II सुनील कुमार झा II
दावा- 26,674 को नियुक्ति पत्र दिया, 10,965 कर रहे नौकरी
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास झारखंड के युवक, युवतियों को रोजगार देने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. इसके लिए कई योजनाएं भी चलायी. इस वर्ष स्किल समिट का आयोजन भी किया गया. पर कुछ अधिकारियों, पदाधिकारियों (सभी नहीं) के रवैये और काम करने की उनकी शैली मुख्यमंत्री की इस तरह की महत्वाकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर रहे हैं. झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी ने दावा किया है कि 12 जनवरी को आयोजित स्किल समिट में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना और झारखंड के 26,674 युवक-युवतियों को रोजगार दिया गया.
सभी चयनित अभ्यर्थियों काे नियुक्ति पत्र दे दिया गया. इनमें से लगभग 10,965 नौकरी कर रहे हैं. पर जमीनी हकीकत इससे अलग है. प्रभात खबर ने पड़ताल की, तो पता चला कि कई अभ्यर्थियों को अब तक नियुक्ति पत्र ही नहीं मिला है.
अभ्यर्थियों का चयन अलग-अलग विभागों की ओर से किया गया था. नियुक्ति पत्र उनके शिक्षण संस्थान को भी भेजा गया था. पर कुछ अभ्यर्थियों ने अपना नियुक्ति पत्र नहीं लिया. कुछ ने नियुक्ति पत्र मिलने के बाद योगदान नहीं देने की बात कही. कई ने योगदान देने के बाद कम पैसे के कारण नौकरी छोड़ दी. बातचीत में कुछ युवकों ने काम करने की बात तो कही, पर व्यवस्था को लेकर काफी शिकायत की.
सभी को दे दिया गया है नियुक्ति पत्र
झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी के िनदेशक रवि रंजन से बातचीत
Qस्किल समिट के तहत कितने लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया ?
26,674 लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया.
Qजिन्हें नियुक्ति पत्र दिया गया, उनमें से कितनों ने योगदान दिया ?
10,965 अभ्यर्थियों ने अब तक योगदान दे दिया है. प्रक्रिया अभी चल रही है. आगे भी चलती रहेगी.
Qअब तक नियुक्ति पत्र पानेवाले व योगदान देनेवाले अभ्यर्थियों की जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की गयी ?
सभी की जानकारी जल्द वेबसाइट पर जारी कर दी जायेगी.
Qकुछ अभ्यर्थियों ने अब तक नियुक्ति पत्र नहीं मिलने की बात कही है ?
ऐसा नहीं हो सकता. कौशल विकास प्रशिक्षण के तहत जिन लोगों का चयन हुआ, सभी को नियुक्ति पत्र दिया गया है. अन्य विभागों द्वारा भी अभ्यर्थियों का चयन किया गया था. अभ्यर्थी के शिक्षण संस्थान व नियोजनालय में भी नियुक्ति पत्र भेजा गया था. हो सकता है अभ्यर्थियों ने वहां से नियुक्ति पत्र नहीं लिया हो.
Qजो नौकरी कर रहे हैं, उनकी स्थिति की जानकारी भी ली जा रही है ?
सोसाइटी की ओर से टोल फ्री नंबर जारी किया गया है, इस पर लोग फीडबैक दे रहे हैं.
नौ हजार अभ्यर्थियों का काम नहीं कर रहा मोबाइल, संपर्क ही नहीं हुआ
झारखंड स्किल मिशन सोसाइटी अभी भी समीक्षा कर रही है. अभ्यर्थियों को उनके मोबाइल पर नियुक्ति से संबंधित जानकारी देने के लिए डोरंडा कॉलेज में कॉल सेंटर बनाया गया था. पर लगभग नौ हजार का मोबाइल नंबर काम नहीं कर रहा है. अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण देनेवाली संस्थानों को 29 जनवरी तक उनसे संपर्क कर उनका मोबाइल नंबर सही करने को कहा गया था. वैसे अभ्यर्थी जिनसे संपर्क नहीं हो पायेगा, उनका नाम हटाने का निर्देश दिया गया था.
सार्वजनिक नहीं कर रहे नाम
नियुक्ति पत्र वितरण के करीब तीन माह बाद भी कौशल विकास मिशन अभ्यर्थियों की जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सका. जबकि विभाग की ओर से दावा किया गया था कि चयनित अभ्यर्थियों की जानकारी स्किल मिशन सोसाइटी की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी जायेगी. हालांकि सोसाइटी ने अभ्यर्थियों के नाम दो बार वेबसाइट पर डाले, पर बाद में हटा भी दिये. जिन अभ्यर्थियों के नाम दिये गये थे, उनकी विस्तृत जानकारी नहीं थी.
वेल्सपन इंडिया प्रालि में सबसे अधिक 1494 का चयन, 500 ने दिया योगदान
वस्त्र उद्योग में सबसे अधिक 6560 लोगों को रोजगार देने की बात कही गयी थी. आइटी में 2376, आॅटो में 2281 लोगों को राेजगार मिला था. राज्य में 210 कैंपस प्लेसमेंट ड्राइव चलाया गया. प्लेसमेंट ड्राइव में सबसे अधिक 1494 अभ्यर्थियों का वेल्सपन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में चयन हुआ था. अब तक लगभग 500 लोगों ने ज्वाइन किया है. ज्वाइन करने के बाद कुछ ने नौकरी भी छोड़ दी.
नियुक्ति व योगदान की स्थिति
विभाग नियुक्ति योगदान
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा 16071 6493
सह कौशल विकास
ग्रामीण विकास विभाग 2713 1401
श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण 4417 1021
नगर विकास एवं आवास 3314 2050
पर्यटन, उद्योग व स्वास्थ्य 159 —-
(स्रोत : कौशल विकास मिशन सोसाइटी को मिली रिपोर्ट, इसके अलावा लगभग 984 और अभ्यर्थियों ने योगदान दिया है )
हकीकत – 90 दिनों के बाद भी सभी को नहीं िमला नियुक्ति पत्र
कई अभ्यर्थियों ने किया योगदान, पर कम वेतन और खराब व्यवस्था के कारण लौट आये घर
क्या कहते हैं अभ्यर्थी
पलामू से रांची आये, नहीं दिया नियुक्ति पत्र
कॉमर्स से स्नातक िकया है. प्रति माह आठ हजार वेतन पर बेंगलुरु की एक कंपनी में चयन हुआ. नियुक्ति पत्र लेने रांची आया. कार्यक्रम में भाग लिया, पर नियुक्ति पत्र नहीं मिला. शिक्षक के साथ रांची आया था, पर उन्होंने भी साथ छोड़ दिया. घर से यह कह कर आया था कि नौकरी मिल गयी है. अभी घर नहीं आयेंगे. नियुक्ति पत्र नहीं मिला, तो कोकर स्थित एक कंपनी में काम शुरू कर दिया. यहां भी आठ हजार ही मिल रहा था. अब समस्तीपुर में 16 हजार प्रति माह के वेतन पर नौकरी कर रहा हूं. रहने व खाने की सुविधा भी दी गयी है. – छोटू कुमार मेहता, पलामू
नियुक्ति पत्र मिलता तो नौकरी पर जाते
नियुक्ति की जानकारी के लिए फोन भी किया गया था. अपना मेल आइडी भी दिया था. फोन करनेवाले से यह भी पूछा था कि कहां जाना है, इसकी जानकारी दी जाये. पर आज तक ऑफर लेटर का इंतजार कर रहे हैं. नियुक्त पत्र मिलता, तो जरूर नौकरी करते. – नील कमल महतो, धनबाद
नौकरी की शर्त ऐसी की नहीं किया योगदान
प्रतिमाह नौ हजार पर गुरुग्राम की एक कंपनी में चयन हुआ था. ऑफर लेटर नहीं मिला. एक मैडम ने फोन कर बताया था कि मेरा चयन मोबाइल कंपनी में टॉवर लगाने के लिए हुआ है. 24 घंटे काम करने होंगे. 90 दिनों तक छुट्टी नहीं मिलेगी. वेतन व काम की शर्त को देखते हुए इनकार कर दिया. – प्रसेन्नजीत घोष
इलेक्ट्रिशियन की ट्रेनिंग, गांव में चला रहे जेसीबी
डाटा प्रो के माध्यम से इलेक्ट्रिशियन का प्रशिक्षण लिया. मिंडा नाम की कंपनी में चयन हुआ था. 12 जनवरी को नियुक्ति पत्र भी दिया गया. दिल्ली में नौ हजार की नौकरी मिली थी. इतने कम पैसे में वहां रहना व खाना संभव नहीं था. इसलिए योगदान नहीं दिया. गुमला में जेसीबी चला कर प्रतिमाह 10 हजार कमा रहे हैं.- पंकज कुमार, गुमला
छह हजार की नौकरी इसलिए नहीं गये
इलेक्ट्रिशियन की ट्रेनिंग ली थी. पर आज प्लंबर का काम कर रहे हैं. चयन हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी में 6500 रुपये वेतन पर हुआ था. इतने कम पैसे में दूसरे शहर में रहना व खाना भी नहीं हो पाता. इस कारण योगदान नहीं दिया. – रंजीत कुमार, देवघर
नियुक्ति पत्र नहीं भेजा
धनबाद में आयोजित रोजगार मेले में बेंगलुरु की कंपनी में चयन हुआ. बताया गया कि मेरे कॉलेज में या मेल आइडी पर नियुक्ति पत्र भेज दिया जायेगा. पर नहीं भेजा गया. इस दौरान मां का तबीयत भी खराब हो गयी, चयनित होने के बाद भी योगदान नहीं दिया.
– नाजिर हसन, धनबाद
वेतन कम था
चयन दिल्ली की एक कंपनी में हुआ था. नियुक्ति पत्र भी मिला था. पर यह नहीं बताया गया था कि क्या काम करना है. वेतन भी काफी कम था. इस कारण योगदान नहीं दिया. मेरे दर्जन भर से अधिक साथी नियुक्ति के लिए नहीं गये.
– अशोक कुमार, गुमला