रांची. तीन जून यानी विश्व साइकिल दिवस. यह तारीख सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक विचार है कि हम एक बार फिर उस दो पहियों की दुनिया में लौटें, जिसने हमें चलना सिखाया था. कभी स्कूल का रास्ता थी, कभी गांव की गलियों में दौड़ती दोस्ती की कहानी. आज वही साइकिल फिर से हमारी फिटनेस, पर्यावरण और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी है. वक्त बदला है, पर साइकिल का महत्व अब और भी ज्यादा हो गया है. रांची में भी एक नयी पीढ़ी साइकिल को सिर्फ एक्सरसाइज नहीं, एक मिशन बना चुकी है.
यहां जानिए साइकिलिंग के फायदे
रोजाना 40-60 मिनट साइकिल चलाने से मानसिक तनाव कम होता है. मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से बचाव होता है. साइकिलिंग से दिल और फेफड़े की कार्यक्षमता बढ़ती है. मांसपेशियों को मजबूती और स्टैमिना में सुधार होता है और दवाओं पर निर्भरता कम होती है.रांची के साइकिल ग्रुप जो दे रहे अहम संदेश
रांची में कई ऐसे साइकिल ग्रुप सक्रिय हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए जागरूकता फैला रहे हैं. साइक्लोपीडिया नामक ग्रुप पिछले पांच वर्षों से सक्रिय है. इसके सात सदस्य हर सप्ताह दो बार 100-150 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. यह ग्रुप देश के विभिन्न हिस्सों में साइकिल ट्रिप कर चुका है और युवाओं में एक नयी ऊर्जा भर रहा है.पांच नेशनल मेडल जीत चुकी हैं तारा मिंज
गुमला की तारा मिंज 2018 से झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी से ट्रेनिंग ले रही हैं. अब तक पांच नेशनल मेडल जीत चुकी हैं. वर्तमान में वर्ल्ड और एशियन चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटी हैं. वह बताती हैं कि साइकिलिंग की शुरुआत गांव की सामान्य साइकिल से हुई थी. जब जिला स्तरीय ट्रायल के दौरान मेरा चयन हुआ, तो और साइकिलिंग के प्रति जिज्ञासा बढ़ी. अब हर दिन चार-पांच घंटे साइकिलिंग और पढ़ाई में संतुलन बनाने में जुटी हुई हूं.एशियन लेवल की तैयारी में जुटी हैं संजू कुमारी
संजू कुमारी चार नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं और दो मेडल अपने नाम कर चुकी हैं. 2019 से साइकिलिंग कर रही हैं. अब एशियन लेवल की तैयारी में जुटी हैं और साथ ही 12वीं की पढ़ाई भी कर रही हैं. वह कहती हैं : साइकिलिंग के प्रति रुचि काफी बढ़ गयी है. अब मुझे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी अच्छा प्रदर्शन करना है.विकास सिन्हा की थाइलैंड और वियतनाम तक की साइकिल जर्नी
देवी मंडप के विकास सिन्हा पिछले पांच वर्षों से साइकिलिंग कर रहे हैं. कोरोना काल में शौक से शुरू की गयी सवारी, अब जीवनशैली बन चुकी है. सप्ताह में तीन दिन वे 100-150 किलोमीटर की राइड करते हैं. खास बात है कि मनाली से लेह और फूकेत (थाइलैंड) से वियतनाम तक की साइकिलिंग कर चुके हैं. उनका कहना है : इस यात्रा से उन्हें स्वास्थ्य लाभ तो मिला ही, दवाइयों से भी छुटकारा मिला है. साइकिलिंग को रोजाना की जिंदगी में उतार चुका हूं. ज्यादातर ग्रुप के साथ ही साइकिलिंग पर जाता हूं, जिसमें चार-पांच लोग होते हैं. हर सप्ताह रातू रोड से पिठोरिया, पतरातू वैली, रातू रोड से लोधमा होते हुए हटिया डैम होते वापस लौटते हैं. 10 सर्किट में सफर करते हैं.अकरम अंसारी की साइकिलिंग रांची से सिंगापुर तक
2017 से साइकिलिंग कर रहे अकरम अंसारी रांची से सिंगापुर तक साइकिल चला चुके हैं. इस दौरान वे बांग्लादेश, म्यांमार, थाइलैंड, मलेशिया और सिंगापुर गये. उन्होंने 29.5 घंटे में 400 किलोमीटर की राइड कर ‘एकता का संदेश’ दिया. महिलाओं के सशक्तीकरण और ट्रांसजेंडर्स की स्किल ट्रेनिंग के लिए भी राइड कर चुके हैं. इंटर स्टेट साइकिलिंग में ओडिशा से रांची तक सफर कर चुके हैं. वह बताते हैं कि साइकिलिंग पर जब भी बाहर निकलते हैं, तो किसी न किसी उद्देश्य से ही निकलते हैं. वे कहते हैं : लोगों को साइकिलिंग करनी चाहिए. इससे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है. आस-पास के लोग मोटिवेट होते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है