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डॉक्टरों व पारा मेडिकल कर्मी को दें ब्लड मोबाइल एप की जानकारी

मामला राज्य में नेशनल ब्लड पॉलिसी लागू करने का, हाइकोर्ट ने कहा रांची : झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को राज्य में नेशनल ब्लड पॉलिसी लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि ब्लड की […]

मामला राज्य में नेशनल ब्लड पॉलिसी लागू करने का, हाइकोर्ट ने कहा

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को राज्य में नेशनल ब्लड पॉलिसी लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि ब्लड की उपलब्धता से संबंधित मोबाइल एप के विषय में आम लोगों को जानकारी दी जाये. इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये. खंडपीठ ने कहा कि जब डॉक्टरों व पारा मेडिकलकर्मियों को ही मोबाइल एप की जानकारी नहीं है, तो आम लोगों को कैसे इस एप की जानकारी मिल पायेगी. इस बिंदु पर सरकार को विचार कर जरूरी कदम उठाना चाहिए. डॉक्टर व पारा मेडिकल स्टॉफ के पास मोबाइल एप की जानकारी रहेगी, तो वे भी आम लोगों को जागरूक कर सकेंगे. कहा कि मरीजों के लिए जो सरकारी योजनाएं हैं, वह भी सही तरीके से नहीं पहुंच पाती हैं.
सरकारी योजनाओं का प्रचार- प्रसार किया जाना चाहिए, ताकि जरूरतमंदों को उसका लाभ मिल सके. ब्लड मोबाइल एप व मरीजों के लिए लागू योजनाओं को ग्रास रूट स्तर तक पहुंचाने की जरूरत है. खंडपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए जवाब देने के लिए समय प्रदान कर दिया. राज्य में चार जिलों में ब्लड सेपरेशन यूनिट लगाने से संबंधित टेंडर के मामले में जानकारी देने को कहा. सरकार की अोर से अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्र ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अतुल गेरा ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने राज्य में नेशनल ब्लड पॉलिसी को लागू करने की मांग की है.
सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार जरूरी
मरीजों के लिए लागू योजनाओं को ग्रास रूट तक पहुंचाने की जरूरत
राज्य सरकार को जवाब दािखल करने का िनर्देश
उपभोक्ता आयोग व जिला उपभोक्ता फोरम के मामले में सरकार से जवाब मांगा
रांची. झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को राज्य उपभोक्ता आयोग व जिला उपभोक्ता फोरम में आधारभूत सुविधाओं की कमी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कार्मिक, गृह विभाग व भवन निर्माण विभाग को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि जिला उपभोक्ता फोरम में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति क्यों नहीं की गयी है. इससे संबंधित जो विज्ञापन निकाला गया था, उसे क्यों रद्द कर दिया गया.
आधारभूत संरचना के विषय में भवन निर्माण विभाग से जानकारी मांगी. वहीं गृह विभाग से सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाये गये, इसके बारे में पूछा. कार्मिक से नियुक्तियों के संबंध में जानकारी मांगी गयी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता आशुतोष आनंद ने खंडपीठ को बताया कि जिला उपभोक्ता फोरम की आधारभूत संरचना के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के लिए भी कदम नहीं उठाया गया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुनील उरांव ने जनहित याचिका दायर की है.
अधिकारियों के काम में विलंब करने से राज्यहित प्रभावित होता है
रांची. झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को सारंडा जंगल व आसपास के क्षेत्रों में अवैध खनन से हो रहे प्रदूषण काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से खंडपीठ ने कहा कि सरकार के अधिकारियों के विलंब करने से राज्यहित प्रभावित होता है. किसी भी मामले में विलंब नहीं करना चाहिए. टालमटोल नहीं चलेगा. खंडपीठ ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के अंदर शपथ पत्र दायर कर सारंडा क्षेत्र में आयरन अोर से संबंधित कंपनियों के लीज नवीनीकरण के लंबित मामलों के निष्पादन का टाइम फ्रेम बताने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई अब पांच जुलाई को होगी़ इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने खंडपीठ को बताया कि लंबे समय से कंपनियों के लीज नवीकरण का मामला लंबित है. सरकार एक्सटेंशन के प्रस्ताव पर अभी सुनवाई ही कर रही है.
कोर्ट ने वर्ष 2016 में निर्देश दिया था कि सारंडा क्षेत्र में माइनिंग करनेवाली कंपनियों के लीज एक्सटेंशन या डिम्ड एक्सटेंशन के मामले का क्लीयरेंस छह माह में कर लिया जाये.
रांची. झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को सारंडा जंगल व आसपास के क्षेत्रों में अवैध खनन से हो रहे प्रदूषण काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से खंडपीठ ने कहा कि सरकार के अधिकारियों के विलंब करने से राज्यहित प्रभावित होता है. किसी भी मामले में विलंब नहीं करना चाहिए. टालमटोल नहीं चलेगा. खंडपीठ ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के अंदर शपथ पत्र दायर कर सारंडा क्षेत्र में आयरन अोर से संबंधित कंपनियों के लीज नवीनीकरण के लंबित मामलों के निष्पादन का टाइम फ्रेम बताने का निर्देश दिया.
मामले की अगली सुनवाई अब पांच जुलाई को होगी़ इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने खंडपीठ को बताया कि लंबे समय से कंपनियों के लीज नवीकरण का मामला लंबित है. सरकार एक्सटेंशन के प्रस्ताव पर अभी सुनवाई ही कर रही है. कोर्ट ने वर्ष 2016 में निर्देश दिया था कि सारंडा क्षेत्र में माइनिंग करनेवाली कंपनियों के लीज एक्सटेंशन या डिम्ड एक्सटेंशन के मामले का क्लीयरेंस छह माह में कर लिया जाये.

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