रांची : लालू प्रसाद सहित पशुपालन विभाग के तत्कालीन मंत्रियों व अफसरों ने घोटाले के पैसों से हवाई यात्राएं की. कुछ नेताओं और अफसरों के पारिवारिक सदस्यों ने भी घोटाले के पैसों से हवाई यात्रा का मजा लिया. घोटालेबाजों को संरक्षण देने के बदले नेताओं और अफसरों व उनके पारिवारिक सदस्यों को यह सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी. चारा घोटाले की जांच के दौरान सीबीआइ को इसके सबूत मिले थे.जांच में पाया गया था कि था प्रमंडलीय आयुक्त के पद पर पदस्थापित रहने के दौरान आइएएस अधिकारी एमसी सुबर्नो ने घोटालेबाजों को संरक्षण दिया था.
उन्होंने महालेखाकार की उस रिपोर्ट पर पर्दा डाल दिया था जिसमें स्कूटर, मोटरसाइकिल, जीप, कार का इस्तेमाल कर पशु चारा और सांड ढोये जाने का उल्लेख किया गया था. इस प्रकरण में तत्कालीन उप महालेखाकार पीएस अय्यर ने वित्तीय वर्ष 1985-86 से 1988-89 तक की अवधि का ऑडिट करने के बाद प्रमंडलीय आयुक्त को ऑडिट रिपोर्ट भेजी थी. पांच अप्रैल 1990 को भेजी गयी उस ऑडिट रिपोर्ट में स्कूटरों पर गाय और सांढ़ को ढ़ोये जाने का विस्तृत ब्योरा पेश करते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की अनुशंसा की गयी थी. अगर प्रमंडलीय आयुक्त ने मामले की जांच करायी होती तो पशुपालन घोटाले से उसी वक्त पर्दा उठ गया होता. पर उन्होंने महालेखाकार की उस रिपोर्ट पर चुप्पी साध ली. इसके बदले घोटालेबाजों ने उन्हें सुविधाएं उपलब्ध करायी.
श्याम बिहारी सिन्हा के बेटे और जेपी वर्मा की पत्नी के फर्म के माध्यम से लालू और उनके पारिवारिक सदस्यों के लिए हवाई यात्रा की टिकटों की व्यवस्था की गयी थी. लालू व उनके पारिवारिक सदस्यों के लिए अक्तूबर 1995 में 44 हजार रुपये की एयर टिकट खरीदे गये थे. घोटालेबाजों ने डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र के लिए भी हवाई टिकटों की व्यवस्था और घोटाले के पैसों से उसका भुगतान किया. डॉक्टर मिश्र ने श्याम बिहारी सिन्हा की बहू के घर में अपने विशेष कोटे से टेलीफोन लगाने के लिए चिट्ठी लिखी. श्याम बिहारी सिन्हा के अवधि विस्तार के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को अनुशंसा पत्र लिखा.
इसमें श्याम बिहारी सिन्हा को कर्मठ अधिकारी बताया. उनके इस काम के बदले श्याम बिहारी सिन्हा ने पहले उन्हें पांच लाख रुपये दिये. बाद में सप्लायर एमएस बेदी ने 1995 में डॉक्टर मिश्र को 50 लाख रुपये दिये. इसके बाद सप्लायर गणेश दुबे ने 25 लाख रुपये दिये. जांच में यह भी पाया गया कि श्याम बिहारी सिन्हा ने संरक्षण देने के बदले तत्कालीन मंत्री विद्या सागर निषाद के 50 हजार और भोला राम तूफानी को 30 हजार रुपये दिये. तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक ओपी दिवाकर ने तत्कालीन मंत्री चंद्र देव प्रसाद वर्मा को लाखों रुपये दिये. यह रकम दिवाकर को दुमका का अतिरिक्त प्रभार देने के बदले दिया गया था. घोटालेबाजों ने इन मंत्रियों के लिए भी हवाई टिकटों की व्यवस्था की और होटल में रखने और खाने का खर्च उठाया.
जगदीश शर्मा व आरके राणा और उनके पारिवारिक सदस्यों ने भी घोटालेबाजों को संरक्षण देने के बदले पैसे लिये. साथ ही घोटाले के पैसों से हवाई यात्रा की लुत्फ उठाया. जांच में पाया गया कि फूल चंद सिंह ने घोटालेबाजों से 15 लाख रुपये लिये थे. घोटालेबाजों को संरक्षण देने के लिए महेश प्रसाद और बेक जूलियस ने भी अनुचित लाभ लिये. घोटालेबाजों ने वर्ष 1995-96 में बेक जुलियस के लिए 55 हजार रुपये की हवाई टिकटें खरीदी थी.