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हर्ष झा ने जिस स्कूल से पढ़कर जेईई मेंस में किया टॉप, उस स्कूल की मान्यता हो चुकी है रद्द

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JEE Mains Result 2025: गुमला के हर्ष झा एसजीएन पब्लिक स्कूल (नांगलोई, दिल्ली) से 12वीं की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने जेईई मेंस में टॉप किया है. सीबीएसई ने पिछले साल ही निरीक्षण के बाद इस स्कूल की मान्यता रद्द कर दी थी.

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JEE Mains Result 2025: रांची-सीबीएसई की ओर से बताया गया है कि एसजीएन पब्लिक स्कूल (नांगलोई, दिल्ली) की मान्यता पिछले वर्ष ही रद्द की जा चुकी है. इस साल के जेईई मेंस के टॉपर हर्ष झा इसी स्कूल के विद्यार्थी हैं और 12वीं की परीक्षा देनेवाले हैं. हर्ष ने जेईई मेंस के सेशन वन की परीक्षा में 100 परसेंटाइल लाकर पूरे देश में टॉप किया है. हर्ष के पिता गुमला डीएवी स्कूल में गणित के शिक्षक हैं. हर्ष ने 10वीं की परीक्षा डीएवी गुमला से ही पास की है.

पिछले वर्ष ही रद्द कर दी गयी थी स्कूल की मान्यता-सीबीएसई


सीबीएसई की ओर से बताया गया है कि उस स्कूल की मान्यता पिछले वर्ष ही रद्द कर दी गयी थी. बताया जा रहा है कि संबंधित डमी स्कूल के बारे में जब सूचना सामने आयी, तो सीबीएसई ने नोटिस जारी कर इसकी जानकारी दी. पिछले साल सीबीएसई की कमेटी ने जब स्कूल की जांच की थी, तो पाया कि स्कूल में ऐसे बच्चों का एडमिशन लिया जा रहा था, जो स्कूल नहीं आते थे. स्कूल बोर्ड के बनाये नियमों का उल्लंघन कर रहा था.

पिता ने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं


डीएवी गुमला में गणित के शिक्षक चंदन कुमार झा से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. उनका बेटा सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा में शामिल होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने नियमित स्कूलिंग की है. सुबह में स्कूल करने के बाद ही वह कोचिंग सेंटर में शाम में पढ़ने जाता था. सीबीएसई की ओर से नोटिस सार्वजनिक किये जाने के बाद छात्र हर्ष झा को एसजीएन पब्लिक स्कूल, नांगलोई, दिल्ली की ओर से मैसेज भेजा गया है, जिसमें स्कूल की ओर से कहा गया है कि आप लोगों पर इस बार कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन अगले साल से स्कूल में कोई नया एडमिशन नहीं लिया जा सकेगा.

नॉन स्कूलिंग का खतरनाक ट्रेंड


इस मामले ने पूरे देश में पनप रहे नॉन स्कूलिंग के नये ट्रेंड पर सवाल खड़ा कर दिया है. सीबीएसई का मानना है कि जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं में सफलता जरूरी है, लेकिन इसके बहाने शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता है. बच्चों का सर्वांगीण विकास भी आवश्यक है. इसके लिए स्कूलों में नियमित उपस्थिति जरूरी है. पूरे देश के कई शहरों के निजी स्कूलों में इन दिनों नन स्कूलिंग कैंडिडेट का ट्रेंड दिख रहा है. यानी विद्यार्थियों को सिर्फ नाम के लिए इन स्कूलों में एडमिशन मिल जाता है. पढ़ाई के लिए उन्हें स्कूल जाने की जरूरत नहीं पड़ती. इसका कारण स्कूली पढ़ाई के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना होता है. बताते चलें कि अधिकतर विद्यार्थी 10वीं बोर्ड परीक्षा के बाद जेइई और यूजी नीट की तैयारी में जुट जाते हैं. कई विद्यार्थियों को आठवीं-नौवीं से ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग में एडमिशन दिला दिया जाता है. छात्र साल में सिर्फ एक बार फाइनल परीक्षा देने के लिए अपने स्कूल जाते हैं.

75 फीसदी उपस्थिति जरूरी


सीबीएसई की ओर से पूर्व में ही कहा गया था कि अब क्लासरूम स्टडी के तहत 75 फीसदी उपस्थिति हर हाल में पूरी करनी होगी. उपस्थिति पूरी नहीं होने पर विद्यार्थियों को स्कूल की परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति नहीं मिलेगी. साथ ही रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से भी विद्यार्थियों को वंचित कर दिया जायेगा. इस संबंध में बोर्ड ने मान्यता प्राप्त सभी स्कूलों को दिशा-निर्देश दिया हुआ है.

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