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रांची : 35 साल से चुनाव में आमने-सामने हैं रामटहल-सुबोधकांत, 1984 में चुनावी अखाड़े में पहली बार मिले थे दोनों

विवेक चंद्र रांची : रांची लोकसभा सीट के प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय और रामटहल चौधरी दोनों ही वेटरन राजनीतिज्ञ रहे हैं. दोनों के बीच होनेवाले चुनावी दंगल का इतिहास बहुत पुराना है. वैसे इस बार भाजपा ने संजय सेठ को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, रामटहल चौधरी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. वर्ष 1984 […]

विवेक चंद्र
रांची : रांची लोकसभा सीट के प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय और रामटहल चौधरी दोनों ही वेटरन राजनीतिज्ञ रहे हैं. दोनों के बीच होनेवाले चुनावी दंगल का इतिहास बहुत पुराना है. वैसे इस बार भाजपा ने संजय सेठ को प्रत्याशी बनाया है.
वहीं, रामटहल चौधरी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. वर्ष 1984 में हुए चुनाव के समय सुबोधकांत व रामटहल पहली बार चुनावी अखाड़े में आमने-सामने थे. तब दोनों ने ही कांग्रेस के शिव प्रसाद साहू के सामने घुटने टेक दिये थे़ सुबोधकांत जनता पार्टी के और रामटहल चौधरी ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था़ उसके बाद से सुबोधकांत सहाय तब से लेकर अब तक तीन बार बाजी मार चुके हैं. पहली बार उन्होंने जनता दल प्रत्याशी के रूप में 1989 में भाजपा के रामटहल चौधरी को हराया था. उसके बाद 2004 और 2009 में लगातार दो आम चुनावों में उन्होंने श्री चौधरी को मात दी.
दूसरी ओर, रामटहल ने दो बार सुबोधकांत को हराने में सफलता पायी है. 1991 के चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुबोधकांत सहाय को उन्होंने बुरी तरह हराया था. उस चुनाव में श्री सहाय को 20 हजार वोट भी नहीं मिले थे. 19,975 वोट लाकर वे चौथे स्थान पर रहे थे. इसके बाद 2014 के चुनाव में रामटहल चौधरी ने सुबोधकांत सहाय को लगभग दो लाख वोटों के अंतर से पछाड़ा था.
सांसद बनने के पहले विधायक थे दोनों
अलग-अलग विचारधारा वाली पार्टियों के प्रत्याशी रामटहल चौधरी और सुबोधकांत सहाय सांसद बनने के पहले विधायक थे. दोनों ने ही युवावस्था में विधायक बनने में सफलता पायी थी. जनता दल के टिकट पर श्री सहाय 1977 में पहली बार हटिया विधानसभा के विधायक बने.
वर्ष 1989 में रांची लोकसभा क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़ने तक वे लगातार तीन बार इस सीट से विधायक रहे. वहीं, रामटहल चौधरी 1969 और 1972 में लगातार दो बार जनसंघ के टिकट पर कांके विधानसभा क्षेत्र (तब यह एससी के लिए आरक्षित नहीं थी) से विधायक चुने गये थे.
सांसद बनने के लिए दोनों को करना पड़ा लंबा इंतजार
दोनों नेताओं को लोकसभा में पहुंचने के लिए लंबा इंतजार भी करना पड़ा है. वर्ष 1991 में पहली बार लोकसभा चुनाव हारने के बाद सुबोधकांत सहाय को दोबारा सांसद बनने के लिए 13 साल इंतजार करना पड़ा.
वहीं, 1980 में पहली बार चुनाव लड़नेवाले रामटहल चौधरी को पहली बार सांसद बनने के लिए 11 साल से अधिक समय लगा. रामटहल ने सांसद के लिए पहला चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था. तब वे 24,398 मतों के साथ पांचवें स्थान पर रहे थे. वैसे, श्री चौधरी अब तक पांच बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. जबकि सुबोधकांत ने तीन बार जीत हासिल की है.
साल विजेता वोट उप विजेता वोट
1980 शिव प्रसाद साहू(कांग्रेस आइ) 1,06,506 शिव कुमार सिन्हा (जेएनपी) 68,380
1984 शिव प्रसाद साहू(कांग्रेस आइ) 1,62,945 रामटहल चौधरी (भाजपा) 54,384
1989 सुबोधकांत सहाय (जद) 1,63,919 रामटहल चौधरी (भाजपा) 1,48,933
1991 रामटहल चौधरी(भाजपा) 2,23,824 अवधेश कुमार सिंह (जद) 1,04,247
1996 रामटहल चौधरी (भाजपा) 2,15,278 केशव महतो कमलेश (कांग्रेस आइ) 1,75,986
1998 रामटहल चौधरी (भाजपा) 3,98,022 केशव महतो कमलेश (कांग्रेस आइ) 2,54,442
1999 रामटहल चौधरी(भाजपा) 3,79,261 केके तिवारी (कांग्रेस आइ) 1,38,084
2004 सुबोधकांत सहाय(कांग्रेस आइ) 2,84,035 रामटहल चौधरी(भाजपा) 2,68,614
2009 सुबोधकांत सहाय(कांग्रेस आइ) 3,10,499 रामटहल चौधरी(भाजपा) 2,97,149
2014 रामटहल चौधरी (भाजपा) 4,48,719 सुबोधकांत सहाय(कांग्रेस आइ) 2,49,426

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