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रांची: सदर अस्पताल की बदल रही तस्वीर, OPD में मरीजों की संख्या 40 हजार के पार, जानें क्या क्या मिल रही सुविधा

ओपीडी में मरीजों की संख्या एक महीने में 40 हजार पार कर गयी है. जबकि नवंबर 2022 में यह आंकड़ा करीब 30 हजार था. वहीं एक महीने में अस्पताल में इन पेशेंट डिपार्टमेंट (आइपीडी) में भर्ती होनेवाले मरीजों की तादाद तीन हजार से ज्यादा रही

सदर अस्पताल की बदलती तस्वीर सुकून दे रही है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सदर अस्पताल में पैलिएटिव केयर की भी व्यवस्था है, जिसमें रोगियों को शारीरिक और मानसिक समस्याओं से राहत मिलती है. जब मरीजों को जड़ से ठीक होना संभव नहीं होता, तो पैलिएटिव केयर ही एक विकल्प बचता है. सदर अस्पताल पर मरीजों का विश्वास बढ़ने का कारण चिकित्सा सेवाओं का सुदृढ़ीकरण है. नयी सेवाओं का विस्तार है.

यही कारण है कि ओपीडी में मरीजों की संख्या एक महीने में 40 हजार पार कर गयी है. जबकि नवंबर 2022 में यह आंकड़ा करीब 30 हजार था. वहीं एक महीने में अस्पताल में इन पेशेंट डिपार्टमेंट (आइपीडी) में भर्ती होनेवाले मरीजों की तादाद तीन हजार से ज्यादा रही. बेड की उपलब्धता के आधार पर सीसीयू 87% और पैलेटिव वार्ड 51.6 % फुल रहे. पढ़ें बिपिन सिंह की रिपोर्ट.

हर दिन रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लगती है मरीजों की लंबी कतार

नए सुपरस्पेशलिटी विंग में जुलाई में 40,292 मरीजों ने इलाज कराया. स्त्री और प्रसूति रोग विभाग में सबसे ज्यादा 6,773, मेडिसिन में 3,876 और आर्थोपेडिक में 3,845 मरीजों का इलाज किया गया. हालांकि भीड़ के कारण मरीजों और परिजनों को परेशानी का भी सामना करना पड़ता है. भीड़ इतनी हो रही है कि टीकाकरण, जांच और इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं.

कुल 18 ओपीडी का होता है संचालन इमरजेंसी में हर रोज 150-200 मरीज

सदर अस्पताल में रोजाना मेडिसिन, सर्जरी, आई, डेंटल, पिडियाट्रिक, गैस्ट्रो मिलाकर कुल 18 ओपीडी का संचालन होता है. इमरजेंसी में 24 घंटे इलाज की सुविधा है. इमरजेंसी में पिछले महीने 5,672 मरीजों का उपचार हुआ. यहां प्रतिदिन 150-200 मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिसमें औसतन 25 मरीजों को भर्ती किया जाता है.

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी तक की मिल रही सुविधा

500 बेड वाले सदर अस्पताल में कई विशेषज्ञता वाले विभाग हैं. नये भवन में आधुनिक संयंत्र और उपकरण स्थापित किये गये हैं, जिसका लाभ मरीजों को मिल रहा है. अस्पताल के नवनिर्मित भवन में ओटी मैनेजमेंट, ग्राउंड वाटर मैनेजमेंट, स्टरलाइजेशन, मैकेनाइज्ड लाउंड्री, सिवरेज ड्रेनेज सिस्टम, वाटर ट्रीटमेंट, फायर फाइटिंग उपकरण, ऑक्सीजन सप्लाई, रेफ्रिजरेशन व एयरकंडीशनिंग आदि सुविधाओं के लिए अत्याधुनिक संयंत्र लगाये गये हैं.

इन उपकरणों से लैस है अस्पताल :

हाइड्रोलिक ओटी टेबल, हाइड्रोलिक लेबर टेबल, एनेस्थीसिया वर्क स्टेशन, कार्डियक मॉनिटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेशन, सक्शन मशीन, आटोक्लेव मशीन.

जुलाई में किस वार्ड में कितने मरीज आये

पीडियाट्रिक 2111

स्किन 2214

आई 1995

इएनटी 1561

डेंटल 951

इमरजेंसी 5672

ऑब्स एंड गाइनी 6773

डॉग बाइट 4755

सर्जरी 1673

फिजियोथैरेपी 1168

ऑर्थोपेडिक 3845

मेडिसिन 3876

यूरोलॉजी 132

पेडियाट्रिक सर्जरी 41

साइकाट्रिक 386

गैस्ट्रो 240

थैलेसीमिया वार्ड 549

डायलिसिस 569

पैलिएटिव 33

जिरियाट्रिक सीसीयू 61

पिकू 58

एसएनसीयू 68

आइसीयू 120

पैलिएटिव केयर में मिलती है शारीरिक और मानसिक समस्याओं से राहत

पैलिएटिव केयर एक विशेष तरह की देखभाल है, जिसमें रोगियों को शारीरिक और मानसिक समस्याओं से राहत मिलती है. मरीजों को जड़ से ठीक होना संभव नहीं होता, तो पैलिएटिव केयर ही एक विकल्प बचता है. यहां पैलिएटिव केयर में मरीज को एक अलग अटेंशन देकर रखा जाता है. मरीज को यह विश्वास दिलाया जाता है कि इस स्थिति में भी उसका साथ निभा रहे हैं, ताकि वह अच्छा महसूस कर सके.

हालांकि यह सबसे ज्यादा कैंसर से जूझ रहे मरीजों के उपचार में कारगर है. यह जानते हुए भी कि अब रोग को जड़ से ठीक करना संभव नही है. बिना जरूरत महंगी जांच, दवाएं, अस्पताल में बार-बार दाखिल करना, आइसीयू में लाना या वेंटिलेटर में डाल देने से रोगी की हालत और भी बिगड़ जाती है. यह सब पैलिएटिव केयर में नहीं किया जाता़ पैलिएटिव केयर का उद्देश्य मरीजों और उनके परिजनों को सभी परेशानियों से राहत दिलाना है़ आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि वह शांति के साथ अपना बचा हुआ जीवन जी सकें.

समस्या : बैठने की जगह नहीं, कुर्सियां भी टूटीं

एक तरफ सेंट्रलाइज एयर कंडीशनिंग माहौल में मरीजों को उपचार की अत्याधुनिक सुविधाएं मिल रही हैं, तो दूसरी तरफ बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है. मरीजों और परिजनों को विवश होकर जमीन पर बैठने के लिए विवश होना पड़ रहा है. डॉक्टरों के इंतजार में मरीज घंटों खड़े रहते हैं. नौ नवंबर को नये भवन का हैंडओवर लेने के बाद बैठने की समस्या सामने आयी है. इसके लिए आयुष्मान भारत योजना से लोहे की कुर्सियां खरीदी गयीं, लेकिन वे भी टूटने लगी हैं. सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि शीघ्र ही थ्री-शीटर कुर्सियों का ऑर्डर दिया जायेगा.

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