बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाने वाला जदयू झारखंड में भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़ रहा है. झारखंड विधानसभा चुनाव में जदयू ने पक्ष-विपक्ष किसी के भी साथ जाने और चुनाव पूर्व गठबंधन में जाने से परहेज किया है और स्वतंत्र रूप से लगभग आधे सीटों पर चुनाव लड़ रहा है.
झामुमो-कांग्रेस ही नहीं भाजपा को प्रमुख प्रतिद्वंदी मानकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू चुनावी ताल ठोक रहे हैं. खुद भी वे दो विधानसभा क्षेत्र कोलहान के मझगांव और संताल परगना के शिकारीपाड़ा विधानसभा जो अजजा के लिए सुरक्षित है, उस क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. अगली सरकार के गठन में जदयू की महत्वपूर्ण भूमिका होने का दावा कर रहे सालखन मुर्मू से राज्य के राजनीतिक परिदृश्य, चुनाव के बाद के हालात-संभावनाओं पर विस्तार से बात की प्रभात खबर दुमका के संवाददाता आनंद जायसवाल ने.
Qकिन मुद्दों को लेकर जदयू चुनाव मैदान में जा रहा है?
देखिये, मैं राजनीति में मुद्दों को बहुत अहम मानता हूं. झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों के लिए ही हम राजनीति में आये हैं. हासा-भाषा हमारा मूल एजेंडा और हमारी राजनीति की धुरी है. एसपीटी-सीएनटी कानून बिरसा और सिदो-कान्हू मुर्मू के संघर्ष की बदौलत बना.
हम उसका सख्ती से पालन कराने के पक्षधर हैं. सांसद के तौर पर हमने संताली भाषा को राष्ट्रीय मान्यता दिलायी थी और आठवीं अनुसूची में शामिल कराया था. सरना धर्मकोड आदिवासियों की पहचान से जुड़ा विषय है, जिसे लागू कराने की आवश्यकता है और हम इसे लेकर आवाज उठाते रहे हैं.
झामुमो से शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन चार बार मुख्यमंत्री बने, पर इन्होंने आदिवासियों की अस्मिता और पहचान को सुरक्षित नहीं किया. स्थानीयता नीति नहीं बनायी. हमारा मुद्दा नौकरी ही नहीं शिक्षा, व्यापार, नौकरी, ठेकेदारी में हिस्सेदारी का है. जदयू तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की नौकरियों को प्रखंडवार आरक्षण कोटा निर्धारित कर प्रदान करेगा. इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा. 80 प्रतिशत नौकरियां प्रखंडवार कोटा से भरी जायेंगी तो ग्रामीण इलाके का परिदृश्य भी बदलेगा. हम राहुल गांधी और हेमंत सोरेन की तरह लोक लुभावने और न पूरा होने वाले बेमतलब के मुद्दे को लेकर नहीं जायेंगे. जिन्होंने सत्ता में रहकर कुछ नहीं किया, वे चुनावी एजेंडे से सपना दिखाकर भविष्य में क्या कुछ करेंगे, जनता समझती है.
एक कहावत भी है मॉर्निंग शोज दी डे. अर्थात दिन कैसा होगा, सुबह का दृश्य ही बता देता है. झामुमो-कांग्रेस और अन्य ने सत्ता में रखकर अपनी सोच को दिखा दिया है. हेमंत ने स्थानीयता नीति की बात कह सरकार बनायी थी, पर सत्ता में आकर 3.25 करोड़ जनता को धोखा दिया. अब 70 प्रतिशत स्थानीय को नौकरी देने का शगुफा दे रहे हैं. पहले उन्हें अपनी स्थानीयता नीति तो बतानी चाहिए. बिना नीति हेमंत नौकरी नहीं बांट सकते.
Qआपने कई बार पार्टियां बदली, ऐसा क्यों?
यह सही है कि हमने पार्टियां बदली, पर मुद्दे हमने कभी नहीं बदले. बाकी जिन्होंने दल बदले, उनके पास कभी कोई मुद्दा ही नहीं रहा. आदिवासियों के लिए झारखंड दिशोम है. यानी झारखंड एक देश की तरह है. इसलिए हम अस्मिता के सवाल पर सतत संघर्षरत हैं. सुशासन, न्याय के साथ विकास, महिला सशक्तिकरण, शराबबंदी और मौलिक जरूरतों को दूर करने के लिए जन कल्याण हमारा लक्ष्य है.
Qजदयू कितने सीटों पर चुनाव लड़ रहा है?
जदयू की कोशिश अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की है. जहां-जहां संगठनात्मक आधार मजबूत है, वहां हमने प्रत्याशी खड़ा किया है. आधे से अधिक सीटों पर हमारी चुनाव लड़ने की तैयारी है. हम चुनाव जीतने के लिए लड़ रहे हैं. स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने से संगठन के कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है. इसका लाभ जरूर मिलेगा.
Qआपकी पार्टी बिहार में भाजपा के साथ है, झारखंड में आप उनके विरोध में, ऐसा क्यों?
कोई पार्टी अच्छी या बुरी नहीं होती. नीति और नेतृत्व बुरा हो सकता है. लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोगी की भूमिका मिलती है तो अच्छी बात है. बिहार में नीतीश का नेतृत्व है.
लक्ष्य जनता की भलाई है. वहां बीजेपी के साथ मिलकर जनता का भला हो रहा है. लड़ झगड़कर जनता का नुकसान हो, यह सही नहीं है. राजनीति की अवधारणा ही जनता की भलाई है. जनता वहां संतुष्ट है. झारखंड में भाजपा के नेतृत्व-नीति व रिकार्ड से जनता संतुष्ट नहीं है. आदिवासी-मूलवासी विरोधी नीति यहां रही है. इसलिए हम उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. जगह-जगह हमने शिक्षित और ईमानदार उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.
Qआप झारखंड की बदहाली के लिए भाजपा पर भी आरोप लगा रहे, पर जदयू के नेता मंत्री भी रहे?
सरकार भाजपा की थी और कुछ एमएलए मंत्री भी बने थे, पर नीति निर्धारण तो भाजपा का ही था. नीतीश कुमार बिहार में खराब करेंगे, तो नीतीश कुमार को जनता दोष देगी, पर वे वहां कुशल नेतृत्व कर रहे और सुशासन के साथ बेहतर कर रहे, तो उनकी चर्चा होती है. यहां, भाजपा ने अच्छा नेतृत्व नहीं किया, नीति अच्छी नहीं रही, इसलिए यहां जिम्मेदार ठहरायी जा रही है.
Qआपने दो सीटों से नामांकन पत्र दाखिल किया है, ऐसा क्यों ?
संताल परगना की किसी भी सीट से चुनाव लड़ना हमारा लक्ष्य था, क्योंकि इस क्षेत्र में आदिवासियों की बड़ी आबादी है और उनके साथ बहुत धोखेबाजी हुई है.
झामुमो ने 40 साल जनप्रतिनिधित्व किया, पर इन्हें मजबूत बनाने की जगह कमजोर व लाचार बनाया. दुमका के शिकारीपाड़ा से चुनाव लड़कर उनके लिए मैं संघर्ष कर रहा हूं. कोलहान के मझगांव में कार्यकर्ताओं की भावना के लिए चुनाव लड़ रहा हूं और दोनों क्षेत्रों से जीत के प्रति आश्वस्त हूं. शिकारीपाड़ा में तीन दशक से विधायक नलिन सोरेन की राजनीति खत्म होगी. नलिन सोरेन इतने लंबे समय तक क्षेत्र के लिए मजबूरी थे. पानी-बिजली और रास्ता कुछ भी सुविधा नहीं दी. बुनियादी सुविधाएं नहीं दिलायी.
इसलिए वहां बदलाव होगा. झामुमो ने वहां जल, जंगल व जमीन का नारा दिया, पर शिबू सोरेन की सरकार रहते और नलिन सोरेन के जनप्रतिनिधित्व काल में विस्थापन विरोधियों पर गोलियां भी चलवायी गयीं, यह इलाके की जनता नहीं भूली है. जनता के लिए जदयू अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी को मजबूत करेगा.
झामुमो-भाजपा पर िकया प्रहार
सालखन मुर्मू ने कहा कि राज्य गठन के 19 वर्षों में सभी को मौका मिला, लेकिन उम्मीद के अनुरूप झारखंड का विकास नहीं हुआ. झारखंड मुक्ति मोरचा ने हमेशा से दारू-हड़िया, चखना, पैसा, फुटबाल और जर्सी की राजनीति की. आदिवासियों का वोट लिया, पर उनका विकास कभी नहीं किया. भाजपा ने भी लगभग ऐसा ही काम किया. स्कूलों को बंद कर शराब की दुकानें खुलवा दीं. जमीन की लूट हुई. जदयू झारखंड में नीतीश मॉडल के जरिये परिवर्तन लाना चाहता है. सुशासन कायम करना चाहता है. इसलिए जदयू शराबबंदी का पक्षधर है.
इस बार बड़े खिलाड़ी की भूमिका में रहेगा जदयू
श्री मुर्मू ने कहा कि उनकी पार्टी दहाई के आंकड़े को इस बार छुएगी और बड़े खिलाड़ी की भूमिका में दिखेगी. पार्टी अपने विजन को इनफोर्स कराने का काम करेगी. नीति निर्धारण में अहम भागीदारी निभायेगी. न्यूनतम साझा कार्यक्रम के साथ सत्ता में शामिल होगी.
