27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

सुनिए झारखंड के नायकों को : लोक कलाओं के संरक्षण व संवर्धन को घोषणा पत्र में शामिल करें पार्टियां

पद्मश्री पं गोपाल दुबे झारखंड के भी कलाकारों का सम्मान होना चाहिए अलग राज्य (झारखंड) के गठन के 19 वर्ष बीत गये हैं. शिशु झारखंड अब युवा अवस्था में प्रवेश कर चुका है. लेकिन राज्य का अब तक अपेक्षित विकास नहीं हो सका है. 19 वर्षों बाद भी राज्य में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. […]

पद्मश्री पं गोपाल दुबे
झारखंड के भी कलाकारों का सम्मान होना चाहिए
अलग राज्य (झारखंड) के गठन के 19 वर्ष बीत गये हैं. शिशु झारखंड अब युवा अवस्था में प्रवेश कर चुका है. लेकिन राज्य का अब तक अपेक्षित विकास नहीं हो सका है. 19 वर्षों बाद भी राज्य में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. राज्य में आज बिजली एक विकराल समस्या बन गयी है. बिजली कब आयेगी व कब चली जायेगी, यह कहना मुश्किल है. बिजली नहीं रहने से हर वर्ग, चाहे वह कलाकार हो या छात्र, सभी प्रभावित होता है. राज्य की प्रतिभाओं काे दूसरे राज्यों की तरह उचित सम्मान नहीं मिलने से मैं काफी आहत हूं.
दूसरे राज्य में कलाकारों का काफी सम्मान है. लेकिन यहां कलाकारों का कोई सम्मान नहीं है. सरायकेला के छऊ नृत्य ने देश ही नहीं, सात समंदर पार विदेशों में भी झारखंड को अलग पहचान दिलायी है. आज छऊ कलाकार उपेक्षित हैं. कलाकारों के उत्थान के लिए सरकार प्रयासरत नहीं है और जो भी है, वह कागजों पर सिमटा है.
झारखंड में सिर्फ छऊ ही नहीं, अपितु पाईका, झूमर, दंसाय सहित कई लोक नृत्य हैं, जिन्हें आज संरक्षण की जरूरत है. झारखंडी लोक कलाओं का संरक्षण और संवर्धन की जरूरत का मुद्दा आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करना चाहिए, ताकि यहां की लोक कला जीवित रह सके और कला के क्षेत्र में झारखंड देश का नेतृत्व करे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें