मिथिलेश झा
रांची : वह 28 साल का युवा है. इंजीनियर है. केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले इस युवा का विषय फ्लेक्सी इलेक्ट्रॉनिक्स है. वह सीबी रैम मेमोरी डिवाइस (CB RAM Memory Device) बना रहा है. फ्रांस के लियोन शहर में. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाइड साइंसेज (NUAS) से वह पीएचडी कर रहा है. उसका शोध सफल हुआ, तो पार्किंसन, अल्जाइमर, एपिलेप्सी और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों का शुरुआती स्टेज में ही पता लगाया जा सकेगा. उसकी तकनीक बेहद सस्ती और मानव कल्याणकारी होगी. इतने गंभीर विषय पर शोध करने वाला यह युवा झारखंड की राजधानी रांची का रहने वाला है. वह पढ़ाई करने के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में दौड़ता भी है.
भारत से लेकर इटली, पोलैंड, एथेंस, स्पेन और फ्रांस तक में वह मैराथन दौड़ चुका है. इस इंजीनियर एथलीट का नाम है प्रबीर महतो. वह रांची के चुटिया स्थित बेल बगान का रहने वाला है. बारहवीं तक की पढ़ाई उसने सेंट जेवियर स्कूल से की. स्कूलिंग के दौरान शर्मीले स्वभाव के प्रबीर को पहली बार स्कूल की रेस में भाग लेने का मौका मिला, जब इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाला छात्र शामिल नहीं हुआ. दूसरी बार प्रबीर को फिर दुर्घटनावश राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिला, जब उससे बेहतर एक खिलाड़ी घायल हो गया. इसके बाद प्रबीर ने दौड़ को एंजॉय करना शुरू कर दिया.
महज 28 साल की उम्र में और सिर्फ तीन साल के भीतर 12 मैराथन दौड़ चुका है. 24 हाफ मैराथन में भाग ले चुका है. वह मैराथन दौड़ने वाले भारत के शीर्ष 30 एथलीट में शामिल हो चुका है. वह रांची का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय मैराथन धावक है. भारत में पहली बार उसने वर्ष 2012 में चिकमगलूर में हाफ मैराथन में भाग लिया था. इसके बाद वर्ष 2015 में इटली के मिलानो में उसे मैराथन दौड़ने का मौका मिला. उसे वहां बेहतर ट्रेनर और कोच मिल गया, जिसने उसकी काफी मदद की. मिलानो से फ्रांस जाने पर वहां भी प्रबीर को बेहतरीन कोच मिले, जिन्होंने उसका मार्गदर्शन किया और मैराथन में अपना प्रदर्शन सुधारने में मदद की.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि रांची से 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले वकील दंपती (हरेंद्र कुमार महतो और अहिल्या महतो) के पुत्र प्रबीर ने आइआइटी, आइआइआइटी की कई बार परीक्षा दी. बाद में वह बेंगलुरु चले गये और वहां के रमैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला ले लिया. यहीं उसे इटली के मिलानो में स्थित शीर्ष संस्थान पोलिटेक्निको के बारे में पता चला. यह भी मालूम हुआ कि स्कॉलरशिप भी मिल जायेगी. चूंकि प्रबीर पढ़ाई के साथ-साथ एथलेटिक्स में भी भाग लेते थे, उनका दाखिला आसानी से वहां हो गया. यहां उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बेहतर अवसर तो मिले ही, उनको एथलेटिक्स का कोच भी मिल गया, जिसने प्रबीर को मैराथन में अपना प्रदर्शन सुधारने में काफी मदद की.
भारत में रिसर्च में इन्वेस्टमेंट बढ़ाने की जरूरत
युवा वैज्ञानिक प्रबीर महतो ने बताया कि नैनो टेक्नोलॉजी का भविष्य बहुत उज्ज्वल है. भारत में सीमित जगहों पर इसकी पढ़ाई होती है, लेकिन आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में अपने देश में भी बड़े पैमाने पर काम होगा, इसकी उम्मीद है. प्रबीर ने कहा कि भारत में वैज्ञानिक शोध पर सरकार को खर्च बढ़ाने की जरूरत है. अन्य देशों में रिसर्च पर बहुत जोर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि किसी भी मामले में हमारा देश दुनिया के किसी विकसित देश से पीछे है. हमारे यहां शोध को बढ़ावा नहीं दिया जाता. इसलिए हमारी तकनीक पश्चिमी देशों से पीछे है.

