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Hernia Operation: रांची के सदर अस्पताल की बड़ी उपलब्धि, झारखंड में पहली बार TEP विधि से हर्निया का मुफ्त ऑपेरशन

Hernia Operation: रांची के सदर अस्पताल ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. झारखंड में पहली बार TEP विधि से डॉक्टरों की टीम ने हर्निया का मुफ्त ऑपेरशन किया.

Hernia Operation: झारखंड की राजधानी रांची के कोकर के रहनेवाले जयकिशुन यादव (46 वर्ष) लंबे समय से दाहिने तरफ की हर्निया से परेशान थे. उनके पास आयुष्मान कार्ड भी नहीं था. रांची के सदर अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने इनका निःशुल्क ऑपरेशन किया. लेप्रोस्कोपीक सर्जन डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि सदर अस्पताल में पहली बार अत्याधुनिक टेप (TEP) विधि से हर्निया का ऑपरेशन किया गया. मार्च महीने की शुरुआत में ही सदर अस्पताल के सर्जरी विभाग ने नई उपलब्धि हासिल की है. पहली बार टेप (Totally Extra Peritoneal) विधि द्वारा इंगुइनल हर्निया का ऑपरेशन किया गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार संभवतः ये झारखंड के किसी भी सदर अस्पताल में पहली बार इस विधि से हर्निया का ऑपरेशन हुआ है.

ऐसे की गयी सर्जरी
टेप विधि से हर्निया के ऑपरेशन के लिए बिना पेट के अंदर ग‌ए पेट की दीवार की परतों के बीच जगह बनाकर, हर्निया की थैली को छुड़ा कर उसे काट कर बांध दिया जाता है और फिर ‌‌प्रोलिन जाली बिछा दी जाती है. यह पूरी प्रक्रिया तीन अत्यंत छोटे छिद्रों द्वारा की गयी.

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टेप विधि के अनेक फायदे
टेप विधि से हर्निया के ऑपरेशन के कई फायदे हैं. रक्तस्राव नगण्य (नहीं के बराबर) होता है. दर्द बहुत कम होता है. मरीज अपनी दिनचर्या में बहुत जल्द (2-3 दिनों में) वापस लौट जाता है. चीरा का कोई दाग नहीं रहता है. दोबारा हर्निया होने का खतरा ओपन‌ विधि से बहुत कम होता है. यह बहुत ही अत्याधुनिक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी मानी जाती है. इस ऑपरेशन को करने के लिए हाई स्किल की जरूरत होती है. आम तौर पर निजी और कॉरपोरेट अस्पतालों में संपन्न मरीज ही इसे करवाते हैं. अमूमन यह ऑपरेशन महंगा होता है.

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इस टीम ने किया सफल ऑपरेशन
ऑपरेशन करनेवाली टीम में लेप्रोस्कोपीक सर्जन डॉ अजीत कुमार, निश्चेतक डॉ दीपक, डॉ विकास वल्लभ, ओटी स्टाफ सरिता, शशि, लखन, सुशील, मुकेश, पूनम समेत अन्य शामिल थे. डॉ अजीत कुमार ने बताया कि हमारी टीम द्वारा इससे पहले भी चार अलग-अलग लेप्रोस्कोपिक विधि से विभिन्न प्रकार की हर्निया के ऑपरेशन की शुरुआत सदर अस्पताल, रांची में की गयी है. इस पूरी प्रक्रिया में सिविल सर्जन एवं उपाधीक्षक का विशेष योगदान रहा.

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