14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड में आरटीआइ का क्रियान्वयन महाराष्ट्र और हरियाणा से है बेहतर

अंजनी कुमार सिंह भाजपा के थिंक टैंक ‘लोक नीति शोध केंद्र’ ने किया स्वीकार दिल्ली में उसी तरह के सवालों का गोलमोल जवाब दिया गया नयी दिल्ली : झारखंड में भले ही ‘सूचना के अधिकार कानून’ (आरटीआइ) की ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन कानून के क्रियान्वयन के मामले में दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे […]

अंजनी कुमार सिंह
भाजपा के थिंक टैंक ‘लोक नीति शोध केंद्र’ ने किया स्वीकार
दिल्ली में उसी तरह के सवालों का गोलमोल जवाब दिया गया
नयी दिल्ली : झारखंड में भले ही ‘सूचना के अधिकार कानून’ (आरटीआइ) की ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन कानून के क्रियान्वयन के मामले में दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से बेहतर है. यह मानना है भाजपा के थिंक टैंक ‘लोक नीति शोध केंद्र’ का.
इस संस्था ने झारखंड के विभिन्न विभागों से जुड़ी जानकारी और उससे लोगों को मिलने वाले लाभ से संबंधित 100 से ज्यादा आरटीआइ आवेदन दिये थे और सभी आवेदनों का विस्तृत जवाब दिया गया. यही नहीं जिन सवालों को लेकर विभाग को सवाल से संबंधित कोई स्पष्टीकरण की जरूरत थी, उसके लिए आवेदनकर्ता द्वारा दिये गये मोबाइल नंबर पर संपर्क साध कर स्पष्टीकरण मिलने के बाद विस्तृत जवाब दिया गया.
वहीं दिल्ली में उसी तरह के सवालों से संबंधित आवेदनों पर विभागों ने जानकारी नहीं होने का हवाला दिया या फिर गोलमोल जवाब दिया.
महाराष्ट्र और हरियाणा में भी यदि सवालों को लेकर किसी तरह का कंफ्यूजन हुआ, तो उस सवाल को ही टाल दिया गया.
जांच के लिए सैकड़ों आवेदन फाइल किये गये थे
लोक नीति शोध केंद्र राज्यों में सरकार के परफार्मेंस जानने के लिए हर साल ऐसे सैकड़ों आरटीआइ फाइल करती है. केंद्र की ओर से हाल ही में महाराष्ट्र और हरियाणा में भी सरकार का परफॉर्मेंस जानने के लिए ऐसे सैकड़ो आवेदन फाइल किये गये थे, लेकिन सवालों का जवाब देने में झारखंड का परफार्मेंस इन राज्यों से कहीं बेहतर रहा है.
इस विषय में लोक नीति शोध केंद्र के निदेशक सुमित भसीन ने प्रभात खबर से कहा कि, झारखंड में सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गयी सभी जानकारी विस्तृत तौर पर मिली.
इन्होंने कहा
कई राज्यों में हमेशा आरटीआइ डालती रहती हूं, लेकिन झारखंड का अनुभव अनोखा है. डाक द्वारा आरटीआइ लगाने के बाद सवालों के लेकर क्लारिफिकेशन पूछना और जवाब नियत समय में दिया जाना आरटीआइ के बेहतर क्रियान्वयन को दर्शाता है.
विदूषी सहनी, रिसर्च फेलो, लोक नीति शोध केंद्र
संबंधित विभाग ने एक प्रश्न को लेकर भ्रम की स्थिति में मेरे मोबाइल पर संपर्क कर प्रश्न को फिर से फोन पर ही स्पष्ट करने को कहा, उसके बाद वह उसका जवाब लिखित में भेजा.
अवनी सबलोक, रिसर्च फेलो

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें