जिन कंपनियों की बॉटलिंग का ठेका शराब माफिया को नहीं मिलता, उनका माल नहीं बिकने की बात कह कर उसका उठाव नहीं किया जाता. ऐसे ब्रांड की शराब की आपूर्ति झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन नहीं करता. उत्पाद विभाग द्वारा शराब कंपनियों को लाइसेंस भी नहीं दिये जाने की शिकायत है.
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शराब का खेल – 3 : बिकते हैं शराब माफिया को मुनाफा देने वाले ब्रांड
रांची: झारखंड में पसंदीदा शराब खरीदना मुश्किल काम है. राज्य में शराब माफिया को मुनाफा पहुंचाने वाले ब्रांड ही बिकते हैं. राज्य के ज्यादातर जिलों में केवल उसी ब्रांड की शराब बिकती है, जिसकी बॉटलिंग का ठेका शराब माफिया के पास है. जिन कंपनियों की बॉटलिंग का ठेका शराब माफिया को नहीं मिलता, उनका माल […]
रांची: झारखंड में पसंदीदा शराब खरीदना मुश्किल काम है. राज्य में शराब माफिया को मुनाफा पहुंचाने वाले ब्रांड ही बिकते हैं. राज्य के ज्यादातर जिलों में केवल उसी ब्रांड की शराब बिकती है, जिसकी बॉटलिंग का ठेका शराब माफिया के पास है.
नहीं मिलती बढ़िया ब्रांड की शराब
झारखंड में बिकने वाली मध्यम स्तर की शराब कंपनियों का बॉटलिंग प्लांट शराब माफिया के पास है. राज्य में शराब की बॉटलिंग करने वाली कई दर्जन कंपनियां हैं. बावजूद इसके दो या तीन कंपनियों को छोड़ कर अन्य ब्रांड की शराब दुकानों में उपलब्ध नहीं है. रॉयल चैलेंज, सिगAेचर, व्हाइट फिसचीफ, मैकडॉवल, डायरेक्टर स्पेशल जैसे मध्यम स्तर की शराब पूरे राज्य में आसानी से उपलब्ध है. जबकि ब्लैक डॉग, वैट-69, 100 पाइपर्स जैसी बढ़िया ब्रांड की शराब दुकानों पर आसानी से नहीं मिलती. मजबूरी में लोगों को शराब माफिया को मुनाफा पहुंचाने वाले ब्रांड ही लेना हाता है.
नकली शराब का धंधा भी जोरों पर
शराब माफिया और उत्पाद अधिकारी गंठजोड़ के कारण नकली शराब का धंधा भी राज्य में खूब चलता है. झारखंड में नकली शराब बनाने वाली 50 से अधिक छोटी-बड़ी फैक्टरियां हैं. शराब के लगभग हर ब्रांड का डुप्लीकेट तैयार किया जाता है. डुप्लीकेट शराब भी असली शराब की तरह स्प्रीट से ही बनती है. लेकिन, जहां असली शराब बनाने के लिए शराब कंपनियां अपने पास विशेषज्ञों (केमिस्ट और ब्लेंडिंग एक्सपर्ट) की फौज होती है, वहीं, नकली शराब बनाने में विशेषज्ञ तो दूर किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति की सहायता भी जरूरी नहीं समझी जाती. इस्तेमाल किये गये बोतलों में भर कर नकली शराब बाजार में उतार दी जाती है. नकली शराब के निर्माण के दौरान उसमें मौजूद स्प्रीट की मात्र या उसकी गुणवत्ता की जांच करने का कोई उपाय निर्माता के पास नहीं होता है. ऐसे में नकली शराब के जहरीली होने की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है.
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