रांची.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने डीजीपी मामले में राज्य सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार द्वारा झारखंड की पुलिस व्यवस्था और प्रशासन को बंधक बनाकर सत्ता का खेल खेला जा रहा है. इसका दुष्परिणाम यह है कि 17 सीनियर डीएसपी के प्रमोशन की प्रक्रिया महीनों से ठप पड़ी है. पुलिसकर्मी अपने हक से वंचित हैं, क्योंकि सरकार ने एक अवैध नियुक्ति को जबरदस्ती थोप रखा है. उन्होंने कहा कि संविधान और कानून की धज्जियां उड़ा कर सिर्फ और सिर्फ अपने भ्रष्टाचार को बचाने के लिए राज्य सरकार ने पूरी व्यवस्था को पंगु बना दिया है.यूपीएससी और गृह मंत्रालय अनुराग गुप्ता को डीजीपी मानने से इंकार कर रहे हैं
उन्होंने कहा कि यूपीएससी ने अनुराग गुप्ता को प्रोन्नति बैठक में शामिल करने से इंकार कर दिया और इस कारण बैठक तक रद्द कर दी गयी. फिर भी मुख्यमंत्री लोकतंत्र का गला घोंटने पर उतर आये हैं. राज्य सरकार ने उस अनुराग गुप्ता को डीजीपी बनाकर बैठा रखा है, जिन्हें न तो यूपीएससी मान्यता देता है, न ही भारत सरकार. उन्होंने कहा कि वे अपनी सेवा अवधि पूरी कर चुके हैं. सेवानिवृत्ति की उम्र पार कर चुके हैं और एजी द्वारा निर्गत सशर्त पे स्लिप पर वेतन पा रहे हैं, जो न्यायालय के अंतिम फैसले से प्रभावित होगा. फिर भी सत्ता की कुर्सी बचाने और अपने गुनाहों को ढंकने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने उन्हें डीजीपी की कुर्सी थमा दी है. उनहोंने कहा कि जब यूपीएससी और गृह मंत्रालय अनुराग गुप्ता को डीजीपी मानने से इंकार कर रहे हैं, तो झारखंड सरकार किस आधार पर उन्हें इस पद पर बनाए हुए है. असलियत यही है कि हेमंत सरकार ने पूरे सिस्टम को अपने भ्रष्ट नेटवर्क और माफियाओं की सेवा में झोंक दिया है. डीजीपी की कुर्सी भी अब उनके लिए एक सुरक्षा कवच बन गयी है, ताकि उनके काले कारनामे बाहर न आ सकें और वे जेल से दूर रह सकें.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

