रांची : राज्य में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की योजना में सर्वाधिक गड़बड़ी वित्तीय वर्ष 2011-12 तथा 2012-13 में हुई है. इस दौरान गिरिडीह, चतरा, हजारीबाग, धनबाद, देवघर, पलामू, पाकुड़ व धनबाद जिले में कई अनियमितताएं हुई थी. ‘प्रभात खबर’ वर्ष 2009 से ही धान खरीद योजना में गड़बड़ी की खबर […]
रांची : राज्य में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की योजना में सर्वाधिक गड़बड़ी वित्तीय वर्ष 2011-12 तथा 2012-13 में हुई है. इस दौरान गिरिडीह, चतरा, हजारीबाग, धनबाद, देवघर, पलामू, पाकुड़ व धनबाद जिले में कई अनियमितताएं हुई थी. ‘प्रभात खबर’ वर्ष 2009 से ही धान खरीद योजना में गड़बड़ी की खबर प्रकाशित करता रहा है. बाद में एजी की जांच में भी धान खरीद योजना में भारी गड़बड़ी का खुलासा हुआ.
दरअसल सरकारी अधिकारी व चावल मिल प्रबंधक इसमें बराबरी के दोषी रहे हैं. पलामू में तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी शिव नारायण राम, जिला आपूर्ति पदाधिकारी विपिन लकड़ा व जिला कृषि पदाधिकारी नरेश चौधरी तथा पलामू (हुसैनाबाद) की मां जानकी राइस मिल, देवघर के यशोदा राइस मिल व श्री यशोदा राइस मिल पर भी प्राथमिकी दर्ज हुई थी.
उधर, पाकुड़ के तिलभिट्ठा लैंपस में धान-चावल खरीद में डेढ़ करोड़ से अधिक की गड़बड़ी का खुलासा हुआ था. उपायुक्त ने इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी थी. जांच में पता चला था कि तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी चंदेश्वर कापर ने धान खरीद में भारी हेराफेरी की थी. वहीं उपायुक्त धनबाद ने गोविंदपुर के प्रिया व शिव शंभु राइस मिल तथा कतरास के जय हनुमान राइस मिल का निरीक्षण किया, तो वहां न तो धान मिला था और न ही चावल.
जिला सहकारिता पदाधिकारी चतरा, रविशंकर पांडेय पर राइस मिल से सांठगांठ कर सरकारी धन फंसाने का आरोप था. तत्कालीन डीसी चतरा ने श्री पांडेय को निलंबित कर उस पर विभागीय कार्रवाई के लिए चिट्ठी सहकारिता विभाग को दी, पर चिट्ठी दबा दी गयी. इससे पहले भी श्री पांडेय से 48 घंटे में स्पष्टीकरण मांगा गया था.
वहीं, मिल मालिक से वसूली का आदेश दिया गया था, जिसे अमल नहीं किया गया. यही नहीं, बाद में मिल में आगजनी की घटना हुई, जिसे प्रशासन ने रिपोर्ट में जान बूझ कर घटी घटना बताया. आज की तारीख में लक्की राइस मिल पर सरकार के करोड़ों रुपये बकाया है.