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पुण्यतिथि विशेष : झारखंड आंदोलन में सक्रिय रहे थे प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ भुवनेश्वर अनुज

पत्रकारिता व शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें झारखंड रत्न सम्मान से नवाजा गया है. पत्रकारिता करते हुए उन्होंने 32 वर्षों तक एचइसी में काम किया था. शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देते हुए उन्होंने अपने गांव सिसई के छारदा में कार्तिक उरांव उवि की स्थापना की.

झारखंड के प्रसिद्ध साहित्यकार, शिक्षाविद और पत्रकार रहे डॉ भुवनेश्वर अनुज ने झारखंड अलग राज्य आंदोलन में भी अहम भूमिका निभायी थी. पत्रकारिता व शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें झारखंड रत्न सम्मान से नवाजा गया है. पत्रकारिता करते हुए उन्होंने 32 वर्षों तक एचइसी में काम किया था. शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देते हुए उन्होंने अपने गांव सिसई के छारदा में कार्तिक उरांव उवि की स्थापना की. इसके साथ ही उन्हें सिसई में बैजनाथ जालान कॉलेज, रांची के पंडरा में संजय गांधी मेमोरियल कॉलेज, बसिया में बसिया कॉलेज और लापुंग इंटर कॉलेज की स्थापना का श्रेय भी है.

वे नागपुरी भाषा के विद्वान और अनेक पत्र-पत्रिकाओं के संपादक थे. विभिन्न विश्वविद्यालयों में नागपुरी भाषा और झारखंड की अन्य भाषाओं में अध्यापन शुरू कराने में उनकी प्रमुख भूमिका रही. उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें नागपुरी लोक साहित्य भी शामिल है, जो स्नातक स्तर पर रांची विश्वविद्यालय में पढ़ायी जाती है, उनकी अन्य पुस्तकों में अतीत के दर्पण में झारखंड, छोटानागपुर के प्राचीन स्मारक, झारखंड के शहीद, सीतक बूंद, नागपुरी और उसका लोकमानस, नागपुरी लोक कथा, नागपुरी पद्य लोकसाहित्य, नागपुरी गद्य लोकसाहित्य आदि शामिल हैं.

डॉ भुवनेश्वर अनुज ने कई पुस्तकों का संपादन भी किया है. जिनमें दू डइर बीस फूल, एक झोपा नागपुरी फूल, खुखड़ी रुगड़ा आदि शामिल हैं. वे हिंदी साप्ताहिक पत्रिका छोटानागपुर संदेश के संपादक थे.

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