रांची : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन मधुकर भागवत ने कहा है कि भारत को तरक्की के रास्ते पर ले जाने की जिम्मेवारी और जवाबदेही हिंदुओं पर है. और हिंदुओं को संगठित करने के अलावा संघ का कोई दूसरा काम नहीं है. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व के भाव से ही राष्ट्रीय भावना को प्रबल करते हुए एक समतामूलक और शोषणरहित समाज की स्थापना हो सकती है. विश्व में फैलती कट्टरता विश्व शांति के लिए घातक है. हिंदू चिंतन में ही वैश्विक शांति का भाव है. संघ प्रमुख ने गुरुवार को झारखंड की राजधानी रांची के मोरहाबादी में स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण में ये बातें कहीं.

संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों, भाजपा के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदुत्व के भाव से राष्ट्रीय भावना को प्रबल करते हुए एक समतामूलक और शोषणरहित समाज की स्थापना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि संघ की नीतियां और कार्यपद्धति समाज के लिए अनुकरणीय है. इसका यह अर्थ नहीं कि संघ सभी मामलों में हस्तक्षेप करता है. ऐसा लोग कहते हैं, इमरान खान भी कहते हैं, लेकिन स्वयंसेवक अपने उद्देश्य के प्रति संकल्पित है.

मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों से अपील की कि अपनी संस्कृति पर गर्व करते हुए देश को परम वैभव तक पहुंचाने के लिए काम करें. भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए संघ सभी लोगों को साथ लेकर चलता है. स्वयंसेवक समाज में एक आदर्श पेश करें. संघ की नित्य शाखा से ही वे समाज का आदर्श बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि संघ के भाषणों से ही भारत विश्वगुरु बनेगा ऐसा नहीं है. शाखा की नित्य साधना को व्यवहार में उतारना होगा.

श्री भागवत ने कहा कि जब आप राष्ट्र निर्माण का काम करेंगे, तो न तो कोई आपको धन्यवाद देगा, न ही आभार प्रकट करेगा. देश हमें सब कुछ देता है. हम भी तो देश को कुछ दें. देश को कुछ देना सीखें. श्री भागवत ने कहा कि समाज में कोई भी आपत्ति-विपत्ति आये, संघ के स्वयंसेवकों को दौड़कर आगे आना चाहिए. हमारा समाज संपूर्ण विश्व को कुटुंब मानता है, इस धारणा को समाज में स्थापित करना होगा. सरसंघचालक के संबोधन से पहले स्वयंसेवकों ने योग व्यायाम, दंड प्रहार, सूर्य नमस्कार आदि का प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, रांची के सांसद संजय सेठ समेत कई भाजपा के कई नेता पूर्ण गणवेश में मौजूद थे.
