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रांची : शाह ब्रदर्स के मामले में एजी ने भरमाया : बाबूलाल मरांडी

रांची : झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने महाधिवक्ता पर अदालत में गलत तथ्य रखते हुए शाह ब्रदर्स को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. साथ ही इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है. उन्होंने सरकार से सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने और महाधिवक्ता को […]

रांची : झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने महाधिवक्ता पर अदालत में गलत तथ्य रखते हुए शाह ब्रदर्स को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. साथ ही इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है. उन्होंने सरकार से सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने और महाधिवक्ता को पद से हटाने का भी आग्रह किया है. इस संबंध में मरांडी ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र भी लिखा है.
शनिवार को पत्रकारों से मरांडी ने कहा कि उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम ने शाह ब्रदर्स पर 250.63 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाते हुए एकमुश्त राशि अदा करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ शाह ब्रदर्स ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की.एकल पीठ में शाह ब्रदर्स की याचिका खारिज होने पर खंडपीठ में अपील याचिका दायर की गयी.
खान विभाग ने इस मामले में प्रति शपथ पत्र दायर कर 250.63 करोड़ रुपये की क्षति पूर्ति मांग पत्र को सही ठहराया. मरांडी ने कहा कि एक अक्तूबर को मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पट्टेधारी और राज्य सरकार के बीच एक समझौता हुआ है.
दोनों पक्षों की संयुक्त सहमति से 250.63 करोड़ रुपये की एकमुश्त राशि प्राप्त न कर किस्तों में प्राप्त करने की सहमति बनी है. प्रथम किस्त 40 करोड़ रुपये की राशि 11 अक्तूबर तक दिये जाने पर राज्य सरकार खनन परिवहन चालान निर्गत कर देगी, जो कि अभी पूर्ण भुगतान किये जाने के कारण बंद है.
महाधिवक्ता की इस दलील पर अदालत ने शाह ब्रदर्स को 11 अक्तूबर तक 40 करोड़ रुपये व शेष बकाया पेनाल्टी राशि सितंबर 2020 तक जमा करने का आदेश दे दिया. साथ ही प्रथम किस्त जमा करने के तुरंत बाद ट्रांजिट परमिट निर्गत करने का निर्देश दिया. जब अदालत का आदेश खान व भूतत्व विभाग में पहुंचा, तो पदाधिकारी भौंचक रह गये. इस मामले में विभाग की ओर से कोई सहमति नहीं बनी है. इसके बाद भूतत्व सचिव ने संचिका को आवश्यक मार्गदर्शन के लिए विधि विभाग के पास भेज दिया, जो अभी लंबित है.
मरांडी ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस पूरे प्रकरण में राज्य सरकार, महाधिवक्ता और शाह ब्रदर्स की मिलीभगत प्रमाणित होती है. सरकार शाह ब्रदर्स को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचा कर उपकृत करना चाहती है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अालोक में टाटा स्टील, रुंगटा माइंस, अनिल खिरवाल, रामेश्वरम जूट, देबुका भाई भेलजी एवं कई अन्य कंपनियों ने तय समय सीमा के अंदर एकमुश्त राशि का भुगतान किया था.
महाधिवक्ता ने कहा कुछ भी गलत नहीं
रांची. राज्य के महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा है कि हाइकोर्ट द्वारा मेसर्स शाह ब्रदर्स के मामले में दिया गया अंतरिम आदेश बिल्कुल उचित है. इसमें कहीं कुछ भी गलत नहीं है. इस मामले में राज्य सरकार ने शाह ब्रदर्स के विरुद्ध अवैध खनन के एवज में 250 करोड रुपये का मांग पत्र जारी किया था.
मांगी गयी राशि जमा नहीं करने के कारण पिछले नौ माह से शाह ब्रदर्स कंपनी का परिवहन चालान बंद है. मामला कोर्ट में विचाराधीन है. शाह ब्रदर्स की अोर से परिवहन चालान जारी करने को लेकर राज्य सरकार द्वारा मांगी गयी राशि किस्तों में भुगतान करने से संबंधित प्रस्ताव दिया गया
कुमार ने कहा कि राज्यहित में ही ऐसा प्रस्ताव स्वीकार किया जाना उचित था. पूर्व में सेल द्वारा 1400 करोड़ के डिमांड के विरुद्ध सिर्फ 200 करोड़ रुपये, कोल इंडिया द्वारा हजारों करोड़ के विरुद्ध 33 प्रतिशत, हिंडाल्‍को द्वारा मात्र 33 प्रतिशत राशि जमा करने पर ही राहत प्रदान की गयी थी.
ऐसी स्थिति में शाह ब्रदर्स द्वारा शत प्रतिशत डिमांड राशि जमा करने के प्रस्‍ताव पर मैंने राज्‍यहित में सहमति जतायी है. यह अंतरिम आदेश का मामला है. यदि विभाग को इस पर कोई आपत्ति है, तो आदेश में संशोधन के लिए आवेदन दायर किया जा सकता है. मैंने बतौर महाधिवक्‍ता अपने विवेक से राज्यहित में निर्णय लिया है.
कुमार ने कहा कि ऐसा लगता है कि पूर्व मुख्यमंत्री को पूर्व के मामलों में कोर्ट द्वारा दिएये गये आदेशों की पूरी जानकारी नहीं है, अन्‍यथा वे ऐसी बात नहीं कहते. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कॉमन कॉज के मामले में दिये गये आदेश के बाद झारखंड ही एकमात्र राज्‍य है, जिसने खनिजों के अवैध खनन के एवज में हजारों करोड़ रुपये का डिमांड जारी किया है.
अनर्गल आरोप लगाना बाबूलाल का पुराना इतिहास : भाजपा
रांची. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि बाबूलाल मरांडी का अनर्गल आरोप लगाने का लंबा इतिहास रहा है.उन्होंने अर्जुन मुंडा के सरकार पर भी बड़े बड़े आरोप लगाये थे, जो कभी सिद्ध नहीं हुए. इसी तरह रवींद्र राय के मामले में भी उन्होंने बेबुनियाद आरोप लगाया था. शाहदेव ने कहा कि असल में एक वर्ष के भीतर चार चुनाव हार जाने के बाद मरांडी की राजनीतिक जमीन खिसक गयी है, इसलिए वह इस तरह के बयान देकर समाचार पत्र में बने रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जिस शाह ब्रदर्स मामले की बात बाबूलाल कर रहे हैं, उसने अदालत में 100 प्रतिशत भुगतान करने का लिखित एफिडेविट दिया है और ढाई सौ करोड़ में से 33 प्रतिशत राशि, जो 80 करोड़ होती है, वो इस माह में जमा भी हो रहे हैं.
बाकी राशि किस्तों में जमा करने की बात है. शाहदेव ने कहा कि इस मामले में कंपनी द्वारा शत-प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाना है, जबकि स्टील अॉथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) द्वारा 1400 करोड़ के विरुद्ध सिर्फ 200 करोड़ के भुगतान पर राहत मिली है.
कोल इंडिया को शून्य भुगतान पर न्यायालय से राहत मिली हुई है. हिंडालको के मामले में न्यायालय द्वारा 33 प्रतिशत भुगतान के साथ पर राहत दी गयी है. लेकिन इन मामलों को बाबूलाल ने मुद्दा नहीं बनाया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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