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Friday, March 29, 2024

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Budget Expectations: कच्चे माल और उत्पादों की कीमतें नियंत्रित करे सरकार, जेसीपीडीए की मांग

जेसीपीडीए के अध्यक्ष संजय अखौरी ने कहा कि जीएसटी की दरों को युक्तिसंगत बनाने के साथ-साथ अनुपालन का सरलीकरण अगले बजट की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. जीएसटी को वर्ष 2017 में टैक्स फाइलिंग को आसान बनाने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू किया गया था.

Budget Expectations: केंद्रीय बजट (Union Budget 2023) से पहले झारखंड कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन (जेसीपीडीए) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Fin Min Nirmala Sitharaman) को पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से केंद्र सरकार को कई सुझाव दिये गये हैं. इसमें कहा गया है कि यदि कच्चे माल और उपभोक्ता उत्पादों की कीमतों को नियंत्रित किया जाये, तो यह आम आदमी के साथ छोटे व्यवसायों के लिए बड़ा प्रोत्साहन होगा.

जीएसटी के अनुपालन को सरल बनाये सरकार : जेसीपीडीए

जेसीपीडीए (Jharkhand Consumer Product Distributors) के अध्यक्ष संजय अखौरी ने कहा कि जीएसटी (Goods and Services Tax – GST) की दरों को युक्तिसंगत बनाने के साथ-साथ अनुपालन का सरलीकरण अगले बजट (Budget 2023) की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. जीएसटी को वर्ष 2017 में टैक्स फाइलिंग को आसान बनाने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू किया गया था. छोटे व्यवसायियों के लिए जीएसटी बोझिल बन गया है.

दो प्रतिशत ब्याज सब्वेंशन जारी रखे सरकार

श्री अखौरी ने कहा है कि सरकार को सभी जीएसटी पंजीकृत एमएसएमइ के लिए ताजा या वृद्धिशील ऋणों पर दो प्रतिशत ब्याज सब्वेंशन जारी रखना चाहिए. यदि सरकार शुरू से अंत तक इम्प्लॉईज प्रॉविडेंट फंड (इपीएफ), श्रम कानून, टैक्स जैसे अनुपालनों को सरल और डिजिटाइज करती है, तो यह एमएसएमइ के लिए राहत का संकेत होगा.

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एमएसएमई को अधिक लोन पर देना चाहिए ध्यान

उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के कर्ज का हिस्सा बड़े उद्यमों के बकाया ऋण की तुलना में बहुत छोटा है. सरकार को एमएसएमइ क्षेत्र (एफएमसीजी सेक्टर को प्राथमिकता देते हुए) को अधिक लोन देने पर ध्यान देना चाहिए.

सीपीएसयू को 30 दिन में बिल का भुगतान करने का निर्देश दे सरकार

बैंकिंग और नन-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को एमएसएमइ को ऋण देने में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. सरकार को सभी सीपीएसयू को अपने पूरे बकाया बिलों का 30 दिनों में भुगतान करने का निर्देश देना चाहिए. साथ ही उन सीपीएसयू को पर्याप्त धन उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाना चाहिए.

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