रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा एकेजी कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स प्रालि कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने संबंधी आदेश को चुनौती देनेवाली याचिका पर फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने प्रार्थी को मामले में राहत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. साथ ही प्रार्थी पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया. खंडपीठ ने जुर्माने की राशि छह सप्ताह में झालसा सचिव के पास जमा करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि सभी तथ्य स्पष्ट रूप से प्रार्थी द्वारा स्वीकृत डिजाइन व ड्राइंग के अनुसार जलमीनार के निर्माण कार्य को करने में ढिलाई व लापरवाही को दर्शाते हैं. इसके अलावा निर्माण कार्य में गुणवत्ता का भी ध्यान नहीं रखा गया है. जिस कारण जलमीनार के ढहने की घटना हुई, जो स्वीकार्य नहीं है. खंडपीठ ने आगे कहा कि न तो प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा पारित किये गये आदेशों में कोई विकृति है और न ही प्रार्थी विवादित आदेशों में कोई अवैधता दिखा सका है, बल्कि उसने खुद इस अर्थ में अपना अपराध स्वीकार किया है कि उसने खुद अधिकारियों से एलिवेटेड सर्विस का निर्माण करने का अनुरोध किया था. इस मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए रिट याचिका को खारिज किया जाता है तथा प्रार्थी कंपनी को झालसा के सचिव को आज से छह सप्ताह के भीतर दो लाख रुपये का भुगतान करना होगा. पूर्व में 15 जनवरी को मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मेसर्स एकेजी कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स प्रालि ने याचिका दायर कर राज्य सरकार के ब्लैक लिस्ट करने संबंधी आदेश को चुनाैती दी थी. कंपनी द्वारा बनाया गया जलमीनार कुछ ही दिनों में गिर गया था, जिसके बाद मेसर्स एकेजी कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स कंपनी को पेयजल विभाग ने ब्लैक लिस्ट कर दिया था.
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