: एक्सआइएसएस में डॉ कुमार सुरेश सिंह मेमोरियल व्याख्यान रांची . डॉ कुमार सुरेश सिंह एक विजनरी शोधकर्ता थे. उन्होंने धरती आबा बिरसा मुंडा पर उल्लेखनीय काम किया था. जहां तक बिरसा मुंडा की बात है, उनकी विरासत हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं. ये बातें राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने कही. वे एक्सआइएसएस सभागार में आयोजित डॉ कुमार सुरेश सिंह मेमोरियल व्याख्यान को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि अपनी पहचान, अस्मिता और जल, जंगल जमीन जैसे मुद्दों पर बिरसा मुंडा के विचार हमेशा प्रासंगिक रहेंगे. मुख्य वक्ता डॉ जोसेफ बाड़ा ने कहा कि वे डॉ कुमार सुरेश सिंह के कार्यों के बारे में 1970 के दशक से ही परिचित है. सुरेश सिंह ने आदिवासी दृष्टिकोण और संस्कृति का अध्ययन उस समय किया, जब आदिवासी विषय मानवशास्त्र का विशिष्ट क्षेत्र माना जाता था. बिरसा मुंडा पर उनकी पहली पुस्तक डस्ट स्टोन द हैमिंग मिस्ट मानवशास्त्र, इतिहास और साहित्य का मिश्रण है. उन्होंने बिरसा मुंडा की कहानी गढ़ने के लिए यहां के स्थानीय दस्तावेज, ब्रिटिश सरकार के अभिलेखों और लोक कथाओं से लेकर प्राथमिक स्रोत से पठनीय लेख लिखा. डॉ जोसेफ ने कहा कि वर्तमान समय में देश बिरसा मुंडा को एक राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में मानता है. इस विषय पर इतिहासकारों की उपेक्षा के कारण हमारा ज्ञान स्थिर बना हुआ है, जिस पर और काम करने की जरूरत है. इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डॉ जोसेफ मरियानुस कुजूर ने लोगों का स्वागत किया. सोसाइटी ऑफ जीसस के प्रोविंशियल फादर अजीत खेस ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम में संस्थान के शिक्षक, छात्र-छात्राएं सहित अन्य लोग उपस्थित थे.
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