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सीआरटी-डी डिवाइस प्रत्यारोपण से हार्ट के मरीजों को फायदा : डॉ एके पांडेय

रांची : हार्ट फेल्योर का मुख्य कारण हृदय की मांसपेशियों का कमजोर होना है. मांसपेशियां कमजोर होने से रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता है. इससे ऑक्सीजन एवं जरूरी पोषक तत्वों की गति सीमित हो जाती है और सांस लेने में परेशानी व थकावट होने लगती है. शरीर में सूजन एवं अनियमित […]

रांची : हार्ट फेल्योर का मुख्य कारण हृदय की मांसपेशियों का कमजोर होना है. मांसपेशियां कमजोर होने से रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता है. इससे ऑक्सीजन एवं जरूरी पोषक तत्वों की गति सीमित हो जाती है और सांस लेने में परेशानी व थकावट होने लगती है.

शरीर में सूजन एवं अनियमित धड़कन इसके प्रमुख लक्षण हैं. कई बार ये लक्षण जानलेवा साबित हो सकते हैं. शनिवार को ऑर्किड अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ एके पांडेय, डॉ वरुण कुमार व क्रिटिकल केयर के डॉ कृष्ण प्रसाद ने पत्रकारों से बातचीत में उक्त बातें कहीं.
डॉ पांडेय ने बताया कि आमतौर पर इस समस्या का निदान दवाओं से होता है, परंतु वर्तमान में सीआरटी-डी डिवाइस के आने से मरीजों का इलाज आसान हो गया है. बताया गया कि इस प्रत्यारोपित डिवाइस में दो लीड तारों को हृदय के दोनों वेंट्रिकल्स में प्रत्यारोपित किया जाता है, ताकि हृदय में प्रभावी तरीके से पंपिंग हो सके.
डॉ पांडेय ने बताया कि सीआरटी-डी का प्रत्यारोपण बहुत कठिन होता है और काफी अनुभव की जरूरत होती है. इसलिए ज्यादातर यह प्रक्रिया बड़े मेट्रो शहरों में होती है. अब रांची में भी ऑर्किड अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ वरुण कुमार इस तरह के डिवाइस मरीजों में लगा रहे हैं.
वर्तमान में उन्होंने एक मरीज (जिसके हृदय की पंपिंग मात्र 20 प्रतिशत थी) में यह डिवाइस सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया. चिकित्सकों ने दावा किया है कि इस तरह का प्रत्यारोपण रांची में पहला है. इस सीआरटी-डी प्रत्यारोपण के बाद मरीज की पंपिंग बढ़ गयी है. मरीज अब पहले से बेहतर महसूस कर रहा है.

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