कुंदन पाहन की गिरफ्तारी के 45 दिन बाद एनआइए को जांच करने का जिम्मा दिया गया, किसी अभियुक्त ने राजा पीटर का नाम नहीं लिया
एनआइए के वरिष्ठ अधिकारी की देख-रेख में पुन: जांच हो
रांची : झाविमो अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड में एनआइए की जांच पर सवाल उठाया है. श्री मरांडी ने तथ्यों और साक्ष्य को रखते हुए कहा है कि घटनाक्रम ऐसे हैं कि तमाड़ के पूर्व विधायक गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर को राजनीतिक षडयंत्र के तहत फंसाने की साजिश की गयी है.
श्री मरांडी ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिख कर पूरे मामले की पुनर्समीक्षा करते हुए एनआइए के किसी वरिष्ठ अधिकारी की देखरेख में जांच कराने को कहा है. उन्होंने कहा कि माओवादी कुंदन पाहन की गिरफ्तारी के 45 दिनों बाद एनआइए को जांच का जिम्मा दिया गया, इससे इस आशंका को बल मिलता है कि किसी साजिश के तहत जांच करायी गयी.
जांच में राज्य सरकार कहां असफल रही और किन कठिनाइयों की वजह से जांच के लिए केंद्र को लिखा गया, इसे भी साफ करना चाहिए. श्री मरांडी ने कहा कि इस मामले में तीन अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है, किसी भी अभियुक्त ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में राजा पीटर का नाम नहीं लिया है. वहीं राज्य सरकार ने दो मुख्य अभियुक्त राम मोहन सिंह मुंडा और टिपरु वर्मा को सरकारी गवाह बना लिया़
श्री मरांडी ने कहा है कि नौ जुलाई 2008 को पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या कर दी गयी. विधायक के साथ उनके अंगरक्षक और एक बच्चे की मौत हुई थी. इस घटना की जांच सरकार ने पहले सीआइडी को दी. इस मामले मेें बलराम साहू नाम का एक अभियुक्त पकड़ा गया.
एनआइए द्वारा दर्ज एफआइआर में भी इसे अभियुक्त बनाया गया है. बलराम साहू ने पुलिस को दिये गये गये बयान में स्वीकार किया है कि कुंदन पाहन के कहने पर रमेश सिंह मुंडा की हत्या की गयी. इस घटना में एक और अभियुक्त राम मोहन सिंह मुंडा की गिरफ्तारी हुई.
उसने घटना में राजा पीटर की संलिप्तता से इंकार किया. 14 मई 2017 को कुंदन पाहन ने रांची पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड में अपना जुर्म कबूल करते हुए राजा पीटर की संलिप्तता से इंकार किया. श्री मरांडी ने कहा कि 30 जून 2017 को एनआइए जांच का जिम्मा लेते हुए एफआइआर दर्ज करता है. आठ अक्टूबर को राजा पीटर की गिरफ्तारी करते हुए एनआइए की दलील रहती है कि उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य है.
जबकि अभी तक हुई जांच, परिस्थितिजन्य साक्ष्य और चार्जशीट के आधार पर सच्चाई कोसों दूर है. श्री मरांडी ने गृहमंत्री से आग्रह किया है कि राजा पीटर की पत्नी आरती कुमारी ने उन्हें आवेदन दिया है़
इसमें सभी अभियुक्तों के स्वीकारोक्ति बयान की छाया प्रति भी है. वह संजीवनी ग्राम ट्रस्ट नाम की एनजीओ चलाती है. वह इस मामले में निष्पक्ष जांच चाहते हैं, जिससे केंद्रीय एजेंसी की जांच पर विश्वास कायम रहे. कोई निर्दोष हो, तो राजनीति षडयंत्र के कारण से प्रताड़ित न हो. इस मामले की फिर से जांच
होनी चाहिए़
विकास मुंडा के आमरण अनशन के बाद हुई थी जांच की अनुशंसा
स्व रमेश सिंह मुंडा के पुत्र व तमाड़ विधायक विकास मुंडा ने इस मामले में जांचको लेकर आमरण अनशन किया था. विकास मुंडा ने अपने पिता की हत्या की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने की मांग की थी. वह मोरहाबादी में लगातार कई दिनों तक आनशन में बैठे रहे. आजसू पार्टी और विकास मुंडा के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड की जांच एनआइए से कराने की अनुशंसा की थी़
