सरेंडर एवं पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के पारा-3.1 में साफ लिखा हुआ है कि योजना केवल उन पर ही लागू होगी, जिनकी पहचान विशेष शाखा द्वारा की गयी है. पारा-3.4 में यह लिखा है कि विशेष शाखा की सत्यापन रिपोर्ट ही मानक होगी. वहीं, पारा-पांच में यह साफ किया गया है कि सरेंडर को स्वीकार करने का निर्णय स्क्रिनिंग कमेटी के द्वारा लिया जायेगा. जिला स्तर पर एसपी कमेटी के अध्यक्ष होते हैं. सदस्य के रूप में एडीजी विशेष शाखा और जिला के डीसी एक-एक पदाधिकारी को मनोनीत करते हैं. सूत्रों ने बताया कि 17 अक्तूबर को पीएलएफआइ के कथित नौ उग्रवादियों को सरेंडर कराने से पहले इनमें से किसी नियम का पालन नहीं किया गया. गृह विभाग के उप सचिव शेखर जमुआर ने आयु हेरेंज को बाल आरक्षी में नियुक्ति से संबंधित संचिका पर साफ लिखा है कि सरेंडर के लिए यह जरूरी हो कि उग्रवादी या अपराधी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 व 83 के तहत फरार घोषित किया जा चुका हो.
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नियम की अनदेखी: स्क्रिनिंग कमेटी को नहीं दी जानकारी, सत्यापन के बिना ही कराया था नौ उग्रवादियों का सरेंडर
रांची: चाईबासा पुलिस ने पीएलएफआइ के जिन नौ कथित उग्रवादियों को 17 अक्तूबर को सरेंडर कराया था, उनका सत्यापन नहीं कराया गया था. न ही उसे स्क्रिनिंग कमेटी के समक्ष लाया गया था. आयु हेरेंज को बाल आरक्षी के पद पर नियुक्ति से संबंधित संचिका पर गृह विभाग ने विशेष शाखा के पत्र के आधार […]
रांची: चाईबासा पुलिस ने पीएलएफआइ के जिन नौ कथित उग्रवादियों को 17 अक्तूबर को सरेंडर कराया था, उनका सत्यापन नहीं कराया गया था. न ही उसे स्क्रिनिंग कमेटी के समक्ष लाया गया था. आयु हेरेंज को बाल आरक्षी के पद पर नियुक्ति से संबंधित संचिका पर गृह विभाग ने विशेष शाखा के पत्र के आधार पर टिप्पणी की है. टिप्पणी में कहा गया है कि नौ में से मात्र एक अपराधी था और शेष आठ उग्रवादी तो क्या अपराधी भी नहीं थे.
सरेंडर एवं पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के पारा-3.1 में साफ लिखा हुआ है कि योजना केवल उन पर ही लागू होगी, जिनकी पहचान विशेष शाखा द्वारा की गयी है. पारा-3.4 में यह लिखा है कि विशेष शाखा की सत्यापन रिपोर्ट ही मानक होगी. वहीं, पारा-पांच में यह साफ किया गया है कि सरेंडर को स्वीकार करने का निर्णय स्क्रिनिंग कमेटी के द्वारा लिया जायेगा. जिला स्तर पर एसपी कमेटी के अध्यक्ष होते हैं. सदस्य के रूप में एडीजी विशेष शाखा और जिला के डीसी एक-एक पदाधिकारी को मनोनीत करते हैं. सूत्रों ने बताया कि 17 अक्तूबर को पीएलएफआइ के कथित नौ उग्रवादियों को सरेंडर कराने से पहले इनमें से किसी नियम का पालन नहीं किया गया. गृह विभाग के उप सचिव शेखर जमुआर ने आयु हेरेंज को बाल आरक्षी में नियुक्ति से संबंधित संचिका पर साफ लिखा है कि सरेंडर के लिए यह जरूरी हो कि उग्रवादी या अपराधी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 व 83 के तहत फरार घोषित किया जा चुका हो.
एक ही तरह के ड्रेस, जूते व टोपी के साथ किया था सरेंडर
चाईबासा के एसपी माइकल एस राज ने 17 अक्तूबर को डीजीपी के समक्ष जिस तरह नौ कथित पीएलएफआइ के उग्रवादियों को सरेंडर कराया था, उससे उसी दिन कई सवाल खड़े होने लगे थे. उग्रवादियों के जूते, ड्रेस व टोपी एक जैसी थीं. इतना ही नहीं सभी के जूते व ड्रेस बिल्कुल नयी और साफ-सुथरी थी. तभी यह सवाल उठा था कि क्या उग्रवादियों ने सरेंडर करने से पहले बाजार से जाकर जूता, टोपी व ड्रेस की खरीदारी की थी. सरेंडर कराने के लिए पुलिस मुख्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम में सरेंडर करनेवाले उग्रवादियों के साथ डीजीपी डीके पांडेय, एडीजी मुख्यालय अजय भटनागर, एडीजी ट्रेनिंग अनिल पाल्टा, आइजी प्रोविजन आरके मल्लिक, आइजी अभियान एमएस भाटिया, कोल्हान प्रमंडल के डीआइजी शंभु प्रसाद और चाईबासा के एसपी माइकल एस राज ने तसवीरें खिंचवायी थीं.
क्या है सरेंडर करनेवालों की योग्यता
योजना केवल उन्हीं उग्रवादियों पर लागू होगी, जिन्हें उग्रवादी संगठन के दस्ते के सदस्य या उसके ऊपर के पदधारक के रूप में विशेष शाखा द्वारा पहचान की गयी हो.
साधारणत: विशेष शाखा का प्रत्यर्पण संबंधी सभी पहलुओं का सत्यापन ही एक मात्र मानक होगा, किंतु विशेष परिस्थिति में किसी भी प्रस्ताव के तथ्यों का सत्यापन सरकार अन्य स्रोतों से भी करा सकती है.
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