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Political news : झारखंड को नहीं मिल रही 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि

केंद्र की आपत्ति के बाद राज्य ने भेजी स्पष्टीकरण रिपोर्ट. 15वें वित्त आयोग की ₹2736 करोड़ की अनुदान राशि अटकी.

रांची.

झारखंड को वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि अब तक नहीं मिली है. केंद्र सरकार के पंचायत राज मंत्रालय ने राज्य को भेजे पत्र में कई तकनीकी बिंदुओं पर आपत्ति जतायी है. इस कारण 2024-25 के लिए 1,385 करोड़ और 2025-26 के लिए 1,351 करोड़ रुपये की अनुदान राशि अटकी हुई है.

भारत सरकार के पंचायत राज मंत्रालय ने झारखंड को चार प्रमुख बिंदुओं का अनुपालन करने को कहा था. इन बिंदुओं में 2023-24 की गैर उपयोगी राशि की जीटीसी रिपोर्ट भेजना, 021-22 का ऑडिट पूरा कर रिपोर्ट देना, राज्य वित्त आयोग का गठन करना व पंचायती राज संस्थाओं में पैनल मद की राशि समायोजित कर जीटीसी उपलब्ध कराना शामिल है. इन चारों शर्तों का पालन झारखंड सरकार ने 20 मई 2025 को कर लिया था और इसकी रिपोर्ट केंद्र को भेज दी थी. इसके बाद केंद्र ने 10 अक्टूबर 2025 को एक और नयी शर्त जोड़ दी, जिसमें 14वें वित्त आयोग की बची राशि को 15वें वित्त आयोग की उपलब्ध राशि से 10 प्रतिशत कम दिखाने की बात कही गयी. हालांकि, यह मूल नियमों में शामिल नहीं है.

राज्य ने दोबारा मांगा अनुदान

केंद्र की आपत्ति के बाद झारखंड ने 10 सितंबर, 14 नवंबर और 25 नवंबर 2025 को पत्र भेज कर 1,385 करोड़ रुपये की अनुदान राशि जारी करने का औपचारिक अनुरोध दोहराया है. लेकिन, मंत्रालय की नयी टिप्पणी के कारण अब तक अनुदान जारी नहीं किया जा रहा है. झारखंड सरकार के मुताबिक, यह राशि पंचायतों के खातों में पहले से मौजूद है और व्यावहारिकता के आधार पर मंत्रालय से अनुरोध कर ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर पुराना दायित्व साफ कर नयी राशि दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गयी. राज्य सरकार ने इस संबंध में मंत्रालय को कई पत्र भेजकर स्पष्टीकरण दिया है.

निकायों व पंचायतों को 40:60 के अनुपात में राशि बांटने का निर्णय

झारखंड सरकार ने 16 अक्टूबर 2025 को राज्य वित्त आयोग का गठन कर दिया था. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पंचायतों और नगर निकायों के बीच 40:60 अनुपात से धनराशि बांटे जाने का निर्णय लिया गया है. आयोग की अनुशंसा के तहत 2024-25 के लिए 658.02 करोड़ रुपये व 2025-26 के लिए 669.33 करोड़ रुपये पंचायतों व निकायों को दिये जाने का प्रस्ताव है. इसके अलावा पंचायतों के वार्षिक अनुदान में 80 करोड़ रुपये को विशेष रूप से शामिल किया गया है. राज्य सरकार अब पंचायतों के खातों को सक्रिय कर अनुदान हस्तांतरण की औपचारिक प्रक्रिया आगे बढ़ा रही है.

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