विशेष संवाददाता (रांची). मनी लाउंड्रिंग मामले में गिरफ्तार झारखंड के पूर्व मंत्री सह कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम की जमानत याचिका शुक्रवार को पीएमएलए की विशेष अदालत ने खारिज कर दी. याचिका रद्द करते हुए पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा ने अपने फैसले में लिखा : मनी लाउंड्रिंग के मामले में जेल ही नियम है, बेल अपवाद है. उल्लेखनीय है कि पूर्व मंत्री को 15 मई को गिरफ्तार किया गया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मनी लाउंड्रिंग एक ऐसा अपराध है, जो राष्ट्र के आर्थिक हित के लिए खतरा है. इसे अपराधियों द्वारा सुनियोजित साजिश रच कर और जान बूझ कर व्यक्तिगत लाभ के लिए अंजाम दिया जाता है. चाहे देश या समाज की अर्थव्यवस्था पर इसका कोई भी असर क्यों न पड़े? इसका पता लगाना इतना आसान नहीं है. इसलिए कई न्यायिक फैसलों में यह माना गया है कि मनी लाउंड्रिंग करनेवालों के लिए जेल ही नियम है, जमानत अपवाद.
यह नहीं माना जा सकता कि याचिकादाता प्रथम दृष्टया दोषी नहीं
कोर्ट ने कहा कि इडी द्वारा पेश साक्ष्य को पीएमएलए की धारा 45(1) के प्रावधानों के आलोक में यह नहीं माना जा सकता कि याचिकादाता प्रथम दृष्टया दोषी नहीं है. यह भी नहीं माना जा सकता है कि जमानत पर रहते हुए याचिकादाता द्वारा कोई अपराध नहीं किया जायेगा. याचिकादाता एक प्रभावशाली व्यक्ति है. इससे इसकी आशंका है कि वह सबूतों को छिपाने या निदेशालय के गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की करेगा, क्योंकि लोक सेवक होने के नाते गवाह उसके अधीन काम करते थे.आलमगीर की ओर से कहा गया : वह अभियुक्त नहीं
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आलमगीर आलम की ओर से यह कहा गया था कि जिस प्राथमिकी के आधार पर इसीआइआर दर्ज की गयी है, उसमें वह अभियुक्त नहीं हैं. इडी ने जो सबूत पेश किये हैं, उसमें डायरी के पन्नों में लिखे गये कोड वर्ड भी शामिल हैं, जिसमें कमीशन देने का उल्लेख है. किसी भी व्यक्ति द्वारा अपनी डायरी में कोई कोड वर्ड लिख कर उसके आगे कोई रकम लिख देने से उस व्यक्ति को दोषी नहीं माना जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है