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Ranchi News : क्षतिपूरक वनरोपण के लिए वन भूमि का उपयोग कर सकती हैं कंपनियां

पहले केवल सरकारी भूमि पर ही था क्षतिपूरक वन रोपण का प्रावधान. झारखंड की कोयला कंपनियों ने भारत सरकार से इसमें सुधार का आग्रह किया था.

मनोज सिंह, रांची.

कंपनियां अब क्षतिपूरक वन रोपण के लिए वन भूमि का भी उपयोग कर सकती हैं. केंद्र सरकार ने 2023 में तय किया था कि क्षतिपूरक वन रोपण केवल सरकारी गैर वन भूमि पर ही किया जा सकता है. इससे कंपनियों को परेशानी हो रही थी. झारखंड की कोयला कंपनियों ने भारत सरकार से इसमें सुधार का आग्रह किया था.

झारखंड में भूमि संबंधी समस्या अधिक

कंपनियों ने कहा था कि झारखंड में भूमि संबंधी समस्या बहुत अधिक है. सरकारी जमीन लेने में कई प्रकार की आपत्ति है. जितनी जमीन चाहिए, उतनी जमीन फिलहाल उपलब्ध नहीं है. इससे नया प्रोजेक्ट शुरू करने में परेशानी हो रही है. पुराने प्रोजेक्ट के विस्तारीकरण की योजना पर भी ग्रहण लग सकता है. अब केंद्र सरकार ने क्षतिपूरक वन रोपण के लिए वन भूमि के उपयोग की अनुमति दे दी है. इससे संबंधित आदेश हाल ही में जारी कर दिया गया है.

सीसीएल ने टीम बनाकर जमीन की खोज करायी थी

सीसीएल को नयी और पुरानी परियोजना शुरू करने के लिए क्षतिपूरक वनरोपण के लिए जमीन की जरूरत थी. इसके लिए कंपनी ने टीम बनाकर राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ मिलकर नौ जिलों में जमीन की खोज करायी थी. इसमें उतनी जमीन नहीं मिल पायी थी, जितना कंपनी को वनरोपण के जरूरत थी. इसके बाद कंपनी की स्थिति से केंद्र सरकार को अवगत कराया गया था. इसके बाद भारत सरकार ने डबल डिग्रेडेड वन भूमि (जो वन भूमि बंजर हो गयी है) में क्षतिपूरक वन रोपण कराने की अनुमति दे दी है.

6500 हेक्टेयर भूमि चाहिए सीसीएल को

केंद्र सरकार की अनुमति के बाद सीसीएल के कई प्रोजेक्ट के शुरू करने का रास्ता हुआ साफ हो गया है. अभी सीसीएल की दो नयी परियोजना चंद्रगुप्त और संघमित्रा तथा पुरानी आम्रपाली, मगध, अशोका परियोजना प्रभावित थी. इसके लिए कंपनी को 6500 हेक्टेयर भूमि चाहिए. यह जरूरत सीसीएल को अगले पांच साल में है.

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