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रांची : डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस रोकने में रिम्स अक्षम, विभाग और प्रशासन निकाले हल

हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव, डीसी व एसएसपी से कहा रांची : राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स का प्रबंधन अपने डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने से रोकने में अक्षम है. राज्य सरकार द्वारा हाइकोर्ट में दिये गये शपथ पत्र में रिम्स निदेशक की ओर से यह जानकारी उपलब्ध करायी गयी है. इसमें बताया गया है […]

हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव, डीसी व एसएसपी से कहा
रांची : राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स का प्रबंधन अपने डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने से रोकने में अक्षम है. राज्य सरकार द्वारा हाइकोर्ट में दिये गये शपथ पत्र में रिम्स निदेशक की ओर से यह जानकारी उपलब्ध करायी गयी है.
इसमें बताया गया है कि अपने डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर लगाम लगाने के लिए रिम्स प्रबंधन के पास कोई तंत्र नहीं है. हां! अस्पताल प्रबंधन ने एक टीम गठित की है, लेकिन टीम के पास कोई अधिकार नहीं है, जो डॉक्टरों के क्लिनिकल में जाकर छापेमारी कर सके या उन पर कोई कार्रवाई कर सके.
रिम्स निदेशक ने यह भी बताया है कि उन्होंने अपने स्तर से डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने का प्रयास किया है, लेकिन कोई अधिकार नहीं होने के कारण वह कोई ठोस निर्णय लेने में असमर्थ हैं.
इधर, रिम्स प्रबंधन की ओर से दी गयी जानकारी के बाद हाइकोर्ट ने दोबारा स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से पूछा गया है कि जब रिम्स प्रबंधन निजी प्रैक्टिस करने में असमर्थ है, तो आपके स्तर से कौन सी प्रक्रिया अपनायी जा सकती है.
यानी अब रिम्स के डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को रणनीति बनानी होगी. सरकार द्वारा उक्त शपथ पत्र 19 सितंबर को हाइकोर्ट में दायर किया गया है.
रिम्स में पैट स्कैन मशीन लगाने का भी निर्देश : हाइकोर्ट ने सरकार से यह पूछा था कि राज्य में पैट स्कैन मशीन है या नहीं? इस पर न्यायालय को बताया गया है कि पैट स्कैन मशीन लगाने और इसकी जांच के लिए न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग होना जरूरी है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग नहीं, इसलिए मशीन अभी नहीं लगायी गयी है.
वहीं रिम्स में इंड्रोक्राइनोलॉजी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, हेमोटोलॉजी व पीएमआर विभाग भी नहीं हैं. इन विभागों को खोलने की प्रक्रिया चल रही है.
ऐसा कोई पत्र मेरे संज्ञान में अब तक नहीं आया है. जब जानकारी मिलेगी, तो देखा जायेगा कि क्या किया जा सकता है.
डॉ नितिन मदन कुलकर्णी, स्वास्थ्य सचिव

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