रांची/हजारीबाग : हजारीबाग के प्रमंडलीय पुस्तकालय में पांच हजार से अधिक दुर्लभ पुस्तकें दीमक की भेंट चढ़ चुकी हैं. 25 लकड़ी के अलमीरा में 1915 से प्रकाशित पुस्तकों को बेतरतीब तरीके से रखा गया है. इन पुस्तकों पर मकड़ी के जाल लग चुके हैं.
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साहब! बचा लीजिये बापू की गाथाओं को
रांची/हजारीबाग : हजारीबाग के प्रमंडलीय पुस्तकालय में पांच हजार से अधिक दुर्लभ पुस्तकें दीमक की भेंट चढ़ चुकी हैं. 25 लकड़ी के अलमीरा में 1915 से प्रकाशित पुस्तकों को बेतरतीब तरीके से रखा गया है. इन पुस्तकों पर मकड़ी के जाल लग चुके हैं. धूल और गर्द से अस्तित्व खत्म होने पर है. किताबों से […]
धूल और गर्द से अस्तित्व खत्म होने पर है. किताबों से भरी अलमीरा को पुस्तकालय के मुख्य सभागार से बाहर बरामदे में फेंक दिया गया है. पिछले साल एनटीपीसी की ओर से 25 लोहे की अलमीरा के साथ लगभग एक हजार नयी पुस्तकें दी गयी थीं.
अलमीरा मिलने पर पुरानी लकड़ियों से बने अलमीरा को हटा दिया गया और किताबों को सभागार से हटा दिया गया. पुरानी और दुर्लभ किताबों को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया गया है. यहां तक की इन दुर्लभ किताबों की कोई सूची तक नहीं बनायी गयी है. इस वर्ष गांधी जी की 150वीं वर्षगांठ मनायी जायेगी.
अधिकारियों की पहल की जरूरत
रुक्मिणी भवन पुस्तकालय की दुर्लभ पुस्तकों की बर्बादी की जानकारी संभवत: डीसी भुवनेश प्रताप सिंह या विभावि कुलपति प्रो रमेश शरण को नहीं मिली है. इन दोनों अधिकारियों की पहल पर पुस्तकालय के बरामदे में पड़े 25 अलमारियों में सड़ रही किताबों को बचाया जा सकता है. आनेवाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सकता है. साथ ही उन्हें जागरूक किया जा सकेगा.
कैसे बचेंगी किताबें
पुस्तकालय के आदेशपाल हुलास कुमार रजक ने बताया कि उन्हें संसाधन व राशि मिले, तो इन किताबों को वैज्ञानिक तरीके से बचाया जा सकता है. पुस्तकालय के पास रख-रखाव के लिए कोई राशि सरकार से उपलब्ध नहीं होती है.
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