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डेंगू और कैंसर के मरीजों के लिए खुशखबरी, रिम्स में निःशुल्क मिलेगा ब्लड प्लेटलेट

रांची : मरीजों के परिजनों को अब प्लेटलेट्स के लिए रक्तदान नहीं करना होगा. झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अब बिना किसी रिप्लेसमेंट के मरीजों को रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) उपलब्ध कराये जायेंगे. पहले इसके लिए मरीज […]

रांची : मरीजों के परिजनों को अब प्लेटलेट्स के लिए रक्तदान नहीं करना होगा. झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अब बिना किसी रिप्लेसमेंट के मरीजों को रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) उपलब्ध कराये जायेंगे. पहले इसके लिए मरीज के परिजन को हर यूनिट के लिए ब्लड डोनेट करना पड़ता था. सोमवार को जारी आदेश से कैंसर और डेंगू के मरीजों कोसबसेज्यादा फायदा होगा. इन बीमारियों में मरीज के प्लेटलेट घट जाते हैं.

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कार्यालय आदेश में कहा गया है कि पत्र जारी करने की तिथि यानी 27 अगस्त, 2018 से रिम्स के ब्लड बैंक से रैंडम डोनर प्लेटलेट्स बिना किसी रिप्लेसमेंट के मरीजों को उपलब्ध कराये जायेंगे. ब्लड डोनेशन के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों ने रिम्स के इस कदम का स्वागत किया है.

लाइफसेवर्स ग्रुप के संस्थापक अतुल गेरा ने कहा है कि रिम्स के इस फैसले से डेंगू और कैंसर के मरीजों को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि जब शहर में डेंगू फैलता है, तो हर दिन करीब 200 या उससे भी ज्यादा यूनिट रक्त की जरूरत पड़ती है. कैंसर के मरीजों की कीमोथेरैपी होती है, तो उनके प्लेटलेट्स घट जाते हैं. ऐसे में उन्हें कई यूनिट प्लेटलेट की जरूरत पड़ती है.

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श्री गेरा ने बताया कि रिम्स को कई माध्यमों से ब्लड मिलते हैं. ब्लड डोनेशन कैंप के अलावा रिप्लेसमेंट से भी ब्लड बैंक को रक्त मिल जाता है. प्लेटलेट ब्लड का बाइ-प्रोडक्ट है. ऐसे में लोगों से इसका पैसा लिया जाना या रिप्लेसमेंट लेना उचित नहीं है. वे लंबे अरसे से बिना रिप्लेसमेंट प्लेटलेट देने की मांग कर रहे थे. उन्होंने कहा कि रिम्स ने देर से फैसला किया, लेकिन यह सही फैसला है.

श्री गेरा ने बताया कि प्लेटलेट रक्त का बाइ-प्रोडक्ट है और पांच दिन के बाद बेकार हो जाता है.रिम्सके इस फैसले से अबइसकाइस्तेमाल भी होजायेगाऔर लोग परेशान भी नहीं होंगे. उन्होंने बताया कि पहले जरूरतमंदों को ब्लड चढ़ा दिया जाता था. अब इसके कंपोनेंट्स बनाये जा रहे हैं. इससे एकयूनिटब्लड का लाभ कई लोगों को मिल रहा है.

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उन्होंने बताया कि इस वक्त रिम्स में 20 फीसदी कंपोनेंट्स बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि थैलीसीमिया के मरीजों को पहले से ही बिना रिप्लेसमेंट रक्त उपलब्ध कराये जा रहे थे. अब लोगों को प्लेटलेट भी बिना रिप्लेसमेंट के मिलेंगे,यह अच्छी बात है. इससे एक साथ कई लोगों की जान बच सकेगी.

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