनिट किसानों को दी जानी थी. पर केवल 25 हजार की ही यूनिट दी गयी. यूनिट देने का उद्देश्य था कि किसानों द्वारा उपजाये जानेवाली सब्जी, फलों को संरक्षित करना. किसानों के बीच बिना प्रशिक्षण के ही यह यूनिट बांट दी गयी थी, जिसका किसान उपयोग ही नहीं कर सके.

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