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अबुल कलाम आजाद ने अंगरेजी शिक्षा को भारतीय पद्धति में ढाला

वरीय संवाददाता, रांचीमौलाना अबुल कलाम आजाद ने शिक्षा मंत्री रहते हुए अंगरेजी पद्धति से दी जानेवाली शिक्षा में सुधार की और इसे भारतीय पद्धति में ढाला. उन्होंने प्रारंभिक, मध्य व उच्चतम शिक्षा के अलावा तकनीकी शिक्षा की बुनियाद भी डाली. उक्त बातें मुख्य अतिथि डॉ एसके त्रिपाठी ने कही. वे रविवार को अंजुमन इसलामिया की […]

वरीय संवाददाता, रांचीमौलाना अबुल कलाम आजाद ने शिक्षा मंत्री रहते हुए अंगरेजी पद्धति से दी जानेवाली शिक्षा में सुधार की और इसे भारतीय पद्धति में ढाला. उन्होंने प्रारंभिक, मध्य व उच्चतम शिक्षा के अलावा तकनीकी शिक्षा की बुनियाद भी डाली. उक्त बातें मुख्य अतिथि डॉ एसके त्रिपाठी ने कही. वे रविवार को अंजुमन इसलामिया की ओर से मदरसा शिक्षा पद्धति व वर्तमान चुनौती विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इसलामी शिक्षा पद्धति के साथ-साथ जदीद शिक्षा पद्धति की भी आवश्यकता है. इसलिए मदरसों में दी जानेवाली शिक्षा में आधुनिक तरीके से शिक्षा देना वर्तमान समय के लिए जरूरी हो गया है. विशिष्ट अतिथि प्रो मिथिलेश ने कहा कि हमें सकारात्मक शिक्षा प्राप्त करने की जरूरत है केवल नौकरी प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि इंसानियत को भी बचाये रखने के लिए इसे ग्रहण करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा के जरिये दूसरों की मदद करनी चाहिए. अध्यक्ष इबरार अहमद ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. उन्होंने कहा कि मजहब हमें अच्छा काम करने को प्रेरित करता है. सेमिनार में राज कुमार बबलू टाइगर व ग्यासुउद्दीन मुन्ना ने भी अपने विचार व्यक्त किये. संचालन मौलाना हम्माद कासमी ने किया. मोख्तार अहमद ने धन्यवाद ज्ञापन व मौलाना सलाहउद्दीन की दुआ के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ. इससे पूर्व मदरसा इसलामिया के छात्र अब्दुल कुद्दुस के तेलावते कलाम पाक से कार्यक्रम शुरू हुआ. सरताज ने नात शरीफ पढ़ा, प्राचार्य रिजवान कासमी ने भी अपनी बातें रखी. पूर्व डीडीसी हसीब अख्तर ने मौलाना आजाद के रांची प्रवास के दौरान किये गये कार्यों की जानकारी दी.

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