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शिक्षक नियुिक्त : अयोध्या पांडेय को आठ माह में भी नहीं पकड़ सकी पुलिस, फरजी सर्टिफिकेट बनानेवाले गिरोह का है सरगना

झारखंड में पिछले साल हुई शिक्षकों की नियुक्ति में फरजी प्रमाण पत्र के कई मामले आये. कोडरमा, गिरिडीह और हजारीबाग से कई ऐसे अभ्यर्थी पकड़े गये, जिनके पास फरजी प्रमाण पत्र थे. जांच के क्रम में पता चला कि गिरिडीह के अयोध्या पांडेय नामक व्यक्ति ने इनका फरजी प्रमाण पत्र बनाया था. अयोध्या पांडेय फरजी […]

झारखंड में पिछले साल हुई शिक्षकों की नियुक्ति में फरजी प्रमाण पत्र के कई मामले आये. कोडरमा, गिरिडीह और हजारीबाग से कई ऐसे अभ्यर्थी पकड़े गये, जिनके पास फरजी प्रमाण पत्र थे. जांच के क्रम में पता चला कि गिरिडीह के अयोध्या पांडेय नामक व्यक्ति ने इनका फरजी प्रमाण पत्र बनाया था. अयोध्या पांडेय फरजी प्रमाण पत्र बनाने का गिरोह चलता है. सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पूरे नवनियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच का आदेश दे दिया. पर प्राथमिकी दर्ज हुए आठ माह हो गया, पुलिस अयोध्या पांडेय को पकड़ नहीं सकी है.

सुनील कुमार झा

रांची : राज्य के प्राथमिक व मध्य विद्यालय में फरजी प्रमाण पत्र के आधार पर बड़े पैमाने पर शिक्षकाें की नियुक्ति की बात कही जा रही है. प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान कई मामले सामने भी आये हैं. पर फरजी प्रमाण पत्र बनानेवाले अयोध्या पांडेय को पुलिस अब तक पकड़ नहीं पायी. जांच के क्रम में धनबाद के नौ नवनियुक्त शिक्षकों के जेटेट के प्रमाण पत्र फरजी पाये गये.

वहीं, 135 के प्रमाण पत्र संदिग्ध पाये गये. कोडरमा में पूर्व में ही छह नवनियुक्त शिक्षकों के जेटेट के प्रमाण पत्र फरजी मिले. हजारीबाग में भी तीन मामले सामने आये. शिक्षक नियुक्ति के दौरान हो रहे काउंसेलिंग के दौरान भी 100 से अधिक अभ्यर्थी फरजी प्रमाण पत्र के साथ पकड़े गये थे. इनमें अधिकतर ने पूछताछ में खुलासा किया था कि उनका फरजी प्रमाण पत्र कोडरमा के सतगावां से अयोध्या पांडेय ने बनाया था. इसके बाद पिछले वर्ष नवंबर में अयोध्या पांडेय के खिलाफ गिरिडीह टाउन थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. पर आठ माह बाद भी पुलिस उसे पकड़ नहीं पायी. हालांकि गिरिडीह स्थित उसके घर को कुर्क जरूर किया गया.

सीमावर्ती जिलों में सक्रिय : फरजी प्रमाण पत्रों के साथ पकड़े गये अधिकतर अभ्यर्थी कोडरमा के गांवा और गिरिडीह के जमुआ के हैं. अयोध्या पांडेय भी इसी इलाके में सक्रिय है. प्राथमिकी दर्ज होने से पहले अयोध्या पांडेय गिरिडीह के पचंबा स्थित मोहनपुर में अपना ठिकाना बनाये हुए था. उसके गिरोह के सदस्य राज्य के सीमावर्ती जिलों में सक्रिय हैं. गिरोह शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक योग्यता का प्रमाण पत्र बनाता है. इससे पहले अयोध्या पांडेय गिरिडीह जिले के जमुआ थाना क्षेत्र के लताकी व मोहनपुर और कोडरमा जिले के सतगावां में फरजी प्रमाण पत्र बनाने का काम करता था. एक प्रमाण पत्र के लिए 20 से 50 हजार रुपये तक लेता था.

सत्यापन की भी गारंटी : यह गिरोह फरजी प्रमाण पत्र बनाने के साथ-साथ उसे संबंधित बोर्ड से सत्यापित कराने की भी गारंटी देता है. संबंधित बोर्ड व विश्वविद्यालय के पदाधिकारी व कर्मी से सेटिंग होती है़ जिस शिक्षण संस्थान में उसकी सेटिंग होती है, उसके लिए अलग से पैसा लेता है. जानकार बताते हैं कि अयोध्या पांडेय के बनाये प्रमाण पत्र के अाधार पर राज्य में काफी संख्या में लोग शिक्षक बने हैं. अयोध्या पांडेय के पकड़े जाने पर ऐसे लोगों का नाम सामने आयेगा.

शिक्षक नियुक्ति में फरजी प्रमाण पत्र के साथ पकड़े गये हैं कई अभ्यर्थी

कौन है अयोध्या पांडेय

अयोध्या पांडेय मूल रूप से कोडरमा के सतगावां का रहनेवाला है़ कोडरमा स्थित उसके पैतृक आवास पर ताला बंद रहता है़ वह अपने पूरे परिवार के साथ गिरिडीह के बोड़ो में रहता है. फरजी प्रमाण पत्र बनाने के गिरोह का सरगना अयोध्या पांडेय कोडरमा में एक संस्कृत स्कूल चलाता था़ झारखंड गठन के बाद स्कूल की मान्यता समाप्त हो गयी. गिरिडीह शिफ्ट होने के बाद उसने अपने घर में एक निजी स्कूल चलाना शुरू किया. स्कूल से विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल कराने का काम करता था. इसके बाद उसने फरजी प्रमाण पत्र बनाने का काम शुरू कर दिया.

नहीं पकड़ा गया रांची विवि का पूर्व वित्त पदाधिकारी

रांची विश्वविद्यालय के पूर्व वित्त पदाधिकारी सुशील कुमार सिन्हा को भी पुलिस आज तक नहीं पकड़ सकी. उन पर विवि की लगभग तीन करोड़ की राशि के गबन का आरोप है. वर्ष 2010 में उनके खिलाफ कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. पुलिस ने उनके घर की कुर्की -जब्ती भी की थी.

100 से अधिक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फरजी मिले थे शिक्षक नियुक्ति काउंसेलिंग के दौरान विभिन्न जिलों में

फरजी प्रमाण पत्र का मामला सामने आने के बाद कोडरमा के पचंबा के 36 में से 31 और गांवा के 35 में से 25 अभ्यर्थी पकड़े जाने के डर से काउंसेलिंग में नहीं पहुंचे. ये सभी मेधा लिस्ट में टॉप पर थे

…उधर बिहार में

40 दिन में गिरफ्तार हो गये टॉपर घोटाले के आरोपी

10 मई : इंटर साइंस का रिजल्ट आया

28 मई : इंटर आर्ट्स का रिजल्ट आया

31 मई : साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ और आर्ट्स रूबी राय का इंटरव्यू आया सामने. इसमें रूबी ने पॉलिटिकल साइंस को खाना बनाने वाले विषय’पोडिकल साइंस’ बताया. जबकि सौरभ पीरियोडिक टेबल में एक्टिव तत्वों के नाम और पानी का रासायनिक सूत्र बताने में विफल रहा.

1 जून : विशुन राय कॉलेज के ही 222 छात्र आये टॉपर लिस्ट में. जांच में एक जैसी निकली सभी टॉपरों की हैंडराइटिंग.

2 जून : सौरभ व रूबी के रिजल्ट पर रोक. कॉपियों की फिर से जांच का आदेश

3 जून: टॉपरों का बंद कमरे में फिर से लिया गया टेस्ट, आर्ट्स टॉपर रूबी राय नहीं आयी

4 जून : दो टॉपरों रूबी और सौरभ का रिजल्ट रद्द हुआ. बच्चा राय के वीआर कॉलेज की मान्यता निलंबित. कदाचार जांच समिति की रिपोर्ट आयी.

5 जून : दो जांच कमेटी का गठन

6 जून . टॉपर घोटाले को लेकर शहर के कोतवाली थाने में एफआइआर

7 जून : बोर्ड के अध्यक्ष से हुई पूछताछ, कंप्यूटर और लैपटॉप किया गया जब्त. बोर्ड ने माना, टॉपर की कॉपी के साथ

हुई थी छेड़छाड़.

8 जून : बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह हटाये गये.

9 जून : लालकेश्वर व बच्चा पर एफआइआर. वीआर कॉलेज में छापा और सील.

10 जून : वैशाली डीइओ हिरासत में, पांच आरोपी भेजे गये जेल. राजदेव राय डिग्री कॉलेज में भी छापेमारी और सील.

11 जून : वैशाली से बच्चा राय गिरफ्तार

12 जून : पूर्व विधायक और लालकेश्वर की पत्नी उषा सिन्हा पर भी एफआइआर. बच्चा समेत 3 भेजे गये जेल

बिहार बोर्ड के दो कर्मचारी गिरफ्तार.

20 जून : उषा व लालकेश्वर वाराणसी से अपने बेटे के साढ़ू के घर से गिरफ्तार

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