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झारखंड: कोरोना के डर से टालते रहे जांच और इलाज, हिंदपीढ़ी में युवक की मौत

हिंदपीढ़ी के ग्वाला टोली में बुधवार को 18 वर्षीय आसिफ की मौत हो गयी. आसिफ को बुखार था. इसके चलते जहां चिकित्सक ने बिना जांच इलाज से इनकार कर दिया, वहीं अल्ट्रासाउंड करनेवाले ने भी टेस्ट से इनकार कर दिया. संक्रमण की जांच होती, इससे पहले ही लड़के की जान चली गयी.

रांची : हिंदपीढ़ी के ग्वाला टोली में बुधवार को 18 वर्षीय आसिफ की मौत हो गयी. आसिफ को बुखार था. इसके चलते जहां चिकित्सक ने बिना जांच इलाज से इनकार कर दिया, वहीं अल्ट्रासाउंड करनेवाले ने भी टेस्ट से इनकार कर दिया. संक्रमण की जांच होती, इससे पहले ही लड़के की जान चली गयी. परिजनों ने इस मामले में इलाज कर रहे डॉ एकरामुल पर लापरवाही का आरोप लगाया हैं. परिजनों का कहना है कि डॉ एकरामुल अगर समय पर इलाज करते तो आसिफ की जान बच सकती थी. चार दिन पहले आसिफ के पेट में दर्द होने पर उसे अंजुमन अस्पताल में ले जाया गया था. जहां पर सर्जन डॉ ए आलम ने इलाज किया .

डॉक्टर ने अपेंडिक्स बताते हुए अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी थी. दवा देने के बाद दर्द में मरीज को आराम मिल गया तो परिजन घर ले आये. हालांकि डॉक्टरों ने घर जाने से मना किया था. वहीं आसिफ के पेट में दोबारा दर्द हुआ, तो परिजन डाॅक्टर एकरामुल के कांटाटोली चौक स्थित नर्सिंग होम में ले गये. वहां पर डॉक्टर ने शरीर का तापमान ज्यादा होने के कारण उसे अगले दिन सुबह आने को कहा. परिजन बुधवार की सुबह छह बजे मरीज को लेकर वहां पहुंच गये. अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच के लिए इंतजार करने को कहा गया. काफी देर के इंतजार के बाद टेक्नीशियन आया, पर उसने शरीर का तापमान ज्यादा होने के कारण अल्ट्रासाउंड करने से इनकार कर दिया.

इसके बाद परिजन आसिफ को सुबह नौ बजे गुरुनानक अस्पताल लेकर पहुंचे. वहां डॉक्टर ने तेज बुखार होने के कारण उसे रिम्स रेफर कर दिया. परिजन रिम्स ले जाने लगे. इसी बीच उसकी मौत हो गयी. जानकारों का कहना है कि अपेंडिक्स फटने से युवक मौत हो गयी. वहीं दिन के 4:15 बजे डोरंडा कब्रिस्तान में आसिफ गद्दी को मिट्टी दी गयी. आसिफ ने मैट्रिक की परीक्षा दी थी. उसे रिजल्ट का इंतजार था. वहीं आसिफ की मौत की जांच कराने व दोषी लोगों पर कार्रवाई को लेकर लोगों ने धरना दिया. इसमें डॉक्टर ओबेदुल्लाह कासमी,हाजी फिरोज जिलानी, इनामुल हक, हाजी बबलू, शमशेर आलम, एजाज गद्दी, तल्हा नदवी, नौशाद आलम सहित कई लोग थे.

आसिफ अस्पताल आया था. डाॅ शमा रसूल ने उसकी जांच की थी. शरीर का तापमान ज्यादा था. पेट में दर्द भी था. मरीज रेड जोन से आया था, इसलिए डॉक्टर ने टोटल बॉडी जांच कराने की सलाह दी. इससे संक्रमण की जानकारी हो जाती है. रिपोर्ट आने पर उसे स्पेशल वार्ड में रखा जाता, लेकिन परिजनों ने जांच नहीं करायी. इस पर डॉक्टर ने रिम्स रेफर कर दिया. हमारे यहां किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं हुई है.प्रदीप सिंह चड्डा, सचिव गुरुनानक अस्पताल परिजन खुद ले गये थे घर 24 मई को आसिफ का डॉ ए आलम ने इलाज किया था. उसे दवा दी गयी थी, जिससे युवक की स्थिति सुधरी. उसे अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी गयी थी. परिजन उसकी बेहतर स्थिति को देखते हुए ईद के दिन अपने घर ले गये. इस संबंध में परिजनों से लिखित ले लिया गया था. डॉ एकरामुल अंजुमन इस्लामिया अस्पताल में इलाज नहीं करते हैं. वह निजी क्लीनिक चलाते हैं.

मुख्तार अहमद, महासचिव, अंजुमन इस्लामिया .

जांच कमेटी गठितआसिफ की मौत मामले की जांच के लिए कमेटी बनायी गयी है. इस कमेटी में दो डॉक्टर, दो प्रशासनिक पदाधिकारी व एक हिंदपीढ़ी के लोग होंगे . इस कमेटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही दोषी पर कार्रवाई होगी.

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