वरीय संवाददाता, रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने प्रतिबंधित सूची की जमीन बताते हुए रजिस्ट्री पर रोक को लेकर रांची के उपायुक्त के आदेश से संबंधित मामले में राज्य सरकार की ओर से दायर अपील याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान अपीलकर्ता व प्रतिवादी का पक्ष सुना. इसके बाद राज्य सरकार की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई मेरिट नहीं है. साथ ही 50,000 रुपये का हर्जाना भी लगाया. हर्जाने की राशि मामले के प्रतिवादी अर्थात प्रबुद्ध नगर सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड को चार सप्ताह के अंदर भुगतान करने का निर्देश दिया गया. खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए अपने फैसले में कहा कि एकल पीठ ने टाइटल सूट-170/1998 में सिविल कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले पर सही ढंग से भरोसा किया था, जिसे द्वितीय अपील तक पुष्टि की गयी थी. छह नवंबर 2020 को इस विषयगत भूमि को गैर हस्तांतरणीय भूमि की श्रेणी में रखा गया और उक्त भूमि के संबंध में हस्तांतरण डीड की रजिस्ट्री को प्रतिबंधित किया गया था. क्या है मामला : रांची के उपायुक्त ने छह नवंबर 2020 को एक जमीन को गैर हस्तांतरित श्रेणी में रखते हुए उसकी रजिस्ट्री पर रोक लगायी थी. इस मामले में राज्य सरकार टाइटल सूट में हार गयी थी. उसके बाद सरकार की प्रथम अपील 23 सितंबर 2015 को खारिज हो गयी. फिर सरकार की ओर से द्वितीय अपील दाखिल की गयी, जो 20 दिसंबर 2019 को कोर्ट में सरकार के अधिवक्ता की उपस्थित नहीं होने के कारण खारिज हो गयी थी. इसके बाद भी उपायुक्त ने छह नवंबर 2020 को उक्त जमीन को गैर हस्तांतरित श्रेणी (प्रतिबंधित सूची) में रखते हुए रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी. जिसे प्रबुद्ध नगर सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी. एकल पीठ ने प्रबुद्ध नगर की सहकारी गृह निर्माण समिति के पक्ष में फैसला दिया था, जिसे सरकार ने अपील याचिका दायर कर चुनौती दी थी.
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