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42 साल बाद मां की खोज में बेल्जियम से रांची पहुंची चिराग, जन्म देनेवाली मां ने अनाथालय में सौंप दिया था
प्रवीण मुंडा रांची : यह एक बेटी अौर उसकी जड़ों की तलाश की अनोखी कहानी है. यह कहानी 42 वर्षों के सफर की है, जिसके कुछ पन्ने अब भी अधूरे हैं. चिराग शूटाइजर बेल्जियम की निवासी हैं और इन दिनों रांची में है. उनके रांची आगमन का उद्देश्य भी बेहद खास है. वह अपनी जन्म […]
प्रवीण मुंडा
रांची : यह एक बेटी अौर उसकी जड़ों की तलाश की अनोखी कहानी है. यह कहानी 42 वर्षों के सफर की है, जिसके कुछ पन्ने अब भी अधूरे हैं. चिराग शूटाइजर बेल्जियम की निवासी हैं और इन दिनों रांची में है. उनके रांची आगमन का उद्देश्य भी बेहद खास है. वह अपनी जन्म देनेवाली मां की तलाश में रांची आयी हैं. चिराग का जन्म 14 अप्रैल 1977 को भारत (संभवत: रांची) में हुआ था. जन्म के एक हफ्ते के बाद 21 अप्रैल को उसको जन्म देनेवाली मां ने रांची के अनाथालय शिशु भवन को सौंप दिया था.
शिशु भवन, रांची से उसे कोलकाता ले जाया गया अौर एक साल बाद नौ जुलाई 1978 को बेल्जियम की एक दंपती को दे दिया गया. चिराग बताती हैं कि उन्हें इतना पता है कि उसे जन्म देनेवाली मां उस समय लालपुर के पास रहती थी अौर यहीं के एक कॉलेज में पढ़ती थी. चिराग के मुताबिक अभी जो जानकारी मिली है, उससे पता चलता है कि उसकी मां, महुदार (पाना) में रह रही है और उसकी शादी किसी कैथोलिक परिवार में हुई है.
अब चिराग को किसी ऐसे शख्स की तलाश है, जो इन जानकारियों के आधार पर उसे अपने बिछड़े परिवार (मां) से मिलवा सके. अपनी इन कोशिशों के तहत चिराग ने राउंड टेबल इंडिया के पूर्व चेयरमैन मनप्रीत सिंह राजा से संपर्क किया. राजा भी चिराग की तलाश में सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इससे पूर्व भी चिराग पांच बार रांची आ चुकी हैं. अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली है. पर क्या पता इस बार उसे उसकी मां मिल जाये.
मैं अपनी जन्म देनेवाली मां से एक बार मिलना चाहती हूं. मैं उसे अौर उसके परिवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती हूं. बस कुछ सवाल हैं, उसके जवाब चाहती हूं.
चिराग शूटाइजर
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