रांची. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों के आतंक को लेकर स्वत: संज्ञान के तहत दर्ज मामले की सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर के आवासीय इलाकों से आवारा कुत्तों को दूर करने के आदेश दिये. साथ ही इस कार्य को रोकनेवाले किसी भी संगठन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है. यह घटनाक्रम राजधानी रांची के लिए भी प्रासंगिक है, क्योंकि महज दो साल में यहां डॉग बाइट के बाद एंटी रेबीज का इंजेक्शन लेनेवालों की तादाद 59 प्रतिशत तक बढ़ गयी है. रांची सदर अस्पताल के उपलब्ध आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. जानकारी के अनुसार, दो साल पहले वर्ष 2023 के अगस्त माह में शहर में कुत्तों के काटने के बाद 4,715 लोग रांची सदर अस्पताल में एंटी रेबीज का इंजेक्शन लेने पहुंचे थे. वहीं, मौजूदा साल में अगस्त महीने में अब तक 7,503 लोगों ने सदर अस्पताल में डॉग बाइट के बाद एंटी रेबीज का इंजेक्शन लिया है. इससे पहले इस साल जून में सदर अस्पताल में एंटी रेबीज का इंजेक्शन लेनेवालों की संख्या 6,815 थी.
बच्चों का स्कूल जाना और गली में खेलना तक दूभर
राजधानी में साल दर साल डॉग बाइट के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हालत यह है कि शहर के कई इलाकों में छोटे बच्चों के लिए स्कूल जाना और गली में खेलना तक दूभर हो गया है. डॉग बाइट के शिकार कई बच्चे तो इतनी गंभीर अवस्था में सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं कि उन्हें डे केयर में भर्ती कर इलाज करना पड़ रहा है. इसके बावजूद रांची नगर निगम आवारा कुत्तों पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.राजधानी में रोजाना हो रही 18-20 कुत्तों की नसबंदी
‘होप एंड एनिमल ट्रस्ट’ राजधानी में आवारा कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन पर काम कर रही है. संस्था के मुताबिक वर्ष 2007 से ही राजधानी में स्ट्रीट डॉग की नसबंदी का काम हो रहा है. अब तक संस्था ने शहर के 1.33 लाख से अधिक स्ट्रीट डॉग की नसबंदी की है. रोजाना संस्था द्वारा चुटिया में 18-20 स्ट्रीट डॉग का नसबंदी की जाती है. लेकिन, नसबंदी के बाद आवारा कुत्तों को रखने की कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं है.अपने पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन नहीं करते ओनर
अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, रांची नगर निगम क्षेत्र में करीब 11 हजार पालतू कुत्ते हैं. हालांकि, कुत्ता पालने के शौकीन लोग इसकी जानकारी रांची नगर निगम से साझा करने और अपने पालतू कुत्ते का रजिस्ट्रेशन कराने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाते हैं. वहीं, नियमानुसार पालतू कुत्ते का वैक्सीनेशन कराना जरूरी होता है. इसके बाद पालतू कुत्ते के ओनर को वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट भी दिया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

