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झारखंड में 60 % विवाहित नहीं अपनाते गर्भ निरोधक उपाय

राहुल गुरु राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के नतीजे काफी चौंकानेवाले हैं. सर्वे के मुताबिक झारखंड के 29 फीसदी पुरुषों को पत्नी पर भरोसा नहीं है. वो मानते हैं कि गर्भ निरोधक उपाय करनेवाली महिला के संबंध एक से अधिक लोगों से हो सकते हैं. वहीं 60 प्रतिशत विवाहित महिला-पुरुष गर्भ निरोधक के किसी भी तरह […]

राहुल गुरु

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के नतीजे काफी चौंकानेवाले हैं. सर्वे के मुताबिक झारखंड के 29 फीसदी पुरुषों को पत्नी पर भरोसा नहीं है. वो मानते हैं कि गर्भ निरोधक उपाय करनेवाली महिला के संबंध एक से अधिक लोगों से हो सकते हैं. वहीं 60 प्रतिशत विवाहित महिला-पुरुष गर्भ निरोधक के किसी भी तरह के साधनों का उपयोग नहीं करते हैं. शेष 40 फीसदी मामलों में गर्भ निरोधक उपायों को अपनाने की दर शहरों में 47 और ग्रामीण इलाकों में 38 फीसदी देखने को मिली. खास बात यह है कि 15-49 आयु वर्ग के 56 फीसदी पुरुषों का मानना है कि गर्भ निरोधक उपायों को अपनाने का काम महिलाओं का है, उनका नहीं.

गर्भ निरोधक उपायों के मामलों में महिला नसबंदी की हिस्सेदारी 77 फीसदी

आंकड़ों के मुताबिक गर्भ निरोधक उपायों के मामलों में महिला नसबंदी की हिस्सेदारी 77 फीसदी है. कुल गर्भ निरोधक उपायों के अपनाने के मामलों में 31 फीसदी के साथ महिलाओं की नसबंदी सबसे अधिक लोकप्रिय माध्यम है. जबकि निरोध का उपयोग 2 फीसदी और गर्भ निरोधक गोलियों का उपयोग तीन फीसदी है. पुरुषों में नसबंदी की दर 0.2 फीसदी है. वहीं 15-19 आयु वर्ग की 93 फीसदी महिलाएं और 98 फीसदी पुरुष किसी तरह के गर्भ निरोधक उपायों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. जिसका सीधा असर कम उम्र में मां बनने पर पड़ता है. झारखंड में 17 साल की उम्र में लगभग 5 फीसदी,18 की उम्र में 13 फीसदी और 19 की उम्र में 26 फीसदी महिलाएं अपने पहले बच्चे को जन्म दे देती हैं. वहीं 17 की उम्र में 8 फीसदी,18 की उम्र में 18 और 19 की उम्र में 33 फीसदी महिलाएं गर्भ धारण कर लेती हैं. आंकड़ों के मुताबिक आज भी 38 फीसदी लकड़ियों की शादी कम उम्र में हो जाती है. 15-19 आयु वर्ग में वो विवाहित महिलाएं जो कभी स्कूल नहीं गयी हैं उनमें से 19 फीसदी मां बन जाती हैं, जबकि जिन्होंने 12वीं या उससे अधिक की शिक्षा पूरी की हैं उनमें यह दर घट कर लगभग 6 फीसदी हो गयी है. वहीं उक्त आयु वर्ग में ही जो कभी स्कूल नहीं गयी, उनमें 25 फीसदी ने गर्भधारण कर लिया था जबकि 12वीं या उससे अधिक शिक्षा प्राप्त महिलाओं में यह दर 9 फीसदी थी.

उम्र और शिक्षा का पड़ा है असर

आंकड़ों के मुताबिक 15-19 आयु वर्ग में गर्भ निरोधक उपायों को अपनाने की दर 7 फीसदी थी जो 30-40 आयु वर्ग में बढ़ कर 52-53 फीसदी हो गयी. इसी तरह पढ़ाई के मामले में भी देखने को मिला. 12वीं या उससे अधिक स्कूली शिक्षा प्राप्त महिलाओं में नसबंदी की दर 37 फीसदी थी जबकि कभी स्कूल नहीं गयी महिलाओं में यह दर 16 फीसदी थी.

परिवार नियोजन में लड़का है प्रमुख कारक

आंकड़ों से साफ है कि परिवार बनाने में पहली प्राथमिकता लोगों के लिए लड़का है. इसका सीधा असर परिवार नियोजन के साधनों के उपयोग में देखने को मिला. उन महिलाओं के बीच जिनके पहले से ही बेटे हैं या जिनकी दो संतानों में से कम से कम एक लड़का है, उनमें गर्भ निरोधक उपायों के अपनाने की दर 52 फीसदी देखी गयी जबकि दो लड़कियों वाली जिनका कोई लड़का नहीं था उन महिलाओं में इसे अपनाने की दर 23 फीसदी देखने को मिली.

गर्भ निरोधक उपाय नहीं अपनाने के पीछे हमारा पितृ सत्तात्मक सामाजिक ढांचा जिम्मेदार है, जो स्त्री को बच्चा पैदा करने की मशीन के रूप में देखता है. बच्चा पैदा करना है या नहीं, इसके लिए गर्भ निरोधक उपायों की बात की जाती है लेकिन यह बात कोई नहीं करता कि यह संक्रमण की संभावना को भी कम करता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है.
जोशी जोश, सीनियर डायरेक्टर (प्रोग्राम) स्वयंसेवी संस्था ब्रेक थ्रू

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