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ओकेराजधानी की सड़कों पर उतरे बंद समर्थक, किया प्रदर्शन

रैंप हटाने समेत अन्य मांगों को लेकर आहूत झारखंड बंद का रांची में दिखा असर. गीताश्री उरांव सहित कई बंद समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में लिया.

रांची. सिरमटोली सरना स्थल के समीप से फ्लाइओवर का रैंप हटाने समेत अन्य मांगों को लेकर आहूत झारखंड बंद का राजधानी रांची में असर दिखा. केंद्रीय सरना स्थल सिरमटोली बचाओ मोर्चा और आदिवासी बचाओ मोर्चा के तत्वावधान में बुधवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों के लोग सड़कों पर उतरे. बंद समर्थकों ने विभिन्न चौक-चौराहों को जाम कर दिया और प्रदर्शन किया. इस दौरान गीताश्री उरांव सहित कई बंद समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में लेकर खेलगांव स्थित कैंप जेल भेज दिया. बाद में सभी को छोड़ दिया गया.

1500 जवानों को किया गया था तैनात

बंद समर्थकों ने सरकार के संसाधन का प्रयोग भी कर लिया. हिनू चौक तथा बहू बाजार के आगे रोड ब्लॉक करने के लिए स्लाइड बैरियर जिसमें रांची पुलिस व रांची नगर निगम लिखा था, उसका इस्तेमाल किया. इधर, बंद की वजह से मेन रोड, अलबर्ट एक्का चौक, अरगोड़ा, करमटोली, सिरमटोली, क्लब रोड व कडरू सहित अन्य इलाकों में दुकानें व प्रतिष्ठान बंद रहे. बंद की वजह से सड़कों पर कम वाहन चले. बंद को देखते हुए राजधानी में सुरक्षा के लिए 1500 जवानों को तैनात किया गया था. बंद समर्थकों पर ड्रोन से नजर रखी जा रही थी. साथ ही जिला प्रशासन की ओर वीडियोग्राफी भी करायी जा रही थी. राजधानी में सिटी एसपी तथा ग्रामीण इलाके में ग्रामीण एसपी प्रवीण पुष्कर के अलावा ओवरऑल मॉनिटरिंग एसएसपी चंदन सिन्हा कर रहे थे.

सिरमटोली चौक पर नारे लगा रहे थे बंद समर्थक

सरना झंडा और बैनर के साथ बंद समर्थकों ने सिरमटोली चौक को जाम कर दिया था. समर्थक इस दौरान सिरमटोली सरना स्थल के समक्ष से रैंप हटाना होगा…के नारे लगा रहे थे. वहीं, पुलिस-प्रशासन की ओर से चौक से सरना स्थल की तरफ जानेवाले रास्ते के आधे हिस्से में बैरिकेडिंग की गयी थी. स्टेशन रोड, योगदा मठ और क्लब रोड सुजाता चौक की ओर जानेवाले रास्ते बंद थे. इस दौरान कई बार लोगों और बंद समर्थकों के बीच बकझक हुई. एंबुलेंस और मरीजों को जाने दिया जा रहा था.

बहू बाजार के पास चारों ओर किया जाम

बहू बाजार चौक पर बांस व रस्सी लगाकर सड़क को चारों ओर जाम कर दिया गया था. बहू बाजार से मुंडा चौक, चुटिया जाने वाले रास्ते तथा बहू बाजार से कांटाटोली की ओर आने वाले रास्ते को बांस, रस्सी, दोपहिया व मानव शृंखला बना कर जाम किया गया था. इस दौरान स्कॉर्पियो पर सवार महिलाओं से बंद समर्थक महिलाएं भिड़ गयीं. बाद में वहां तैनात पुलिस कर्मियों ने किसी तरह शांत कराया.

कडरू के रास्ते को भी जाम किया

कडरू महावीर मंदिर के पास भी लोगों ने रोड जाम किया. यहां दिन में साढ़े ग्यारह बजे से ही बंद समर्थक जमे हुए थे. दोपहर में बारिश के दौरान लोग तितर-बितर हो गये. लेकिन, बारिश थमते ही फिर से सड़क को जाम कर दिया. इस दौरान लोग ओल्ड एजी कॉलोनी के अंदर वाले रास्ते का प्रयोग कर आने-जाने की कोशिश कर रहे थे. इस वजह से कॉलोनी के अंदर भी जाम की स्थिति उत्पन्न हो गयी. वहीं, कडरू ओवरब्रिज के पास भी भीड़ हो जा रही थी.

करमटोली से अलबर्ट एक्का चौक तक प्रदर्शन

आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों ने करमटोली चौक से लेकर जेल चौक होते हुए अलबर्ट एक्का चौक तक बंद कराया. प्रदर्शन भी किया. देव कुमार धान, प्रेमशाही मुंडा, फूलचंद तिर्की, सूरज टोप्पो, निरंजना हेरेंज, कुंदरसी मुंडा, बबलू मुंडा सहित अन्य लोग करमटोली चौक के पास एकत्र हुए, जहां से वे अलबर्ट एक्का चौक की ओर बढ़े. इस दौरान रास्ते में दुकानों और प्रतिष्ठानों को बंद कराया गया. अलबर्ट एक्का चौक पर लोग काफी देर तक नारेबाजी करते रहे.

बरियातू में अधिकतर दुकानें खुली थीं

बरियातू में बंद का मिला-जुला असर दिखा. बरियातू में अधिकतर दुकानें खुली थीं. हालांकि, ऑटो व ई-रिक्शा कम चल रहे थे. इस कारण लोगों को काफी परेशानी हुई. रिम्स के आसपास के लगभग सभी होटल व दुकानें खुले थे.

आंदोलन को कुचलने की कोशिश : गीताश्री उरांव

पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार हमारे लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि मैं शुरू से ही इस आंदोलन से जुड़ी हूं. इससे सरकार को परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन जारी रहेगा.

रैंप हटाने तक जारी रहेगा आंदोलन : धान

देवकुमार धान ने कहा कि सरकार जब तक रैंप नहीं हटाती है, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. आदिवासी समन्वय समिति के लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि आदिवासी समुदाय हेमंत सोरेन सरकार की आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ है. बबलू मुंडा ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने पिछले पांच सालों में आदिवासी समाज को गर्त में भेजने का काम किया है. निरंजना हेरेंज, कुंदरसी मुंडा व प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि सरकार आदिवासियों के मुद्दों और मांगों को लेकर संवेदनशील नहीं है.

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