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रांची : देसी को टक्कर दे रहा क्रोइलर चिकन
रांची : देसी और ब्रॉयलर चिकन ही नहीं, अब क्रोइलर चिकेन भी खायें. देसी को क्रोइलर चिकेन टक्कर देने लगा है. सखी मंडल की महिलाओं ने रांची की चिकन दुकानों में इसकी सप्लाई शुरू कर दी है. क्रोइलर चिकन के कई फायदे हैं. यह देसी मुर्गी की तरह ही प्राकृतिक तौर पर रहनेवाला रंगीन नस्ल […]
रांची : देसी और ब्रॉयलर चिकन ही नहीं, अब क्रोइलर चिकेन भी खायें. देसी को क्रोइलर चिकेन टक्कर देने लगा है. सखी मंडल की महिलाओं ने रांची की चिकन दुकानों में इसकी सप्लाई शुरू कर दी है. क्रोइलर चिकन के कई फायदे हैं. यह देसी मुर्गी की तरह ही प्राकृतिक तौर पर रहनेवाला रंगीन नस्ल का है. यह घर की रसोई के अपशिष्ट एवं कुछ रेडीमेड पौष्टिक आहार खाता है.
वसा की मात्रा कम पायी जाती है : इस प्रजाति के आहार में किसी तरह के एंटीबायोटिक्स एवं ग्रोथ प्रमोटर्स की जरूरत नहीं पड़ती है. यह पूरी तरह से प्राकृतिक एवं सुरक्षित है. इसमें वसा की मात्रा भी बहुत कम पायी जाती है. इसके अधिक सेवन से भी किसी तरह का नुकसान नहीं होता है़ इसमें प्रोटीन, कैल्शियम एवं विटामिन तुलनात्मक रूप से ज्यादा होते हैं. इसके पैर अपेक्षाकृत छोटे एवं मोटे होते हैं.
केग्स फॉर्म द्वारा विकसित की गयी : सखी मंडल की महिलाएं उत्पादक समूह से जुड़ कर क्रोइलर चिकन पहुंचा रही है. ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा क्रियान्वित जोहार परियोजना के उत्पादन समूह की महिलाएं क्रोइलर प्रजाति के चिकन को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं. यह प्रजाति केग्स फॉर्म द्वारा विकसित की गयी है.
10 चिकन विक्रेताओं के साथ करार : रांची के 10 चिकन विक्रेताआें के साथ क्रोइलर चिकेन की बिक्री के लिए करार किया गया है. मांग बढ़ने पर और अधिक दुकानों पर यह उपलब्ध होगा. वर्तमान में लगभग 500 परिवार उत्पादक कंपनी के जरिये इस काम से जुड़े हैं. आने वाले दिनों में लगभग 30,000 परिवार को क्रोइलर चिकन पालन से जोड़ा जायेगा.
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