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महुआ के व्यापार के लिए लाइसेंस देने की तैयारी

रांची : राज्य में शराब का खुदरा व्यवसाय अपने हाथों में लेने के बाद सरकार ने महुआ के व्यापार को भी नियंत्रित करने का फैसला किया है. राज्य में बिना अनुमति महुआ का भंडारण या व्यापार अवैध घोषित करने पर विचार किया जा रहा है. उत्पाद विभाग ने महुआ के व्यापार का अध्ययन कराया है. […]

रांची : राज्य में शराब का खुदरा व्यवसाय अपने हाथों में लेने के बाद सरकार ने महुआ के व्यापार को भी नियंत्रित करने का फैसला किया है. राज्य में बिना अनुमति महुआ का भंडारण या व्यापार अवैध घोषित करने पर विचार किया जा रहा है. उत्पाद विभाग ने महुआ के व्यापार का अध्ययन कराया है. अध्ययन में पता चला है कि देश में महुआ की सबसे बड़ी मंडी झारखंड है.

रांची से ही पूरे देश में महुआ की कीमत तय की जाती है. इसके बाद उत्पाद विभाग ने शराब के व्यापार की तरह ही महुआ की खरीद-बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करने की कार्यवाही शुरू की है. लाइसेंस देने के एवज में उत्पाद विभाग शुल्क वसूलेगा. प्रस्ताव को कैबिनेट की अनुमति मिलने के बाद इसे लागू किया जा सकेगा. फिलहाल, राज्य में महुआ के व्यापार के लिए किसी तरह का लाइसेंस या टैक्स का प्रावधान नहीं है.

2015 में खारिज : 2015 में विभाग ने झारखंड उत्पाद (महुआ फूल) नियंत्रण नियमावली 2015 तैयार की थी. एक घर में 15 किलोग्राम से अधिक भंडारण को अपराध (अवैध) माना गया था. महुआ का भंडारण करने के लिए उत्पाद विभाग से लाइसेंस लेने का प्रावधान किया गया था. इससे 122 करोड़ रुपये का राजस्व मुनाफा होने का अनुमान लगाया गया था. लाइसेंसधारी भंडारकों (व्यापारियों) को महुआ बेचने का हिसाब उत्पाद विभाग को देना अनिवार्य किया गया था. परंतु, तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गौबा ने प्रस्ताव खारिज करते हुए नियमावली वापस लौटा दी थी.
महुआ पर केंद्रित है राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था
झारखंड के ग्रामीणों के एक बड़े तबके की अर्थव्यवस्था महुआ के व्यापार पर केंद्रित है. महुआ चुन कर उसे सुखाना, बेचना और चुआना राज्य के कई गांवों में होता है. हजारों लोग इससे जुड़े हैं. उत्पाद विभाग का अनुमान है कि केवल रांची में हर महीने एक लाख 80 हजार एलपी लीटर महुआ चुआयी जाती है. व्यापारी झारखंड के अलावा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से भी महुआ की खरीद-बिक्री करते हैं. महुआ से शराब बनायी जाती है, लेकिन उस पर राज्य सरकार को कर के रूप में कुछ नहीं मिलता.

Prabhat Khabar Digital Desk
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