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बुढ़मू : पेट के लिए पलायन को मजबूर

बेरोजगारी से परेशान हैं बुढ़मू गांव के लोग सालभर में सिर्फ धान की खेती, इसके बाद नहीं मिलता काम बुढ़मू : झारखंड में पलायन अब भी बड़ी समस्या है. साल भर में सिर्फ धान की खेती व इसके बाद काम नहीं रहने से ग्रामीणों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाता है. वहीं गांव में […]

बेरोजगारी से परेशान हैं बुढ़मू गांव के लोग
सालभर में सिर्फ धान की खेती, इसके बाद नहीं मिलता काम
बुढ़मू : झारखंड में पलायन अब भी बड़ी समस्या है. साल भर में सिर्फ धान की खेती व इसके बाद काम नहीं रहने से ग्रामीणों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाता है.
वहीं गांव में रोजगार की कमी से भी लोग पलायन को मजबूर होते हैं. ऐसा ही एक गांव है बुढ़मू. इस गांव में मनरेगा योजना की कमी के कारण पहान टोली, नया टोली व जमगाईं के कई लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं. अपना व परिवार का पेट पालने के लिए दूसरे राज्यों में ईंट भट्ठों में काम करते हैं.
जानकारी के अनुसार पहान टोली से धीरज लोहरा, निरंजन मुंडा, संतोष मुंडा, राजेंद्र मुंडा, सनोज मुंडा, अमृत मुंडा, वासुदेव मुंडा, कल्लू मुंडा, जमगाईं से भदरली गंझू, सीताराम गंझू, बैहरा गंझू, नया टोली से मनबोध गंझू, सुधीर गंझू, पार्वती देवी, बरंडु गंझू सहित कई लोग बाल-बच्चों के साथ पलायन कर चुके हैं. मामले में मुखिया गोवर्धन लोहरा ने बताया कि पहान टोली, जमगाईं व नया टोली में मनरेगा के तहत मात्र एक योजना चल रही है. वहीं मनरेगा के बीपीओ मो इम्तेयाज ने बताया कि मनरेगा में मजदूरी दर मात्र 171 रुपये है और वह पैसा भी बैंक कर्मियों के कारण मजदूरों तक पहुंचने में विलंब होता है. जिसके कारण ग्रामीण मनरेगा के तहत कार्य करने के प्रति उदासीन रहते हैं.
पढ़ाई छूटने से बच्चों का भविष्य अधर में
जमगाईं के बरंडु गंझू, दिनेश गंझू, पार्वती देवी, राजेंद्र मुंडा, धीरज लोहरा, भदरली गंझू सहित कई लोग परिवार के साथ अपने बच्चों को भी लेकर कमाने गये हैं. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि इनके बच्चे न तो वहां पढ़ पाते होंगे व न ही वहां इनके पठन-पाठन की व्यवस्था ही हो पाती होगी.
मजदूरों का नहीं होता निबंधन
नियमानुसार दूसरे राज्यों में मजदूरी के लिए जाने से पहले पंचायत में निबंधन कराना पड़ता है. निबंधन नहीं होने से कई बार मजदूरों के साथ बाहर में कोई असामयिक घटना होने पर कार्रवाई नहीं हो पाती है. बुढ़मू पंचायत के पंचायत सेवक छेदी साहू ने बताया कि उनके पंचायत में अब तक एक भी मजदूर ने निबंधन नहीं कराया है.

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