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रांची : वनाधिकार कानून से अदिवासियों को अधिकार दिलाने का लिया संकल्प

रांची : वनाधिकार कानून के अनुपालन की स्थिति राज्य में अच्छी नहीं है. इसके प्रभावी होने के लिए जरूरी है कि वनाधिकार अथॉरिटी बने और एक स्वतंत्र लोकपाल हो. यह बात झारखंड वन अधिकार मंच व इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद द्वारा प्रेस क्लब में आयोजित कार्यशाला में उभर कर आयी. कार्यशाला में विभिन्न राजनीतिक […]

रांची : वनाधिकार कानून के अनुपालन की स्थिति राज्य में अच्छी नहीं है. इसके प्रभावी होने के लिए जरूरी है कि वनाधिकार अथॉरिटी बने और एक स्वतंत्र लोकपाल हो.
यह बात झारखंड वन अधिकार मंच व इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद द्वारा प्रेस क्लब में आयोजित कार्यशाला में उभर कर आयी. कार्यशाला में विभिन्न राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था. इन प्रतिनिधियों ने आश्वस्त किया कि उनकी पार्टी आदिवासियों और कमजोर लोगों को इस कानून के माध्यम से दिये जानेवाले हक-अधिकार की वकालत करेगी.
इससे पूर्व प्रो संजय बसु मल्लिक ने वनाधिकार कानून के महत्व पर प्रकाश डाला, वहीं जॉर्ज मोनीपली ने वनाधिकार कानून के अनुपालन के बाधक तत्वों की चर्चा की.
सुधीर पाल ने राजनीतिक दलों की भूमिका व उनसे सिविल सोसाइटी की अपेक्षा के बारे में बताया. कार्यक्रम में वनाधिकार मंच के विभिन्न जिलों के सहयोगी, संयोजक मंडली की सदस्य डॉ सुनीता ,बनारसी सिंह, मंच के कार्यकर्ता कामिनी, स्निग्धा अग्रवाल, संजीव व अन्य उपस्थित थे़
जनांदोलन खड़ा करने की जरूरत : मांडर की विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि इस विषय पर जनांदोलन खड़ा करने की जरूरत है़ लोगों को वनभूमि का पट्टा मिल रहा है, पर सामुदायिक पट्टे कम मिले है़ं जिन्हें पट्टा मिला है, उन्हें जमीन पर कब्जा मिला है या नहीं, इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है़
वे कार्यशाला की अनुशंसाओं के आलोक में सरकार से बात करेंगी और इसके बेहतर अनुपालन के लिए कार्य करेंगी़ भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि वनाधिकार कानून को अन्य कानूनाें के साथ समग्रता में देखने की जरूरत है़
इस कानून के लागू नहीं होने में निचले लेवल की ब्यूरोक्रेसी एक बड़ी समस्या है़ आम आदमी पार्टी के राजन ने कहा कि वनाधिकार कानून अच्छी तरह लागू नहीं होने का ठीकरा सरकार के लोग ब्यूरोक्रेसी पर नहीं फोड़ सकते़ सत्ताधारी दल को जिम्मेवारी लेनी होगी़ लगभग 5000 लघु वनोपज हैं, जिन पर यदि अधिकार दिया गया, तो कई वन निवासी परिवार गरीबी रेखा से ऊपर आ जायेंगे़
कानून लागू होने के बाद भी वन विभाग आदवासियों को कर रहा है परेशान
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रियो भट्टाचार्य व पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि इस कानून के लागू होने के बाद भी वन विभाग आदिवासियों को परेशान कर रहा है़
झामुमो के लिए जंगल का सवाल सर्वोपरि रहा है़ राष्ट्रीय जनता दल के गौतम सागर राणा ने कहा कि जमीन और जंगल के सवाल पर सजग रहने की जरूरत है़ कॉर्पोरेट व सरकार के गठजोड़ पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वनाधिकार कानून के साथ अन्य कानूनों को समग्रता से लेकर अभियान छेड़ने की जरूरत है़
पंचायत को सशक्त करने की जरूरत अधिकारों से वंचित लोगों के आंकड़े हों कांग्रेस के जयप्रकाश गुप्ता ने कहा कि कितने लोगों को पट्टा मिला है और कितने लोग इस अधिकार से वंचित हैं, इसका आंकड़ा सामने लाना होगा.
सुंदरी तिर्की ने ग्राम विकास समिति को भंग करने और ग्रामसभा व पंचायतों को सशक्त करने की आवश्यकता बतायी. सीपीएम के जेडी बक्शी ने कहा कि उनकी पार्टी इस कानून को लाने में अगली पंक्ति में रही है. माले के जगन्नाथ उरांव ने कहा कि उनकी पार्टी इस कानून के लेकर कैडर तैयार कर रही है. आजसू के जयंतो घोष कहा कि ग्राम सभा को जागरूक करना और वन लोकपाल जरूरी है़

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