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रांची : मतदाता पुनरीक्षण की तर्ज पर हो राशन कार्ड पुनरीक्षण
भूख से मौत होने के मामले की जांच के लिए बनी समिति ने दी रिपोर्ट रांची : भूख से होनेवाली तथाकथित मौत की जांच के संबंध में एक विस्तृत प्रपत्र (फॉर्मेट) तैयार करने तथा राज्य में भूख से मौत की संभावना को कम करने संबंधी प्रशासनिक उपाय की अनुशंसा के लिए एक जांच समिति का […]
भूख से मौत होने के मामले की जांच के लिए बनी समिति ने दी रिपोर्ट
रांची : भूख से होनेवाली तथाकथित मौत की जांच के संबंध में एक विस्तृत प्रपत्र (फॉर्मेट) तैयार करने तथा राज्य में भूख से मौत की संभावना को कम करने संबंधी प्रशासनिक उपाय की अनुशंसा के लिए एक जांच समिति का गठन किया गया था.
निदेशक खाद्य व उपभोक्ता मामले की अध्यक्षता में 28 फरवरी 2018 को गठित इस समिति ने अपनी रिपोर्ट खाद्य आपूर्ति सचिव को सौंप दी है. समिति ने सुझाव दिया है कि मतदाता पुनरीक्षण की तर्ज पर राशन कार्ड का भी पुनरीक्षण कराया जाये. समिति ने जन वितरण प्रणाली के लाभुकों की पहचान के लिए समावेशन व अपवर्जन मानक पर फिर से विचार करने तथा राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया सरल करने का भी सुझाव दिया है.
रिपोर्ट में पीडीएस लाभुकों के बीच दाल वितरण कराने की व्यवस्था करने का सुझाव भी है. वहीं योग्य लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा तथा स्वास्थ्य संबंधी सरकारी योजनाअों (पीडीएस से अनाज वितरण, सरकारी पेंशन, मनरेगा, मध्याह्न भोजन, आंगनबाड़ी केंद्र व कुपोषण उपचार केंद्र सहित अन्य) को पूरी तरह संचालित रखने को कहा गया है. इसमें लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारी, कर्मचारी या व्यक्ति के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई हो. वहीं सहिया, एएनएम तथा स्वास्थ्य केंद्र क्रियाशील रहें, यह सुनिश्चित कराने की भी अनुशंसा की गयी है.
समिति ने यह सुझाव दिया है कि हर गांव में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) के आधार पर भूख से प्रभावित व्यक्ति की पहचान कर उसका समुचित इलाज कराया जाये. जिन क्षेत्रों में आठ-10 फीसदी बच्चे कुपोषित मिलें, वहां सभी लोगों की बीएमआइ जांच की जाये. यह काम समाज कल्याण तथा स्वास्थ्य विभाग की सहायता से कराने का सुझाव दिया गया है. पंचायतों व नगर निकाय प्रतिनिधियों सहित स्वयंसेवी संस्था से भी यह अपेक्षा की गयी है कि वह ऐसा सूचना तंत्र विकसित करें, जिससे किसी भूखे की सूचना तुरंत मिल जाये. रिपोर्ट में आदिम जनजाति समूह, एकल महिला या पुरुष, दिव्यांग तथा गंभीर आर्थिक संकट झेल रहे लोगों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बतायी गयी है.
बॉडी मास इंडेक्स के आधार पर हो भूख से प्रभावित की पहचान
सात सदस्यीय समिति में कौन-कौन हैं
अध्यक्ष – सुनील कुमार सिन्हा (निदेशक खाद्य). संयोजक – बलराम (सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मनोनीत आयुक्त के सलाहकार). सदस्य- लालू कच्छप (संयुक्त सचिव समाज कल्याण), लुदी कुमारी (उप निदेशक, प्राथमिक शिक्षा), अशरफी नंद प्रसाद (भोजन का अधिकार अभियान, झारखंड), राकेश कुमार सिंह (राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद) तथा डॉ सुरजीन प्रसाद (एनएचएम, नामकुम).
भूख से हुई मौत की जांच संबंधी सुझाव और अनुशंसा
24 घंटे के अंदर संबंधित जिले के उपायुक्त वहां के एसडीअो/अपर समाहर्ता, सिविल सर्जन, सीएमअो तथा एसीएमअो से संयुक्त रूप से जांच करा कर इसकी रिपोर्ट तीन दिनों के अंदर सरकार को उपलब्ध करायें.मृतक का पोस्टमार्टम हो लेकिन इसकी रिपोर्ट, जांच रिपोर्ट के साथ संलग्न हो.
जांच के दौरान संबंधित परिवार के सभी सदस्य, मुखिया, ग्राम प्रधान व वार्ड सदस्य, मृतक के पड़ोसी, चौकीदार, आंगनबाड़ी सेविका, पीडीएस दुकानदार, सहिया व एएनएम तथा वहां के किसी शिक्षक से उनका हस्ताक्षरयुक्त बयान लिया जाये.
मृतक व उसके परिवार के राशन कार्ड तथा विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने या न मिलने, उनके सामाजिक व आर्थिक स्थिति, उनके चिकित्सा इतिहास तथा किसी बीमारी या अन्य कारण से भूख कम होने या मर जाने संबंधी जांच व आकलन भी कर लिया जाये.
भूख से तुरंत मौत नहीं होती. इसलिए यह जांच भी कर ली जाये कि मौत से पहले मृतक कब से भूखा-प्यासा या बीमार था. उसका इलाज कहां व कैसे हुआ. इलाज नहीं हुआ, तो इसका कारण क्या था.
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