रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य के जलस्रोतों सहित रांची के कांके डैम, हटिया डैम, रूक्का डैम की जमीन के अतिक्रमण व बड़ा तालाब की साफ-सफाई को लेकर स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका सहित याचिकाओं पर फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने महाधिवक्ता राजीव रंजन सहित सभी पक्षों के सुझाव पर जलस्रोतों के अतिक्रमण की जांच हेतु झालसा के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनायी, जो अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की मॉनिटरिंग करेगी. खंडपीठ ने झालसा के सदस्य सचिव को विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों की समिति का नेतृत्व करने का निर्देश दिया. झालसा के सदस्य सचिव हाईकोर्ट के आदेशों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समय-समय पर बैठकें आयोजित करेंगे. सदस्य सचिव पेयजल व स्वच्छता विभाग के सचिव, जल संसाधन विभाग के सचिव, रांची के उपायुक्त, एसएसपी व रांची नगर निगम के पदाधिकारी के साथ-साथ उन संबंधित अंचलों के अंचल अधिकारियों के साथ बैठक सुनिश्चित करेंगे, जिनके क्षेत्राधिकार में जलाशय, नदियां, तालाब स्थित हैं. खंडपीठ ने आदेश दिया कि झालसा के साथ काम करनेवाले पारा लीगल वोलेंटियर भी इसमें सहयोग करेंगे. झालसा के सदस्य सचिव को जनहित याचिका के रिकॉर्ड प्राप्त होने के दो सप्ताह के भीतर एक बैठक बुलाने का भी निर्देश दिया गया है. इसके बाद जलस्रोतों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए सरकारी विभागों द्वारा किये गये कार्यों और उठाये गये कदमों पर सदस्य सचिव एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करेंगे तथा उस रिपोर्ट को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेंगे. खंडपीठ ने धुर्वा में प्रभात तारा स्कूल व पारस अस्पताल के पास रांची नगर निगम द्वारा बनाये गये कूड़ा डंपिंग यार्ड को हटाने का निर्देश दिया है. यह डंपिंग यार्ड अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास भी है और स्थानीय निवासियों व मरीजों के स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक आवासीय क्षेत्र में है. खंडपीठ ने इस मामले में नगर निगम को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 10 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की. खंडपीठ ने विभिन्न प्रतिवादियों की ओर से दायर शपथ पत्र का अवलोकन किया. मामले की सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव उपस्थित थे.
प्रतिवादियों ने दायर किया था शपथ पत्र
इसमें नगर विकास विभाग, रांची के उपायुक्त व रांची नगर निगम ने अपने शपथ पत्र में जलस्रोतों से अतिक्रमण हटाने के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी दी है. रांची के उपायुक्त ने अपने शपथ पत्र में उल्लेख किया है कि रांची झील (बड़ा तालाब) में अतिक्रमण तो हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें हटा दिया है. झील के आसपास नगर निगम द्वारा सार्वजनिक शौचालय जैसी कई संरचनाएं बनायी गयी हैं, जिन्हें जनहित में नहीं तोड़ा गया है.डैमों की एरियल मैपिंग होगी
नगर विकास विभाग ने उल्लेख किया है कि जलाशयों की स्थिति को समझने के लिए कांके डैम, धुर्वा डैम व गेतलसूद डैम के हवाई मानचित्रण (एरियल मैपिंग) के लिए झारखंड स्पेस अप्लीकेशन सेंटर को 38.35 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गयी है.हाईकोर्ट ने पूर्व में कहा था
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी खुशबू कटारूका, राजीव कुमार सिंह व अन्य की ओर से अलग-अलग जनहित याचिका दायर की गयी है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि झारखंड में जलस्रोतों का संरक्षण बेहद जरूरी है. जलस्रोतों के कैचमेंट एरिया को नो एंट्री जोन बनाया जाना चाहिए. वह नो मैंस लैंड होना चाहिए. कैचमेंट एरिया को कंटीली तारों से घेर कर इसे संरक्षित किया जाना चाहिए, ताकि इसका कोई अतिक्रमण नहीं कर सके. कोर्ट ने 18 अप्रैल 2023 को जलस्रोतों के कैचमेंट एरिया से तीन माह के अंदर सभी प्रकार का अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था. यह भी कहा गया था कि किसी भी स्थिति में जलाशयों व नदियों की जमीन पर अतिक्रमण नहीं होना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

