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रांची : जल, जंगल, जमीन बचानेवाले कानून बदल दिये गये
आदिवासी बुद्धिजीवी मंच का पीपेसा-1996 पर बगईचा नामकुम में हुआ सेमिनार रांची : आदिवासी बुद्धिजीवी मंच द्वारा बगईचा नामकुम में पी-पेसा-1996 पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया़ इसमें मुख्य वक्ता विक्टर माल्टो ने कहा कि संविधान में 73वां व 74वां संशोधन लाने के बाद संसद द्वारा अनुच्छेद 241 एम 1 व 243 जेडसी के […]
आदिवासी बुद्धिजीवी मंच का पीपेसा-1996 पर बगईचा नामकुम में हुआ सेमिनार
रांची : आदिवासी बुद्धिजीवी मंच द्वारा बगईचा नामकुम में पी-पेसा-1996 पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया़ इसमें मुख्य वक्ता विक्टर माल्टो ने कहा कि संविधान में 73वां व 74वां संशोधन लाने के बाद संसद द्वारा अनुच्छेद 241 एम 1 व 243 जेडसी के आलोक में बने प्रोविजंस आॅफ पंचायत (एक्सटेंशन टू शिड्यूयल एरियाज) एक्ट 1996 अर्थात पी पेसा 1996 की धारा 3, 4, 4 (एम), 4 (ओ) व धारा 5 के आलोक में अनुसूचित क्षेत्रों में प्रशासन व नियंत्रण के लिए स्वशासी जिला परिषद व अनुसूचित क्षेत्र ग्राम सभा की स्थापना की रूपरेखा दी गयी़
संविधान में 73वां व 74वां संशोधन के बाद संविधान में पार्ट नौ व पार्ट नौ ए शामिल किये गये और अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत राज व्यवस्था व नगरपालिका की स्थापना पर संवैधानिक रोक लगायी गयी़
इसके बाद संसद ने विशेष कानून पीपेसा 1996 बनाया, पर झारखंड सरकार ने उन सभी प्रावधानों को संशोधित कर दिया है, जिनके द्वारा जनजातियों के जल, जंगल, जमीन व प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा हो सकती थी़ उन्होंने कहा कि संसद ने अनुसूचित क्षेत्रों में अाज तक नगरपालिकाओं के प्रावधान का विस्तार नहीं किया है़
पर सरकार ने संविधान के इन प्रावधानों के विरुद्ध अनुसूचित क्षेत्रों में भी नगर परिषद, नगर पालिका व नगर निगम की स्थापना कर जनजातियों की भूमि को पूंजीपतियों व औद्योगित घरानों को हस्तांतरित कर रही है़ इससे आदिवासी समाज में गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी, पलायन, विस्थापन, महिलाओं पर अत्याचार, मानव तस्करी और शांति व स्वच्छ प्रशासन की समस्याएं प्रबल रूप से बढ़ी हैं. इससे पूर्व प्रभाकर कुजूर ने विषय प्रवेश कराया़
सरकार से वार्ता करेंगे, जागरूकता फैलायेंगे : सेमिनार में निर्णय लिया गया कि संसदीय कानूनी पी-पेसा 1996 के तहत अनुसूचित क्षेत्र के जिला स्तर पर जिला स्वशासी परिषद व निचले स्तर पर ग्राम सभा की स्थापना के लिए सरकार से वार्ता की जायेगी. जनजातीय समाज में जागरूकता भी फैलायी जायेगी़ कार्यक्रम का संचालन ऋतृ उरांव ने किया़ मौके पर अध्यक्ष प्रेमचंद मुर्मू, ग्लोरिया तिग्गा सहित कई आदिवासी बुद्धिजीवी, ग्राम प्रधान व अन्य मौजूद थे़
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