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पीडीएस दुकानों में बचे अनाज की हो रही कालाबाजारी

रांची : राज्य भर की पीडीएस दुकानों में बचे अनाज का कोई हिसाब नेशनल इंफॉरमेशन सेंटर (एनआइसी) की अोर से सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं रहता है. जबकि लाभुकों को अनाज वितरण के बाद शेष बचे अनाज पीडीएस डीलरों को हर माह मिलने वाले अनाज में एडजस्ट किया जाना चाहिए. पर अब यह काम […]

रांची : राज्य भर की पीडीएस दुकानों में बचे अनाज का कोई हिसाब नेशनल इंफॉरमेशन सेंटर (एनआइसी) की अोर से सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं रहता है. जबकि लाभुकों को अनाज वितरण के बाद शेष बचे अनाज पीडीएस डीलरों को हर माह मिलने वाले अनाज में एडजस्ट किया जाना चाहिए. पर अब यह काम नहीं हो रहा है. यानी यदि किसी डीलर को कोटा के अनुरूप हर माह 100 किलो चावल मिलता है तथा किसी माह उसके पास अनाज वितरण के बाद 20 किलो अनाज बच जाता है,

तो अगले माह उसे 80 किलो अनाज ही आवंटित होगा. पर अभी बचे अनाज का हिसाब रखा ही नहीं जा रहा है. वहीं खाद्य अापूर्ति विभाग का भी इस पर नियंत्रण नहीं है. इधर अाशंका यह है कि बचे अनाज की कालाबाजारी हो रही है. जिला आपूर्ति पदाधिकारी (डीएसअो), रांची की एनआइसी, रांची के तकनीकी विशेषज्ञ शिवजी कोड़हा को भेजी चिट्ठी से इस बात की पुष्टि होती है.

डीएसअो ने एनआइसी को लिखा पत्र, अौसतन 200 करोड़ की सालाना हेराफेरी
क्या लिखा है चिट्ठी में
डीएसअो ने लिखा है कि सरकार की वेबसाइट aahar.jharkhand.gov.in पर डीलरों द्वारा वितरित अनाज की मात्रा प्रदर्शित होती है, पर बचे राशन का विवरण वहां नहीं होता. इससे बचे अनाज की कालाबाजारी करने में डीलरों को सहूलियत होती है तथा विभिन्न बहाने बनाये जाते हैं. यदि सभी डीलरों के पास संबंधित माह में बचे अनाज का विवरण भी साइट पर उपलब्ध होगा, तो कालाबाजारी पर रोक लगेगी, तथा इसकी जांच करना आसान रहेगा. वहीं आम लोगों को भी इसकी जानकारी मिलेगी.
गौरतलब है कि झारखंड लक्षित जन वितरण प्रणाली (नियंत्रण) के नये आदेश-2016 के प्रावधान के अनुसार डीलरों के पास बचा अनाज प्रदर्शित किया जाना जरूरी है. डीएसअो ने लिखा है कि खाद्य आपूर्ति विभाग के प्रखंड स्थित गोदामों की प्राप्ति, वितरण व अवशेष अनाज का प्रदर्शन भी aahar.jharkhand.gov.in पर किया जाना आवश्यक है. हालांकि सारे गोदाम अॉनलाइन हैं, पर वास्तविक रूप में इनका अॉनलाइन प्रदर्शन पारदर्शी तरीके से नहीं हो रहा है, जिससे गोदाम में उपलब्ध अनाज या राशन की सही मात्रा का पता नहीं चलता है. इससे कई तरह की गड़बड़ी की संभावना रहती है.
सालाना 200 करोड़ का घपला
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम प्रभावी होने के बाद पूर्व विभागीय सचिव विनय चौबे के कार्यकाल में अक्तूबर 2016 से अक्तूबर 2017 तक के एक वर्ष में 25 करोड़ रुपये मूल्य का करीब आठ लाख क्विंटल बचा अनाज एडजस्ट किया गया था. यह लागत सरकारी अनुदानित दर के आधार पर है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार राज्य को 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनाज उपलब्ध कराती है. इस तरह तीन रुपये किलो अनाज डीलरों के पास पहुंचता है. बच जाने पर इसे बाजार दर पर करीब 25 रु किलो की दर से बेचा जाता है. इस तरह सरकारी दर वाला 25 करोड़ का अनाज, बाजार दर पर करीब 200 करोड़ का हुआ.

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