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बकोरिया कांड: सीआरपीएफ रेकी कर लौट गयी थी थानेदार को पता भी नहीं चला

रांची : चर्चित बकोरिया कांड (08 जून 2015, पलामू जिला) को लेकर सवाल उठते रहे हैं कि क्या सही में पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी या फिर प्रतिद्वंदी उग्रवादी संगठन की कार्रवाई के बाद वाहवाही के लिए पुलिस यूं ही दावे कर रही है. क्योंकि मुठभेड़ में शामिल कोबरा बटालियन का दावा […]

रांची : चर्चित बकोरिया कांड (08 जून 2015, पलामू जिला) को लेकर सवाल उठते रहे हैं कि क्या सही में पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी या फिर प्रतिद्वंदी उग्रवादी संगठन की कार्रवाई के बाद वाहवाही के लिए पुलिस यूं ही दावे कर रही है. क्योंकि मुठभेड़ में शामिल कोबरा बटालियन का दावा है कि उसे नक्सलियों के बारे में सूचना एक दिन पूर्व यानी 07 जून 2015 को ही मिल गयी थी.
जबकि सतबरवा थानेदार का बयान है कि उन्हें पलामू एसपी ने 08 जून की रात्रि 9:40 बजे नक्सलियों के बारे में जानकारी दी. वहीं कोबरा बटालियन के मुताबिक टीम ने 08 जून को दोपहर 02 बजे ही घटनास्थल पर जाकर रेकी कर ली थी. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जिसके थाना क्षेत्र में नक्सलियों के आने की सूचना थी, उसे मुठभेड़ के एक घंटे पहले सूचना मिली. जबकि कोबरा बटालियन को एक दिन पहले ही सूचना मिल गयी थी.
एसपी की सूचना पर गये थे घटनास्थल पर : सीआइडी जांच में सतबरवा के तत्कालीन थानेदार मो रुस्तम ने अपने बयान में कहा था कि आठ जून 2015 की रात 09:40 बजे रात्रि में तत्कालीन पलामू एसपी कन्हैया मयूर पटेल ने उन्हें सूचना दी थी कि नक्सलियों का एक दस्ता मनिका-सतबरबा ओपी सीमावर्ती क्षेत्र से गुजरने वाला है. इसके बाद वे अपनी टीम को तैयार कर बकोरिया 10:30 बजे रात्रि में पहुंचे. पहले से वहां पर 209 कोबरा बटालियन मौजूद थी.
दिन में ही गये थे रेकी करने : उपसमादेष्टा
209 कोबरा बटालियन के उपसमादेष्टा नितिन कुमार ने अपने बयान में कहा था कि कमांडेंट कमलेश कुमार द्वारा बताया गया कि आइजी आपॅरेशन सीआरपीएफ के मुताबिक भाकपा माओवादी का दस्ता लातेहार से पलामू की ओर एक-दो दिनों में विध्वंसक कार्रवाई के लिए जायेगा.
इसके बाद टीम खूंटी से लातेहार के लिए 07 जून 2015 की रात आठ बजे रवाना हो गयी थी. अगले दिन आठ जून को रिपोर्ट करने पर कमांडेंट कमलेश कुमार ने बताया कि आइजी ऑपरेशन सीआरपीएफ के मुताबिक आज ही रात नक्सलियों का मूवमेंट पलामू-लोतहार क्षेत्र में हो सकता है. इसलिए रेकी दिन में ही करनी होगी.
इसके बाद वे रेकी के लिए दिन में दो बजे गये. बकोरिया पहुंच कर क्रशर के पास एनएच-75 पर नाका के लिए जगह का चयन किया गया. क्योंकि सूचना के मुताबिक वह जगह नक्सलियों का रोड क्रॉस करने की जगह हो सकती थी. काम पूरा कर शाम छह बजे वे लोग लातेहार स्थित 11 बटालियन क्वार्टर लौट गये.
बिना जांच डीजीपी ने बांटी थी इनाम की राशि
रांची : बकोरिया में हुए कथित मुठभेड़ में 12 लोगों के मारे जाने की घटना के बाद अगले दिन नौ जून की सुबह डीजीपी डीके पांडेय, तत्कालीन एडीजी अभियान एसएन प्रधान, स्पेशल ब्रांच के एडीजी अनुराग गुप्ता समेत अन्य सीनियर पुलिस अफसर हेलीकॉप्टर से बकोरिया पहुंचे थे. वहां मरे हुए लोगों को नक्सली घोषित कर अफसरों ने फोटो खिंचवाई थी. वहीं डीजीपी ने वहां मौजूद जवानों के बीच लाखोंं रुपये नकद इनाम के तौर पर बांटे थे.
बकोरिया ने एडीजी तक का कराया तबादला
रांची : बकोरिया कांड को सही बताने में मदद नहीं करनेवाले अफसरों को उनके पद से सीधे चलता कर दिया गया. ऐसे अफसरों में थानेदार से लेकर एडीजी रैंक के अफसर शामिल हैं. इससे पहले भी आठ जून 2015 की रात पलामू के सतबरवा में हुए कथित मुठभेड़ के बाद कई अफसरों के तबादले कर दिये गये थे. तब एडीजी रेजी डुंगडुंग सीआइडी के एडीजी थे. सरकार ने उनका तबादला कर दिया था.
इसके बाद रांची जोन की आइजी सुमन गुप्ता का भी तबादला कर दिया गया था. क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर तब के पलामू सदर थाना के प्रभारी हरीश पाठक से मोबाइल पर बात की थी. बाद में हरीश पाठक को एक पुराने मामले में निलंबित कर दिया गया़ पलामू के तत्कालीन डीआइजी हेमंत टोप्पो का भी तबादला कर दिया गया था. उनके बाद सीआइडी एडीजी पद पर पदस्थापित अजय भटनागर व अजय कुमार सिंह के कार्यकाल में मामले की जांच सुस्त तरीके से हुई.
13 नवंबर 2017 को सीआइडी के एडीजी के रूप में एमवी राव को पदस्थापित किया गया था. हाइकोर्ट के निर्देश पर उन्होंने घटना की जांच तेज कर दी थी. इसके कारण पुलिस विभाग के सीनियर अफसरों में हड़कंप मच गया था. वैसी ताकतें एमवी राव का तबादला कराने के लिए हर स्तर पर कोशिश कर रही थी. इसमें वे लोग सफल भी हुए.
रांची : पलामू एसपी को नहीं थी मुठभेड़ की सूचना
रांची : बकोरिया के कथित मुठभेड़ को लेकर लातेहार के तत्कालीन एसपी अजय लिंडा ने भी अपनी गवाही सीआइडी में दर्ज करायी थी.
लिंडा ने अपने लिखित बयान में कहा था कि आठ जून की रात 2.30 बजे तक पलामू के तत्कालीन एसपी को इस बात की कोई सूचना नहीं थी कि वहां पर मुठभेड़ हुआ था. उल्लेखनीय है कि घटना को लेकर दर्ज प्राथमिकी में मुठभेड़ का वक्त रात 11.00 बजे बताया गया है. प्राथमिकी में इस बात का भी जिक्र है कि मुठभेड़ की सूचना तुरंत पलामू के एसपी कन्हैया मयूर पटेल को दी गयी थी. बता दें कि घटना के बाद अजय लिंडा का भी तबादला कर दिया गया था.
आयोग से की थी फर्जी एनकाउंटर की शिकायत
चतरा. माओवादी प्रतापपुर निवासी अनुराग यादव से मिलने उसके परिजन स्कॉर्पियो से उक्त स्थल पर गये थे. पुलिस ने पकड़ कर सभी की हत्या कर दी थी. घटना में मारे जानेवाले में अनुराग यादव का पुत्र संतोष यादव, भतीजा जुगेश यादव व ड्राइवर एजाज अहमद शामिल हैं. अनुराग की पत्नी कौशल्या देवी ने मानवाधिकार आयोग में फर्जी एनकाउंटर की शिकायत की थी.
केस मैनेज के लिए दिया था रिश्वत का ऑफर
रांची : लातेहार के मृतक पारा टीचर उदय यादव के पिता व पत्नी सीआइडी के तत्कालीन एडीजी एमवी राव से मिलने सीआइडी मुख्यालय पहुंचे थे. उदय के पिता जवाहर उदय ने एडीजी को बताया कि सतबरवा के तत्कालीन थानेदार के रिश्तेदार ने केस मैनेज के नाम पर चार दिसंबर को 20 लाख का ऑफर किया है.
उसने यह भी कहा कि केस उठा लो क्योंकि पुलिस के हाथ लंबे होते हैं और तुम लोग पुलिस से नहीं जीत पाओगे. पीड़ित परिवार ने आवेदन देकर एडीजी से कहा है कि अगर उन्हें इस मामले में न्याय नहीं मिलेगा, तो वे राजभवन के सामने सपरिवार आत्मदाह कर लेंगे. समझौता करवाने वाले ने अपना नाम रहीश अंसारी बताया था.

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