15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस : जुड़े रहिये योग से, जरूरी नहीं कि हमें ‘नरेंद्र’ बार-बार मिलें

महेश पोद्दार आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है. मैं योग को परिभाषित करूं या इस पर विस्तृत व्याख्यान अापके समक्ष रखूं, यह धृष्टता करने का मेरा कोई इरादा नहीं है. मैं इसके लिए खुद को अधिकृत मानता भी नहीं. लेकिन, मौके पर उन विभूतियों के प्रति श्रद्धा निवेदित करने से खुद को कैसे रोकूं, जिन्होंने पूरी […]

महेश पोद्दार
आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है. मैं योग को परिभाषित करूं या इस पर विस्तृत व्याख्यान अापके समक्ष रखूं, यह धृष्टता करने का मेरा कोई इरादा नहीं है. मैं इसके लिए खुद को अधिकृत मानता भी नहीं.
लेकिन, मौके पर उन विभूतियों के प्रति श्रद्धा निवेदित करने से खुद को कैसे रोकूं, जिन्होंने पूरी दुनिया में योग को और उसके माध्यम से भारत को, भारतीय संस्कृति को प्रतिष्ठित किया है. योग लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है. योग की चमक एक बार फिर दुनिया भर में बिखरी 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में, जब भारत भूमि पर एक दैदीप्यमान सूरज उदित हुआ. जिसने दुनिया का योग से पुन: परिचय कराया. ओज से भरे उस तरुण का नाम था ‘नरेंद्र’. जो स्वामी विवेकानंद के रूप में विश्वविख्यात हुए.
11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा ने भारत द्वारा पेश किये गये प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया. इस प्रस्ताव का समर्थन 193 में से 175 देशों ने किया और बिना वोटिंग के इसे स्वीकार कर लिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 14 सितंबर 2014 को पहली बार पेश किया गया यह प्रस्ताव तीन महीने से भी कम समय में यूएन की महासभा में पास हो गया.
योग को वैश्विक मान्यता मिलने के बाद पहली बार दिल्ली के राजपथ पर हुए समारोह ने दो गिनीज रिकॉर्ड्स बनाये. प्रथम बार विश्व योग दिवस पर 192 देशों में योग का आयोजन किया गया जिसमें 47 मुस्लिम देश भी शामिल थे. मैं समझता हूं, कोई व्यक्ति चाहे वह कितना भी शक्तिशाली हो पूरी दुनिया को अपनी मान्यता या प्रस्ताव के पक्ष में तभी खड़ा कर सकता है जब वह खुद उस मान्यता को पूर्णतः अंगीकार करनेवाला हो.
श्रीमद्भगवदगीता में भी योग के बारे में बताया गया है कि- सिद्दध्यसिद्दध्यो समोभूत्वा समत्वंयोग उच्चते. अर्थात सुख:दुःख, लाभ-अलाभ, शत्रु-मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्र समभाव रखना योग है. और फिर योग की जितनी धार्मिक मान्यता है, उतना ही स्वस्थ शरीर के लिए भी जरूरी है.अंत में सबसे बड़ी बात, योग का एक अर्थ जुड़ना भी है तो बस जुड़े रहिये योग के साथ.
(लेखक राज्यसभा में भाजपा के सांसद हैं)
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel