पंकज कुमार पाठक @ रांची
स्व कार्तिक उरांव द्वारा स्थापित अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद का दो दिवसीय अधिवेशन सह सेमिनार में राष्ट्रीय अध्यक्ष सोमजी भाई दामोर ने आदिवासियों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की. कहा, ‘हमारे लिए बजट में अलग से व्यवस्था होनी चाहिए. मैंने महाराष्ट्र में यह किया है. हमारा हिस्सा वहां बजट में9 फीसदी है.’
उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी कम है और निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है. लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा. हम निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की मांग कर रहे हैं. सरकार इन्फ्रास्ट्रकचर पर खर्च करे, लेकिन लोगों के लिए भी काम करे.उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 40 फीसदी खर्च हो और बाकी पैसे लोगों की बेहतरी के लिए खर्च करे.
पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा, ‘झारखंड में आदिवासी नेता समझौता कर लेते हैं. हमारे अधिकार संविधान में हैं. अगर सिर्फ उनका पालन किया जाये, तो हमारी स्थिति में सुधार होजायेगा. ऐसा नहीं हो रहा है. अब उलगुलान की जरूरत है. बड़ा आंदोलन करना होगा. आदिवासियों की संख्या कम हो रही है. जंगल खत्म हो रहे हैं.’
ज्ञात हो कि कार्तिक उरांव द्वारास्थापित राष्ट्रीय संगठन अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद का गठन 6 मार्च, 1968 को कियागयाथा. आज देश के 29 राज्यों में इसकी शाखाएं हैं. यह अपने गौरवपूर्ण 50वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है.
जल्द होगा बड़ा कार्यक्रम
कार्यक्रमसे इतर उन्होंने prabhatkhabar.com से बातचीतमें कहा कि कुछ दिनों में पूरे भारत के आदिवासी नेताओं को बुलाकर एक बड़ा कार्यक्रम करेंगे.वर्ष2019 नजदीक है. हमारा आगे का रास्ता क्या होगा, इस पर बात होगी. हमें एकजुट होना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि आदिवासियों को अपना नेता चुनते वक्त विशेष ध्यान देना होगा. पढ़े-लिखे लोगों को विधायक-सांसद बनाना होगा. आरएसएस और वीएचपी वाले आदिवासियों को हिंदू बताते हैं. हमारे पूर्वज रावण और महिषासुर हैं. आदिवासियों को अपना इतिहास जानना होगा.
संविधान ने जो अधिकार दिये हैं, उसे जमीन पर उतारा जाये : गीताश्री
पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने prabhatkhabar.com से कहा, ‘मैं कई अधिवेशन के लिए देश भर की यात्रा करती हूं. हमारी मांग है कि जो अधिकार हमें संविधान से मिले हैं, उसे जमीन पर उतारा जाये. हमारीलड़ाई अस्तित्व की लड़ाई है. स्टेट्यू ऑफ यूनिटी में आदिवासियों की जमीन चलीगयी, उसकी चर्चा कहीं नहीं हुई.’
गीताश्री ने पूछा कि आदिवासियों के पास उनकी जमीन के सिवा और क्या है. वह भूमिहिन हो गये. यह उनकी लड़ाई है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की संख्या कम हो रही है. विस्थापन बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा कि झारखंड जिस सपने के साथ बना, वह अब तक पूरा नहीं हुआ. सरकारी पैसे का दुरुपयोग हो रहा है. विज्ञापन में खर्च बढ़ा और योजनाओं में कटौती कर दी गयी. आदिवासियों को बांटने की कोशिश हो रही है.
कई बड़े नेता सेमिनार में भाग लेंगे
राजधानी रांची के नामकुम स्थित बगीचा संस्थान में 28 अक्तूबर को आयोजित सेमिनार का विशिष्ट अतिथि के तौर पर केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत, विधानसभा अध्यक्ष डाॅ दिनेश उरांव, विधायक शिवशंकर उरांव, पूर्व केंद्रीय मंत्री डाॅ रामेश्वर उरांव, सांसद धीरज प्रसाद साहू, पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष शिवाजी राव मोघे, शंकर लाल बड़ोत विशिष्ट अतिथि के तौर पर हिस्सा लेंगे.
सेमिनार में चर्चा के मुद्दे
कार्यक्रम में पांचवीं अनुसूचि सहित आदिवासी हितों के कई मुद्दों पर चर्चा हुई. रविवारको दूसरे दिन भी कई गणमान्य लोग कार्यक्रम में शामिल होंगे. अधिवेशन में झारखंड सहित पूरे देश में आदिवासियों के समक्ष विभिन्न प्रकार की चुनौतियों, झारखंड में भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, सीएनटी-एसपीटी, पांचवीं अनुसूची सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी.